भारत-जापान सहकार्य के ‘बुलेट ट्रेन’ की नींव रखी- दोनों देशों के बीच १५ सहकार्य अनुबंध संपन्न

अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के हाथों अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी। लगभग १ लाख, १० हजार करोड़ रुपयों की लागत से बनी इस परियोजना के लिए जापान ने भारत को ८८ करोड़ रुपए का कर्जा ०.१ इतने नाममात्र ब्याज दर से उपलब्ध करके दिया है। इस बारे में आभार प्रकट करके प्रधानमंत्री मोदीजी ने जापान और भारत के दृढ संबंध का प्रमाण दिया है। प्रधानमंत्री अबे की इस भारत भेंट में दोनों देशों के बीच १५ सहकार्य अनुबंध संपन्न हुए। इन अनुबंधों के द्वारा भारत और जापान ने अपने सामरिक सहकार्य का आधार अधिक मजबूत किया है, ऐसा जानकारों का मानना है।

गुरुवार को गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित किए गए भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री अबे के हाथों अहमदाबाद-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन कोरिडोर परियोजना की स्थापना हुई। १५ अगस्त २०२२ तक यह परियोजना पूरी होगी। इस बुलेट ट्रेन में १० कोच हैं जिसमें ७५० यात्री यात्रा कर सकते हैं। इसमें कोच की संख्या को १६ तक ले जाया जा सकता है और इस से १२५० यात्री यात्रा कर सकेंगे। यह ट्रेन ३२० से ३५० किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से यात्रा करेगी, जिससे सिर्फ दो से तीन घंटों में अहमदाबाद से मुंबई तक की ५०८ किमी की यात्रा संभव होगी। यह बुलेट ट्रेन लगभग १२ स्थानकों पर रुकने वाली है, जिसमे के चार स्थानक महाराष्ट्र में हैं।

इस परियोजना के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री अबे के बीच द्विपक्षीय चर्चा संपन्न हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच १५ सामंजस्य अनुबंध संपन्न हुए हैं। इन अनुबंधों में नागरी उड़ान, विज्ञान-तकनीक, आपातकालीन व्यवस्थापन, कौशल विकास साथ ही खेल विषयक सहकार्य अनुबंधों का समावेश है।

इस में पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों की बुनियादी विकास परियोजनाओं का भी समावेश है, जिसके लिए जापान भारत को विशेष सहकार्य करने वाला है। इस क्षेत्र में जापान भारत को कर रही मदद पर चीन ने आक्षेप लिया है।

इस सहकार्य अनुबंध के साथ भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त निवेदन प्रसिद्ध किया है। इस निवेदन में आतंकवाद के खिलाफ कठोर भूमिका के साथ पॅसिफ़िक महासागर में परिवहन स्वातंत्र्य और अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के पालन पर जोर दिया गया है। ‘लश्कर-ए-तोएबा’ और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इन आतंकवादी संगठनों के साथ १६/११ का आतंकवादी हमला करने वालों पर कठोर कार्रवाई की माँग इन निवेदन में की गई है। इसके साथ ही पॅसिफ़िक महासागर क्षेत्र की समस्याएँ चर्चा करके सुलझाने पर इस नवेदन में जोर दिया गया है।

चीन इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व प्रस्थापित करने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में भारत और जापान का यह संयुक्त निवेदन चीन को लक्ष्य बनानेवाला है, यह स्पष्ट हो रहा है। इस के साथ ही भारत और जापान एक दूसरे के विश्व स्तर पर भागीदार देश हैं ऐसा कहकर दोनों देश समर्थ बनना आपसी हित की बात होने का दावा इस संयुक्त निवेदन में किया गया है। दौरान, अपेक्षा के अनुसार भारत और जापान के बीच सहकार्य पर चीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है। प्रधानमंत्री अबे के भारत दौरे पर बोलते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस क्षेत्र के देश एक दूसरे के साथ भागीदारी करे लेकिन मोर्चा न खोले, यह अपेक्षा व्यक्त की है। चीन की मीडिया भारत ने जापान और अमरिका के चीन विरोधी षडयंत्रों को सहायत न करे, ऐसा इशारा दिया है।

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