भारत और अमरीका के रक्षामंत्रियों की चर्चा – चर्चा में अफगानिस्तान की उथल-पुथल का मुद्दा अग्रस्थान पर

नई दिल्ली – रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन के साथ फोन पर चर्चा की। इस चर्चा में रक्षा विषयक सहयोग और अफगानिस्तान की गतिविधियों का समावेश था, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने घोषित किया। साथ ही, इस क्षेत्र में मचे आतंकवाद के विरोध में चल रही कार्रवाइयों पर भी राजनाथ सिंग और लाईड ऑस्टिन के बीच विचारविनिमय हुआ, ऐसा बताया जाता है। जल्द ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरीका के दौरे पर जानेवाले होकर, राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के साथ द्विपक्षीय चर्चा करनेवाले हैं। इस पृष्ठभूमि पर, दोनों देशों के रक्षामंत्रियों के बीच हुई यह चर्चा गौरतलब साबित होती है।

भारत और अमरीका२४ सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के बीच द्विपक्षीय चर्चा होनेवाली है। उसके बाद राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने आयोजित की हुई, क्वाड के राष्ट्र प्रमुखों की चर्चा संपन्न होगी। इन दिनों अफगानिस्तान में जारी उथल-पुथल की पृष्ठभूमि पर इस चर्चा को बहुत बड़ा महत्व आया है। तालिबान की सत्ता आने के बाद अफगानिस्तान में अराजक मचा होकर, यह देश ढहने की स्थिति में होने के संकेत मिल रहे हैं। तालिबान अफ़गानिस्तान में सत्ता चला नहीं सकेगा और यह संगठन आतंकवाद तथा कट्टरवाद छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। उसी समय, पाकिस्तान और चीन का तालिबान पर होनेवाला प्रभाव यह भारत के साथ ही अमरीका के हितसंबंधों के लिए भी घातक बात साबित होती है।

अमरिकी विश्लेषक और राजनयिक इसपर गौर फरमा रहे हैं। इस कारण अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत और अमरीका के सहयोग का महत्व भारी पैमाने पर बढ़ा है। कुछ दिन पहले अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने, अफगानिस्तान में हमले करने के लिए भारत की हवाई सीमा का इस्तेमाल करने पर चर्चा शुरू होने की जानकारी दी थी। लेकिन भारत ने इस मामले में सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन चीन का सरकारी मुखपत्र होनेवाले ग्लोबल टाईम्स ने इसकी दखल ली है। अमरीका अफगानिस्तान में कर रहे हमले का अगर भारत साथ देनेवाला है, तो वह बहुत ही गलत निर्णय साबित होगा, ऐसा ग्लोबल टाईम्स ने कहा है।

इस पृष्ठभूमि पर, दोनों देशों के रक्षामंत्रियों के बीच हुई चर्चा गौरतलब साबित होती है। इस चर्चा में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का भी समावेश था। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने आयोजित की हुई क्वाड की बैठक की पृष्ठभूमि पर, दोनों देशों के रक्षामंत्रियों के संवाद में आया हुआ इंडो-पैसिफिक का उल्लेख सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होता है। क्वाड की इस बैठक की चीन ने जोरदार आलोचना की थी। क्वाड को ‘एशियाई नाटो’ बताकर, यह संगठन चीनविरोधी होने का आरोप किया था। चीन का यह आरोप भारत ने ठुकरा दिया है।

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