लिबिया-तुर्की की चुनौतियों के विरोध में इजिप्ट द्वारा नए नौसेना अड्डे का निर्माण

काबुल – लिबिया में अस्थिरता बढ़ रही होकर, उसका ठेंठ असर इजिप्ट की सुरक्षा पर हो रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, भूमध्य सागर में स्थित अपने हितसंबंधों को लिबिया से रहनेवाले खतरे को मद्देनजर रखकर इजिप्ट ने नए नौसेना अड्डे का निर्माण शुरू किया है। इस नौसेना अड्डे के कारण इजिप्ट के आर्थिक हितसंबंध सुरक्षित रखे जायेंगे, ऐसा दावा किया जाता है। वहीं, भूमध्य सागर में स्थित इजिप्ट का यह नौसेना अड्डा तुर्की को चुनौती देगा, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

libya-turkey-egyptउत्तरी इजिप्ट के गरघौब बंदरगाह के पास ‘थर्ड ऑफ जुलै’ इस नौसेना अड्डे का निर्माण शुरू हुआ है। बड़े युद्धपोतों की तैनाती के लिए इस अड्डे का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके फोटोग्राफ स्थानिक माध्यमों में जारी हुए हैं। लिबिया की सीमा से महज २५० किलोमीटर की दूरी पर होनेवाला यह अड्डा इजिप्ट की ‘नॉर्दन फ्लिट’ का भाग होगा। इस अड्डे का काम कब पूरा होगा, इसकी जानकारी इजिप्ट के रक्षा बलों ने नहीं दी है। लेकिन इस अड्डे के उद्घाटन के लिए, इजिप्ट के राष्ट्राध्यक्ष अब्देल फताह अल-सिसी ने जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला दूसरे इन्हें आमंत्रित किया होने की जानकारी सामने आई है।

इजिप्ट की सरकार बना रहे इस नौसेना अड्डे का पूर्व नौसेना अधिकारी और विश्लेषकों ने स्वागत किया है। ‘लिबिया यह देश इजिप्ट की सुरक्षा के लिए खुलेआम और स्पष्ट खतरा साबित होने लगा है। इस पृष्ठभूमि पर, लिबिया से मिल रही चुनौतियों का जवाब देने के लिए और इस क्षेत्र में स्थित इजिप्ट के आर्थिक हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए इस नौसेना अड्डे का निर्माण आवश्यक साबित होता है’, ऐसा इजिप्ट के पूर्व नौसेना अधिकारी ऍडमिरल मोहम्मद मितवाली ने कहा है।

भूमध्य सागर से जुड़ा हुआ इजिप्ट का यह दूसरा नौसेना अड्डा होगा। सुएझ नहर के उत्तरी भाग में पोर्ट सैद यह इजिप्ट का सबसे पुराना बंदरगाह और नौसेना अड्डा है। इसके अलावा इजिप्ट ने कुछ छोटे नौसेना अड्डे विकसित किए थे। लेकिन साल भर पहले ही इजिप्ट ने रेड सी के क्षेत्र में ‘बर्निस’ में अपनी नौसेना के लिए एक और अड्डे का निर्माण किया था। रेड सी और बाब अल-मन्देब की खाड़ी से होनेवाली सागरी यातायात की सुरक्षा के लिए इस अड्डे का निर्माण किया गया था। वहीं, गरघौब स्थित ‘थर्ड ऑफ जुलै’ यह इजिप्ट की नौसेना का तीसरा बड़ा अड्डा होने का दावा किया जाता है । यह अड्डा इजिप्ट के लिए सामरिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण साबित होगा, ऐसा दावा पूर्व लष्करी अधिकारी जनरल नस्र सालेम ने किया।

लिबिया से होने वाला ठेंठ खतरा यह इजिप्ट के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात मानी जाती है। सन २०११ में मुअम्मर गद्दाफी की हत्या के बाद लिबिया हमेशा ही अस्थिर रहा है। इसका ठेंठ असर लिबिया और इजिप्ट के बीच की १,२५० किलोमीटर लंबाई की सीमा की सुरक्षा पर हो रहा है, ऐसी आलोचना इजिप्ट कर रहा है।

उसी में सन २०१९ में तुर्की ने लिबिया के गृहयुद्ध में शामिल होकर, इस देश में सिरिया के आतंकी और कट्टरपंथियों की घुसपैंठ कराई होने का आरोप किया जाता है । तुर्की की दखलअंदाजी के कारण अपनी सुरक्षा को होनेवाला खतरा बढ़ा है, ऐसा दोषारोपण इजिप्ट ने किया है। वहीं, भूमध्य सागर में स्थित इजिप्ट के हितसंबंधों को भी तुर्की द्वारा चुनौती मिल रही है। इस पृष्ठभूमि पर, लिबिया और भूमध्य सागर के तुर्की द्वारा मिल रही चुनौतियों को मद्देनजर रखते हुए, इजिप्ट ने अपनी नौसेना के लिए नया अड्डा विकसित करने का फ़ैसला किया है। आनेवाले समय में इसके बहुत बड़े सामरिक लाभ इजिप्ट को मिल सकते हैं।

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