संयुक्त राष्ट्रसंघ का मानवाधिकार आयोग चीन के मन में ख़ौंफ़ पैदा करनेवाली कार्रवाई करें -‘आयसीजे’ के अध्यक्ष की माँग

लंडन – ‘जागतिक महासत्ता बनने के लिए चीन ने साज़िश रचकर सारी दुनिया को भयंकर संकट के खाई में धकेला है। इस संक्रमण के बारे में सारी दुनिया को अंधेरे में रखनेवाले चीन ने मानवता के ख़िलाफ़ अक्षम्य गुनाह किया है। इसकी सज़ा के रूप में चीन से प्रचंड मुआवज़ा वसूल करना ही पड़ेगा, ऐसी माँग ‘इंटरनॅशनल कौन्सिल ऑफ जुरीस्ट’ (आयसीजे) के अध्यक्ष अदिश सी. अग्गरवाला ने की है।

दुनियाभर में हाहाकार मचानेवाले कोरोनावायरस का उद्गमस्थान चीन ही होने के दावे तथा आरोप अब तीव्र होने लगे हैं सभी देश और आंतर्राष्ट्रीय संगठनों का चीन के ख़िलाफ़ का ग़ुस्सा उबलकर बाहर निकल रहा है। दुनियाभर के न्यायमूर्तिओं और विधिज्ञों का लंडनस्थित आंतर्राष्ट्रीय संगठन होनेवाले ‘आयसीजे’ के प्रमुख ने की इस माँग से दुनियाभर की आम जनता का ग़ुस्सा व्यक्त हो रहा है।

‘इस संक्रमण का फैलाव चीन के वुहान तक ही कैसे सीमित रहा? चीन के अन्य प्रांतों में उसका क्यों नहीं फ़ैलाव हुआ? लेकिन दुनियाभर में यह संक्रमण फ़ैल गया, यह सबकुछ रहस्यमयी ही है’, ऐसा ताना मारकर अग्गरवाला ने चीन पर गंभीर आरोप किये हैं।

‘इस संक्रमण के ज़रिये या जैविक युद्ध पुकारकर अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाना और खुद जागतिक महासत्तापद के सिंहासन पर विराजमान होना, ऐसी चीन कीचाल थी। इस कारण चीन ने जानबूझकर जागतिक स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को इस महामारी के बारे में बहुत देर बाद सूचित किया’, ऐसा दोषारोपण अग्गरवाला ने किया। उसीके साथ, ‘कोरोनावायरस यह महामारी है ही नहीं’ यह ‘डब्ल्यूएचओ’ के गले उतारने के लिए बहुत कुछ छिपानेवाले चीन ने आंतर्राष्ट्रीय नियमों का खुले आम उल्लंघन किया होने का आरोप अग्गरवाला ने किया।

चीन की वजह से ही दुनिया पर आर्थिक संकट टूट पड़ा होकर, कई लोगों का रोज़गार चीन के कारण ही छीना गया है, ऐसी तीख़ी आलोचना अग्गरवाला ने की। दुनियाभर में ६५,००० लोगों की जानें लेनेवाले और दुनिया के आर्थिक इंजन को ठप करनेवाले चीन की हुक़ूमत, लष्कर और वुहान की संबंधित यंत्रणाओं को मानवाधिकार संगठन ज़िम्मेदार ठहरायें और पूरी दुनिया को हिलाकर रख देनेवाले चीन के मन में प्रचंड खौंफ़ पैदा हों, इतने प्रचंड मुआवज़े की रक़म उससे वसूल करें, ऐसी आग्रही माँग ‘आयसीजे’ के अध्यक्ष अग्गरवाला ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवाधिकार आयोग के पास की है।

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