‘व्यापारयुद्ध में भारत अमरीका का साथ ना दें’ : चीन के ‘ग्लोबल टाईम्स’ की चेतावनी

बीजिंग, दि. १० : अमरीका और चीन के बीच के व्यापारयुद्ध में यदि भारत ने अमरीका का साथ दिया, तो वह भारत की असमंजसता होगी, ऐसी चेतावनी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी| चीन के सरकारी मुखपत्र द्वारा पिछले कुछ दिनों से भारत को लगातार धमकियाँ और चेतावनियाँ मिल रही हैं| अमरीका के साथ चल रहे चीन के व्यापारयुद्ध के बारे में इस दैनिक ने भारत को फिर एक बार चेतावनी देकर, चीन की असुरक्षितता को दुनिया के सामने लाया दिखायी दे रहा है|

pg01_Trump_Xi_अमरीका के नियोजित राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड़ ट्रम्प की आक्रामक चीनविरोधी नीति की वजह से, दोनो देशों में जल्द ही व्यापारयुद्ध भड़कने के आसार हैं| चीन ने इसकी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं, ऐसा कहा जाता है| इस पृष्ठभूमि पर, इस व्यापारयुद्ध में प्रमुख देश अमरीका का साथ ना दें, इसलिए चीन ने कोशिशें शुरू की हैं| ग्लोबल टाईम्स ने इस पृष्ठभूमि पर भारत को यह चेतावनी दी| ‘इस व्यापारयुद्ध में अमरीका को समर्थन दिया, तो भारतीय अर्थव्यवस्था गतिमान होगी, यह भारत की उम्मीद भोलापन साबित होगी| व्यापारी संबंधों के बारे में भारत ने अमरीका से ज़्यादा उम्मीद रखना गलत होगा| यह बात भारत को गलत राह पर ले जायेगी| इसलिए, अमरीका की ओर झुकने की अपेक्षा भारत को अपने उत्पादन क्षेत्र पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए’ ऐसी सलाह ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी|

भारत को आर्थिक विकास करना है, तो निर्यात बढ़ाना और देश में रोज़गारनिर्माण को बढ़ावा देना, यह सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है, ऐसी टिप्पणी करते हुए ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, भारतीय उद्योग क्षेत्र का शिखर संगठन रहनेवाले ‘असोचाम’ के रिपोर्ट की भी आलोचना की| ‘अमरीका और चीन के बीच के व्यापारयुद्ध में भारत ने अमरीका के पक्ष में खड़ा रहना चाहिए, इससे भारत को ज़्यादा लाभ होगा’ ऐसा दावा ‘असोचाम’ ने अपने रिपोर्ट में किया था| यह दावा बेबुनियाद है, ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने कहा है| यह मशवरा भारत को वास्तविक आर्थिक प्रगती से दूर ले जानेवाला साबित होगा, ऐसा इस अख़बार का कहना है|

अमरीका को चीन से ज़्यादा भारत की ज़रूरत है ऐसा समझना, यानी खुद को फ़ँसाने जैसा है| अमरीका-चीन व्यापार की तुलना अमरीका-भारत व्यापार से नहीं हो सकती| अमरीका और चीन के बीच का सालाना व्यापार लगबग ५५८ अरब डॉलर इतना है| वहीं, भारत और अमरीका के बीच का सालाना व्यापार १०९ अरब डॉलर इतना है| प्रमुख देशों के साथ के व्यापार में भारत को वित्तीय घाटा सहना पड़ रहा है, इस बात को भारत ने भूलना नहीं चाहिए, इसकी याद ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने करवाई| यह घाटा यदि कम करना है, तो दुनिया का उत्पादनकेंद्र रहनेवाले चीन जैसे देश के साथ सहयोग किये बगैर भारत के पास और कोई चारा ही नहीं है| इससे भारत में अधिक विदेशी निवेश होगा और भारत इस कारण दुनिया से अधिक अच्छे तरीके सो जुड़ जायेगा, ऐसा दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है| आर्थिक विकास के मोरचे पर ‘शॉर्टकट’ नहीं रहता, इस बात को भारत ने याद रखना चाहिए, ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने ज़ोर देकर है|

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