‘इंडो-पैसिफिक’ की सुरक्षा के लिए भारत-श्रीलंका-मालदीव की ‘इंटेलिजन्स शेअरिंग’ पर हुइ सहमति

कोलंबो – ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में चीन की हरकतों में बढ़ोतरी हो रही हैं तभी इसें प्रत्युत्तर देने के लिए भारत ने अलग अलग स्तरों पर मोर्चा बनाना शुरू किया हैं। इसके लिए पड़ोसी देशों से सहायता प्राप्त की जा रही हैं। शनिवार के दिन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने श्रीलंका और मालदीव के साथ की हुई बैठक इस सहयोग के स्पष्ट संकेत देनेवाली साबित हुई हैं। इस बैठक के दौरान ‘इंडो-पैसिफिक’ की सुरक्षा के लिए खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करने पर तीनों देशों की सहमति होने की जानकारी सूत्रों ने प्रदान की। ‘इंडो-पैसिफिक’ के मुद्दे के साथ ही आतंकवाद और सायबर सुरक्षा के मुद्दे पर भी इस दौरान चर्चा होने की बात कही जा रही हैं।

india-srilanka-maldivesभारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल शुक्रवार के दिन श्रीलंका दौरे पर रवाना हुए। इसके बाद उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष गोताबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और रक्षामंत्री कमल गुणरत्ने से भेंट करके द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान श्रीलंका में हो रहा भारत का निवेश, अलग अलग प्रकल्पों के साथ अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की जानकारी श्रीलंका ने साझा की।

शनिवार के दिन भारत, श्रीलंका और मालदीव के चौथें ‘ट्रायलैटरल मीटिंग ऑन मेरिटाईम सिक्युरिटी को-ऑपरेशन’ का आयोजन किया गया। इससे पहले ऐसी बैठक छह वर्ष पहले २०१४ में हुई थी। इस वजह से श्रीलंका में हुई इस बैठक को विशेष अहमियत प्राप्त हुई थी। इस बैठक के लिए बांगलादेश, मॉरिशस और सेशस्ल यह देश बतौर निरीक्षक ‘वर्चुअली’ शामिल हुए थे।

इस दौरान तीनों देशों ने हिंद महासागर के क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान करने को मंजूरी देने का ऐलान किया। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने इस दौरान समुद्री सुरक्षा के साथ ही अन्य मुद्दों के सहयोग का समावेश करने का प्रस्ताव रखा। श्रीलंका और मालदीव इन दोनों देशों ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी हैं और समुद्री सुरक्षा के साथ ही आतंकवाद, सायबर सुरक्षा, नशिलें पदार्थ एवं हथियारों की तस्करी और आर्थिक धांदली के मामलें सुलझाने में सहायता करने के मुद्दे भी इसमें शामिल किए गए हैं।

श्रीलंका में हुई यह त्रिपक्षीय बैठक भारत की ‘इंडो-पैसिफिक’ नीति का अहम चरण साबित होती हैं। बीते वर्ष से चीन ने इस क्षेत्र में आक्रामक गतिविधियां बढ़ाई हैं और इसे रोकने के लिए अमरीका के साथ भारत ने भी पहल करना शुरू किया हैं। अमरीका के नेतृत्व में तैयार किया गया ‘क्वाड’ का गुट इसका स्पष्ट नमूना हैं और हाल ही में हुआ नौसेनाओं का ‘मलाबार’ युद्धाभ्यास ‘क्वाड’ के बढ़ रहें सहयोग का संकेत समझा जा रहा हैं। साथ ही भारत ने हिद महासागर क्षेत्र के छोटे देशों को साथ मिलाकर चीन के विरोध में मज़बूत गठबंधन करने की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू किया हैं। श्रीलंका और मालदीव के साथ बढ़ रहा सहयोग उसी का हिस्सा बनता हैं।

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