‘इंडो पसिफ़िक’ में भारत को वर्चस्व नहीं, सहयोग चाहिए – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

सिंगापूर – ‘इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग की तरफ भारत संकुचित सामरिक दृष्टिकोण से नहीं देख रहा है। बल्कि इस बारे में भारत की दृष्टी व्यापक है।कुछ देशों के साथ सहयोग करके उस समूह का वर्चस्व इस क्षेत्र में प्रस्थापित करने में भारत को कोई रूचि नहीं है।बल्कि इस क्षेत्र के देशों के साथ लष्करी, विशेष रूपसे नौसेना का सहयोग बढाकर यहाँ सुरक्षा और आपत्ति के समय मानवी सहायता और सदिच्छा मुहीम करने की भारत की कोशिश रहेगी’, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है।

सिंगापूर में पूरे हुए ‘शांग्री-ला’ इस सुरक्षा परिषद में बोलते समय प्रधानमंत्री मोदी ने ‘इंडो-पसिफ़िक’ क्षेत्र के बारे में भारत की भूमिका को स्पष्ट किया है।यह अत्यंत महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र है और दक्षिणपूर्व आशिया के लगभग दस देश भौगोलिक और मानवी सभ्यता के दृष्टिकोण से पसिफ़िक महासागर के साथ जुड़ गए हैं। इस वजह से इस क्षेत्र का महत्व असाधारण बन गया है।इस महत्व को जानकर भारत ने बहुत पहले से ही इस क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग बढाने के लिए कदम उठाए थे, इसका एहसास प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कराया है।

सिंगापूर और भारत के बीच के सहकार्य का उदाहरण इसके लिए प्रधानमंत्री ने दिया है।भारत और सिंगापूर की नौसेना के बीच पिछले २५ वर्षों से संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू है।जल्द ही दोनों देशों के बीच नया युद्धाभ्यास शुरू होने वाला है।इस क्षेत्र के अन्य देश भी इस युद्धाभ्यास में शामिल हो सकते हैं।व्हिएतनाम के साथ भी भारत ने सहयोग बढाया है और व्हिएतनाम की रक्षा सिद्धता में बढ़ोत्तरी करने के लिए भारत सहायता कर रहा है।साथ ही भारतीय नौसेना का अमरिकन नौसेना के साथ मलाबार युद्धाभ्यास हर वर्ष आयोजित किया जाता है।इसमें जापान की नौसेना भी शामिल हुई है, इसकी जानकारी देकर प्रधानमंत्री मोदी ने इसके पीछे भारत का निश्चित दृष्टिकोण होने की बात स्पष्ट की है।

अन्य देशों की सहायता लेकर इस समुद्री क्षेत्र पर वर्चस्व प्रस्थापित करने की भारत की महत्वाकांक्षा नहीं है, ऐसा प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूपसे कहा है।दौरान, भारत के प्रधानमंत्री ने यह भूमिका रखकर चीन की वर्चस्ववादी नीति से अपनी नीति बिलकुल अलग है, यह बात दिखा दी है।‘शांग्री-ला’ परिषद में ‘इंडो-पसिफ़िक’ क्षेत्र में चीन की तरफ से चल रहे आक्रामक सामरिक कार्रवाइयों पर गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है।इस क्षेत्र के लगभग सभी देश चीन की इन कार्रवाइयों की वजह से चिंता में पड़े हैं।इस वजह से चीन के खिलाफ जाने वाले देशों की संख्या बढती जा रही है।ऐसी परिस्थिति में भारत को ‘इंडो-पसिफ़िक’ क्षेत्र की सुरक्षा के लिए रचनात्मक सहयोग में रूचि है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और चीन के बीच की दरार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रखी है, ऐसा दिखाई दे रहा है।

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