श्रेष्ठता, कनिष्ठता की सोच पर आधारित ‘वर्ल्ड ऑर्डर’ पर भारत विश्वास नहीं करता – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – कुछ देश अन्य देशों से श्रेष्ठ हैं, इस सोच पर आधारित ‘वर्ल्ड ऑर्डर’ यानी वैश्विक व्यवस्था पर भारत विश्वास नहीं करता। भारत को किसी के वर्चस्व के नीचे नहीं रहना है और ना ही अन्य किसी भी देश को अपने वर्चस्व रखना है। बल्कि, भारत के अन्य देशों के साथ ताल्लुकात सार्वभौमता, समानता और एक-दूसरे के प्रति के आदरभाव पर आधारित हैं। भारत के ‘मेक इन इंडिया’ उपक्रम का मतलब विश्व से दूर रहकर देश में भी उत्पादन करना नहीं होता। अपने देश में उत्पादन करने के लिए भारत अन्य देशों को प्रस्ताव दे रहा है और इसके ज़रिए संयुक्त उत्पाद प्रकल्प शुरू करने का आवाहन कर रहा है, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया।

‘वर्ल्ड ऑर्डर’१३ फ़रवरी से १७ फ़रवरी के बीच बंगलुरू में ‘एरो इंडिया’ नामक एशियाई महाद्विप के सबसे बड़े ‘एरोस्पेस एक्ज़िबिशन’ का आयोजन किया रहा है। इस अवसर पर आयोजित राजनीतिक अधिकारियों की बैठक को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संबोधित किया। इस दौरान ‘मेक इन इंडिया’ उपक्रम में भारत की भूमिका रक्षा मंत्री ने गिनेचुने शब्दों में स्पष्ट की। भागीदारी और संयुक्त निर्माण जैसे मुद्दे भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए काफी अहम साबित होते हैं। भारत का रक्षा संबंधी निर्यात बडे पैमाने पर बढा है और भारत ने ७५ से अधिक देशों को यह निर्यात किया है। पिछले पांच सालों में भारत का रक्षा निर्यात आठगुना बढा है, यह जानकारी राजनाथ सिंह ने प्रदान की।

आनेवाले समय में काफी अहम साबित होने वाले ड्रोन्स, सायबरटेक, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, रड़ार यंत्रणा और अन्य सामान के निर्माण के लिए भारत पहल कर रहा है। तथा अपने सहयोगी देशों को हथियार और रक्षा सामान निर्यात करने वाला भारत इसके प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, प्रशिक्षण और सहनिर्माण में भी सहायता करेगा, यह रक्षा मंत्री ने इस दौरान स्पष्ट किया। भारतीय रक्षा क्षेत्र की प्रगति का दाखिला देते हुए रक्षा मंत्री ने लड़ाकू विमान ‘तेजस’, ‘लाईट युटिलिटी कॉम्बैट हेलीकॉप्टर’ (एलसीए) के निर्माण में पाई गई सफलता का ज़िक्र किया। मेक इन इंडिया के तहत यह सभी निर्माण करते समय मेक फॉर द वर्ल्ड यानी विश्व के लिए उत्पादन करने का ध्येय भारत ने सामने रखा है, इस पर भी रक्षा मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

पूरे विश्व में भारी मात्रा में भू-राजनीतिक उथल-पुथल जारी है और ऐसे में अनाज और ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण हुआ है। गरीबों के कल्याण के लिए आवश्यक शाश्वत प्रावधानों की ओर लापरवाही हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर भारत में ‘जी २०’ परिषद का आयोजन हो रहा है और इस परिषद की अहमियत भू-राजनीतिक गतिविधियों के कारण अधिक बढ़ी है, इसका अहसास रक्षा मंत्री ने इस दौरान कराया।

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