भारत के प्रधानमंत्री जापान दौरे पर; भारत-जापान के बीच असैन्य परमाणु समझौता संपन्न होगा

टोकिओ: भारत के प्रधानमंत्री तीन दिन के जापान दौरे पर दाखिल हुए हैं| उनके इस दौरे में दोनों देशों के बीच तकरिबन १२ द्विपक्षीय समझौतें संपन्न होनेवाले हैं | इस में भारत और जापान के बीच असैन्य परमाणु समझौते का भी समावेश होगा | ऐसा दावा किया जा रहा है कि दोनों देशों ने फिलहाल इस सिलसिले में अधिकृत घोषणा नहीं की है, मगर यदि यह समझौता संपन्न हुआ, तो भारत और जापान के बीच राजनैतिक तथा व्यापारी सहयोग के साथ सामरिक सहयोग भी बड़े पैमाने पर बढ़ेगा और इसका बड़ा लाभ दोनों देशों को हो सकता हैं | चीन जैसे अतिमहत्त्वाकांक्षी देशों को रोकने के लिए भारत और जापान के बीच यह सामरिक सहयोग काफी अहम साबित हो सकता है |

modi-japan-visit - प्रधानमंत्री तीन दिन के जापान दौरे परगुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी जी जापान की यात्रा पर आए हैं | यह उनका दूसरा दौरा है | इस दौरे में दोनों देशों के बीच निवेश, व्यापार, कौशल विकास, बुनियादी सुविधाओं का विकास, सुरक्षा एवं संरक्षण इन क्षेत्रों में लगभग १२ सामंजस्य समझौते संपन्न किए जाएँगे | इस वजह से भारत के प्रधानमंत्री का यह दौरा दोनों देशों के लिए काफी अहम साबित हो सकता है | साथ ही, दोनों देशों में असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौता संपन्न होने के संकेत दोनों देशों की तरफ से दिए जा रहे हैं | इस सिलसिले में स्पष्ट रूप से जानकारी देने के लिए हालाँकि मनाही की है, फिर भी भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने, इस समझौते का मसूदा दोनों देशों ने अपनाया है, ऐसी जानकारी दी; लेकिन प्रधानमंत्री के दौरे में यह समझौता संपन्न होगा या नहीं, इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता, ऐसा स्वरूप ने कहा है|

पिछले साल जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे भारत के दौरे पर आए थे | उनकी इस मुलाकात के दौरान इस असैन्य परमाणु ऊर्जा समझौते पर चर्चा संपन्न हुई थी | कुछ सालों से दोनों देश इस समझौते पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन सन २०११ से जापान के फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा परियोजना पर हुए हादसे की वजह से यह समझौता रुका हुआ था | इस हादसे की वजह से भारत के साथ परमाणु ऊर्जा समझौता करने के लिए जापान में विरोध शुरू हुआ था | इस विरोध की वजह से अहम साल बरबाद हुए, लेकिन अब जापान भारत के साथ यह समझौता करने के लिए उत्सुकता दिखा रहा है | अगर भारत परमाणु परीक्षण करता है, तो यह समझौता खारिज हो सकता है, ऐसा प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे ने अपने भारत दौरे में कहा था; लेकिन भारत ने खुद परमाणु परीक्षण पर पाबंदी लगाने की वजह से यह नौबत नहीं आएगी | इस कारण इस समझौते के रास्ते से सभी रोड़े दूर हुए हैं ऐसा दिखाई दे रहा है |

भारत ने अब तक अमरीका, फ्रान्स तथा दुनिया के प्रमुख देशों के साथ परमाणु ऊर्जा समझौता किया है | परमाणु इंधन रहे युरेनियम की सबसे ज्यादा आपूर्ति करनेवाले देश ऑस्ट्रेलिया के साथ भी भारत ने परमाणु ऊर्जा समझौता करके परमाणु इंधन की आपूर्ति सुनिश्‍चित की है | ऐसे में जापान के साथ यदि भारत यह समझौता करता है, तो दोनों देशों के बीच सभी स्तर पर सहयोग और विश्‍वास बढ़ सकता है |

एशिया खंड की दो प्रमुख आर्थिक शक्तियाँ और लोकतंत्रवादी देश रहे भारत और जापान के बीच का यह सहयोग, इस महाद्वीप के साथ ही, आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता और शांति के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है | खासकर, चीन की अर्थव्यवस्था और लष्करी सामर्थ्य में बढ़ोतरी होने की वजह से निर्माण हुए असमतोल की पृष्ठभूमि पर, भारत और जापान के बीच के इस सहयोग की अहमियत कई गुना बढ़ी है, ऐसा दिखाई दे रहा है | इस वजह से चीन, इन दोनों देशों के बीच के इस सहयोग पर बारिक़ी से नज़र रख रहा है | उसी समय समय, भारतीय प्रधानमंत्री के इस दौरे में, भारत और जापान ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में चल रही चीन की मनमानी के खिलाफ ठोस भूमिका अपनानेवाले हैं, ऐसी ख़बरें प्रकाशित होने की वजह से चीन काफी बेचैन हुआ है और चीन के अख़बार ने इसके खिलाफ भारत को चेतावनियाँ देना शुरू किया है | इस कारण, ‘साऊथ चायना सी’ के सिलसिले में भारत ठोस भूमिका अपनायें, ऐसी माँग जापान की ओर से की जा रही है|

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