भारत और सौदी अरब संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगे

नई दिल्ली – भारत और सौदी अरब की सेनाएं जल्द ही संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगी। इन दोनों देशों का यह पहला युद्धाभ्यास होगा और इसके लिए भारतीय सेना का दल सौदी पहुँच रहा है। इसी वित्तीय वर्ष में इस युद्धाभ्यास का आयोजना होगा। भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे ने दिसंबर में सौदी का दौरा किया था और इसके बाद दोनों देशों के इस युद्धाभ्यास के आयोजन को बड़ी सामरिक अहमियत प्राप्त होती दिख रही है। भारत का सौदी और खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों में बढ़ रहा प्रभाव अपने देश के लिए घातक होने की चिंता पाकिस्तान के पूर्व लष्करी अधिकारी एवं सामरिक विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

india-uae-war-exerciseसौदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारत में बड़ी मात्रा में निवेश कर रहे हैं। साथ ही भारतीय मनुष्यबल सौदी-यूएई समेत खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों में कार्यरत है। इसके साथ ही भारत ने सौदी एवं यूएई के साथ सहयोग को मज़बूती प्रदान करने की दिशा में धारणात्मक स्तर पर तेज़ कदम उठा रहा हैं, ऐसी चिंता पाकिस्तान व्यक्त कर रहा है। भारत का सौदी-यूएई पर प्रभाव बढ़ना यानी पाकिस्तान की विदेश नीति की नाकामयाबी साबित होती है, ऐसी चिल्ल्लाहट इस देश के विश्‍लेषक कर रहे हैं। तभी, पाकिस्तान के पूर्व राजनीतिक अधिकारी ने इस नाकामी का ठिकरा प्रधानमंत्री इम्रान खान की फंसी हुई विदेश नीति पर फोड़ा है।

इस पृष्ठभूमि पर, भारत और सौदी अरब के संयुक्त युद्धाभ्यास की खबर प्रसिद्ध हुई है। बीते वर्ष दिसंबर में भारत के सेनाप्रमुख ने सौदी अरब का दौरा किया था। इस दौरे में उन्होंने सौदी के सेना मुख्यालय को भी भेंट दी थी। अगले दिनों में भारत और सौदी का लष्करी सहयोग अधिक दृढ़ होने के संकेत इससे प्राप्त हुए थे। सौदी अरब की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के करीबन २० हज़ार सैनिक इस देश में तैनात रखे जाते है। लेकिन, अगले दिनों में सौदी अरब पाकिस्तान पर उतना भरोसा करने की संभावना नहीं रहेगी, ऐसी चिंता पाकिस्तान के पूर्व सेना अधिकारी व्यक्त कर रहे हैं।

सौदी में भारत के बढ़ रहे प्रभाव के कारण बेचैन हुए पाकिस्तान ने अपने पूर्व सेना अधिकारी बिलाल अकबर को सौदी का राजदूत घोषित किया था। राजनीतिक अधिकारी को सौदी के साथ पाकिस्तान के संबंध की मजबूती बरकरार रखने में प्राप्त हुई नाकामी के कारण सरकार यह निर्णय करने के लिए मज़बूर होने के दावे किए जा रहे हैं। तभी, कुछ पत्रकारों ने अब पाकिस्तान की सेना भी सौदी के साथ संबंधों में सुधार नहीं कर पाएगी, यह बात स्पष्ट की है।

प्रधानमंत्री इम्रान खान ने तुर्की के साथ संबंध बढ़ाकर सौदी और यूएई को ठेंस पहुँचाई थी। इसके झटके अब पाकिस्तान को लग रहे हैं। इसी कारण दोनों देशों ने पाकिस्तान को प्रदान किए कर्ज़ की राशि माँगना शुरू किया है, इस ओर यह पत्रकार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति में भारत के साथ सौदी के संबंध अधिक दृढ़ हो रहे हैं और दोनों देशों का हो रहा लष्करी युद्धाभ्यास भारत का खाड़ी क्षेत्र पर बढ़ रहा प्रभाव रेखांकित करनेवाली बात साबित होती है।

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