‘तवांग चीन को दिया, तो भारत-चीन सीमाविवाद खत्म होगा’ : चीन के पूर्व राजनीतिक अधिकारी का प्रस्ताव

बीजिंग, दि. ३ : भारत ने यदि ‘तवांग’ चीन को दिया, तो दोनों देशों के बीच का सीमाविवाद खत्म होगा, ऐसा प्रस्ताव चीन के पूर्व राजनीतिक अधिकारी दाई बिंगुओ ने दिया है| सीमाविवाद को सुलझाने के लिए यदि भारत ने तवांग के संदर्भ में यह फैसला किया, तो चीन भी उदारता का प्रदर्शन करते हुए, कुछ भूभागों पर होनेवाले अपने दावे को भारत के लिए छोड़ने की तैयारी दिखायेगा, ऐसे बिंगुओं ने चीन की मीडिया को दिये इंटरव्यू के दौरान कहा है| भारत के साथ सीमाविवाद तीव्र बनते समय, चीन ने यह प्रस्ताव देकर, ‘हम सीमाविवाद सुलझाने के लिए ईमानदारी से कोशिश कर रहे हैं’ ऐसा चित्र खड़ा किया दिखाई देता है|

सीमाविवादकुछ दिन पहले, भारत और चीन के बीच राजनीतिक चर्चा संपन्न हुई| इस चर्चा के दौरान भारतीय प्रतिनिधियों की भूमिका अड़ियल और नकारात्मक थी, ऐसी आलोचना चीन की सरकारी मीडिया कर रही है| इस चर्चा की पृष्ठभूमि पर, चीन ने भारत के साथ सीमाविवाद सुलझाने के लिए यह प्रस्ताव दिया| दाई बिंगुओ ये सन २००३ से लेकर २०१३ तक भारत और चीन के बीच के सीमाविवाद का हल निकालने के लिए हुई चर्चा में चीन का प्रतिनिधित्व कर रहे थे| तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष हु जिंताओ के प्रशासन में बिंगुओ ने यह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी| इसी कारण, उनके दवारा दिये गए इस प्रस्ताव को बड़ा महत्व प्राप्त हुआ है|

उनका यह प्रस्ताव हालाँकि चीन की ओर से आया अधिकृत प्रस्ताव नहीं था, मग़र फिर भी इसके द्वारा चीन की भूमिका दुनिया के सामने आयी है| अरुणाचल प्रदेश में होनेवाला तवांग यह तिब्बट का भूभाग होकर, तिब्बट यह अपने ही अधिकार का भूभाग है, ऐसी चीन की भूमिका है| साथ ही, तवांग यह ऐतिहासिक तौर पर चीन का ही होकर, सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने बनायी मॅकमोहन लाईन की वजह से तवांग चीन के बजाय भारत में गया| लेकिन अब ब्रिटिशों ने भी इस बात का स्वीकार किया होकर, भारत भी तवांग पर होनेवाला चीन का हक मान्य करें, ऐसे बिंगुओ ने चीनी मीडिया को दिये इंटरव्यू में कहा है|

ब्रिटिश साम्राज्यवादियों द्वारा बनायी गई मॅकमोहन लाईन का चीन कभी स्वीकार नहीं करेगा| लेकिन दुर्भाग्यवश चीन का अधिकार रहनेवाला बहुत सारा भूभाग भारत के कब्ज़े में है, ऐसे भी बिंगुओ ने आगे कहा| तवांग पर होनेवाला चीन का हक यदि भारत ने मान लिया, तो चीन भी उदारतापूर्वक भारत के लिए, कुछ भूभाग पर होनेवाला अपना दावा छोड़ने की तैयारी दिखायेगा, ऐसे बिंगुओ ने कहा है| बिंगुओ के इस प्रस्ताव को भारत द्वारा प्रतिसाद मिलने की संभावना नहीं है| ‘अरुणाचल प्रदेश यह भारत का अविभाज्य भूभाग है और इस संदर्भ में किसी भी प्रकार का समझौता संभव नहीं है’, ऐसा भारत चीन को समय समय पर कहता आया है| लेकिन चीन ने सन २००५ के बाद तवांग पर अपना हक अधिक आक्रामकता से जताने की शुरुआत की थी|

पिछले कई सालों से भारत ने चीन से सटे अपने सीमावर्ती इलाक़े में अपनी रक्षासिद्धता बढ़ायी होकर, यहाँ पर विकासप्रकल्प भी शुरू किये हैं| इससे ईशान्य के राज्य देश के अन्य भूभाग से अधिक दृढ़तापूर्वक जुड़ जायेंगे| भारत की इस रक्षासिद्धता के खिलाफ और विकास प्रकल्पों के विरोध में चीन ने ग़ुस्सा प्रदर्शित किया था| लेकिन भारत ने इस बारे में अपनायी ठोस भूमिका की वजह से चीन का यहाँ पर का दावा बेअसर साबित हो रहा है|

दलाई लामा की अरुणाचल भेंट पर चीन की चेतावनी

दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की भेंट की, तो उनका भारत और चीन के संबंधो पर घातक परिणाम होगा, ऐसी चेतावनी चीन के विदेशमंत्रालय ने दी| इससे पहले भी चीन ने भारत को इस बारे में चेतावनी दी थी| इसपर, ‘दलाई लामा ये भारत के आदरणीय अतिथी होकर, वे देशभर में कहींपर भी जा दे सकते हैं’ ऐसे भारत ने चीन को फटकारा था|

दलाई लामा की आगामी अरुणाचल प्रदेश भेंट को हमारा प्रखर विरोध होगा| यह बहुत ही संवेदनशील बात होकर, भारत दलाई लामा का यह दौरा रद करें, ऐसी माँग चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआँग ने की| पिछले साल के अक्तूबर महीने में चीन ने भारत के पास यह माँग की थी| लेकिन चीन बेवजह दलाई लामा की इस भेंट पर भडकाऊ बयान कर रहा है, ऐसी आलोचना भारत के विदेशमंत्रालय ने की थी|

बौद्ध धर्मगुरु और तिब्बत की स्वायत्तता की माँग करनेवाले दलाई लामा की, दुनियाभर की यात्राओं का चीन हमेशा विरोध करता आया है| उसीमें, चीन दावा कर रहे अरुणाचल प्रदेश की लामा भेंट करनेवाले हैं, यह ज़ाहिर होने के बाद, चीन और भी अधिक अस्वस्थ हुआ दिखाई दे रहा है| लेकिन यह भारत सरकार द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम नहीं, इस बात पर ग़ौर फ़रमाते हुए भारत ने चीन के दावों को ठुकरा दिया था|

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