भारत-जापान के बीच नागरी परमाणु समझौता संपन्न

टोकियो: भारत और जापान के बीच नागरी परमाणु करार संपन्न हुआ है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा में दोनो देशों के बीच दस सामंजस्य समझौते हुए हैं| इसमें मूलभूत सुविधाओं का विकास, अंतरिक्ष अनुसंधान, खेती इन क्षेत्रों का समावेश है| लेकिन दोनो देशों के बीच हुआ परमाणु करार सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है| अब तक जापान ने १३ देशों के साथ नागरी परमाणु समझौता किया है| लेकिन परमाणु प्रसार पाबंदी समझौते पर हस्ताक्षर न करनेवाला भारत, यह जापान के साथ नागरी परमाणु करार करनेवाला पहला देश बना है| भारत के संदर्भ में जापान ने किया यह अपवाद (एक्सेप्शन), दोनो देशों में विकसित हुई दृढ सामरिक साझेदारी के संकेत दे रहा है|

Pm_modi_Pm_abe- भारत और जापानपिछले छह महिनों से भारत और जापान के बीच नागरी परमाणु समझौते पर बातचीत शुरू थी| परमाणु प्रसार पाबंदी समझौते पर दस्तखत न करनेवाले देशों के साथ परमाणु समझौता ना करने की जापान की नीति रही है| लेकिन भारत के बारे में जापान ने अपवाद किया होकर, इसके लिए प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे ने देशांतर्गत विरोध की परवाह न की हुई दिखायी देती है| इस समझौते से भारत और जापान के संबंध नयी उँचाई पर पहुँच जायेंगे| इस समझौते से, भारत को परमाणु ऊर्जा संदर्भ में आधुनिक तकनीक उपलब्ध करा देने के लिए जापान को आसानी होगी| उसी समय, जापान भारत को परमाणु रिऍक्टर्स का भी निर्माण कराके देगा| भारत में बिजली की माँग बढ़ रही है| भारत के लिए यह बात महत्त्वपूर्ण साबित होगी| इसी कारण, यह परमाणु सहयोग समझौता आर्थिक और सामरिक स्तर पर की साझेदारी अधिक ही व्यापक करेगा|

जापान ने भारत के साथ किये इस परमाणु समझौते से भारत को ‘क्लीन एनर्जी’ मिलना संभव होगा| इससे दुनिया की हवामानबदलाव जैसी समस्याओं का हल निकालना मुमक़िन होगा| भारत का आर्थिक विकास अधिक गतिमान और सुनिश्‍चित होगा, यह भरोसा प्रधानमंत्री मोदी ने जताया| साथ ही, जापान के प्रधानमंत्री की मुक्त ‘इंडो-पॅसिफिक’ नीति का प्रधानमंत्री मोदी ने स्वागत किया| जापान ने भारत को, ‘युएस-२’ यह सागरी गश्त के लिए प्रभावी माने जानेवाले ‘ऍम्फिबियस विमान’ कम दामों में देने की तैयारी दर्शायी है| यह जापान ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की हुई रक्षासाहित्य बिक्री का पहला व्यवसायिक समझौता माना जाता है| इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जापान का शुक्रिया अदा किया है| शांत और सुस्थिर विश्‍व के लिए भारत और जापान की साझेदारी महत्त्वपूर्ण साबित होगी, ऐसा दावा भारतीय प्रधानमंत्री ने किया|

इस दौरान, दोनो देशों ने एक-दूसरे के व्यवसायिकों को व्हिसा के संदर्भ में सहुलियत देने पर मंजुरी दी है| साथ ही, मूलभूत सुविधाओं का विकास, अंतरिक्ष अनुसंधान, खेती क्षेत्र में सहयोग समझौते संपन्न हुए हैं| उसी समय, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रकल्प का निर्माण करनेवाले जापान ने, भारत के अन्य प्रांतों में भी बुलेट ट्रेन विकसित करने की तैयारी दर्शायी है| साथ ही, भारत के बंदरगाह विकास और स्मार्ट शहरों के विकास में भी जापान ने विशेष रूची दिखायी है| भारतीय युवाओं के कौशलविकास क्षेत्र में भी जापान भारत को सहयोग करने के लिए तैयार है| इसका प्रतिबिंब दोनो देशों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों में दिखायी दिया|

 ‘साऊथ चायना सी’ को लेकर भारत और जापान ने चीन को फटकारा

‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में बल का इस्तेमाल या बलप्रयोग की धमकी कोई भी न दें| बल्कि इस सागरी क्षेत्र के विवाद का शांति के मार्ग से हल निकालें, ऐसा आवाहन भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने अपने संयुक्त निवेदन में किया है| साथ ही, समुद्री परिवहन की आज़ादी का इस निवेदन में पुरस्कार किया गया है|

‘साऊथ चायना सी’ के विवाद में भारत जापान के समर्थन में खडा रहकर चीनविरोधी भूमिका न लें, ऐसी धमकी चीन ने भारत को दी थी| लेकिन भारत ने उसे अनदेखा कर दिया होकर, इसपर चीन की प्रतिक्रिया आ सकती है| लेकिन इसकी तैयारी करते हुए ही भारत ने यह भूमिका अपनायी थी| पिछले कई दिनों से भारत से वैसे संकेत मिल रहे थे| इस दौरान, भारत और जापान ने आतंकवाद के खिलाफ़ सख़्त भूमिका अपनायी है| आतंकवादियों के अभयारण्यों को और सीमा के पार से निर्यात होनेवाले आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, यह इस संयुक्त निवदेन में स्पष्ट किया है| साथ ही, ‘मसूद अझहर’ इस आतंकवादी को बचाने के लिए चीन ने अपनायी भूमिका की भी इस संयुक्त निवेदन में आलोचना की गयी है|

हालाँकि किसी देश का ठेंठ ज़िक्र नहीं किया गया है, मग़र फिर भी इस निवेदन में, सभी देश संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों के अनुसार आतंकवादियों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी निभायें, यह आवाहन किया गया है|

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.