लिबियन बाग़ियों द्वारा तुर्की को युद्ध की धमकी

त्रिपोली – लिबिया में सेना तैनाती की अवधि बढ़ानेवाले तुर्की को लिबियन बाग़ी नेता खलिफा हफ्तार ने धमकाया है। ‘तुर्की के उपनिवेशवाद का समय ख़त्म हुआ है। अत: तुर्की लिबिया से चला जायें अथवा युद्ध के लिए तैयार रहें’, ऐसी धमकी हफ्तार ने दी। वहीं, यदि लिबिया में तुर्की के जवानों को लक्ष्य किया, तो हफ्तार बाग़ी तथा उनके समर्थकों को लक्ष्य किया जायेगा, ऐसी चेतावनी तुर्की के रक्षामंत्री हुलूसी अकार ने दी। तुर्की के रक्षामंत्री की यह चेतावनी हफ्तार बाग़ियों के साथ रशिया, फ्रान्स, युएई तथा ईजिप्ट के लिए भी होने का दावा किया जाता है।

libya-turkeyतुर्की के रक्षामंत्री हुलूसी अकार ने दो दिन पहले लिबिया का दौरा किया। लिबिया की फयज सराज सरकार के साथ रक्षा सहयोग समझौता करने के लिए अकार का यह दौरा है, ऐसी घोषणा तुर्की ने की थी। अकार के इस दौरे से पहले तुर्की की संसद ने, लिबियन सरकार को शस्त्रास्त्र बिक्री करने के साथ, इस उत्तरी अफ्रिकी देश में तुर्की की लष्करतैनाती की अवधि १८ महीने से बढ़ाने का प्रस्ताव भी मंज़ूर किया था। इस निर्णय के कारण लिबिया में तुर्की के जवानों के साथ काँट्रॅक्ट जवानों की तैनाती भी डेढ़ साल के लिए बढ़ी थी।

अक्तूबर महीने में लिबिया की सरकार और बाग़ियों में हुए संघर्षबंदी समझौते के अनुसार, तीन महीने की कालावधि में लिबिया में तैनात विदेशी तथा काँट्रॅक्ट जवानों को वापस भेजना आवश्यक था। इनमें तुर्की, रशिया के काँट्रॅक्ट जवानों का समावेश था। इस कारण तुर्की ने, लिबिया में अपनी सेनातैनाती तथा काँट्रॅक्ट जवान और सिरिया में कट्टरपंथियों की तैनाती १८ महीनों के लिए क़ायम रखने का फ़ैसला घोषित किया। इससे खौल उठे लिबियन बाग़ियों ने तुर्की पर संघर्षबंदी का उल्लंघन करने का आरोप किया है।

तुर्की के इस निर्णय पर ग़ुस्सा ज़ाहिर करके, लिबिया के बाग़ी संगठन का सरगना जनरल खलिफा हफ्तार ने तुर्की को लिबिया छोड़कर जाने का इशारा दिया। ‘तुर्की के जवान लिबिया में तैनात हैं, तब तक इस देश में शांति और सुरक्षा स्थापित नहीं हो सकती। तुर्की के जवानों की लिबिया में तैनाती, यह हमारे देश का अपमान है’, ऐसी आलोचना हफ्तार ने की। तुर्की की सरकार यदि संघर्षबंदी के नियमों का पालन नहीं करेगी, तो लिबिया में शांति स्थापित करने के लिए हम पुन: शस्त्र हाथ में लेने के लिए तैयार हैं, ऐसी चेतावनी हफ्तार ने दी।

राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन लिबिया को तुर्की का उपनिवेश बनाने की इच्छा रखते हैं, ऐसा आरोप हफ्तार ने किया। लेकिन, ‘उपनिवेशवादी तुर्की के पास दो विकल्प उपलब्ध हैं; या तो वे शांति से लिबिया से वापसी करें या फिर बलप्रयोग द्वारा निकाल बाहर होने के लिए तैयार रहें’, ऐसा हफ्तार ने जताया। उसीके साथ, तुर्की और तुर्की के काँट्रॅक्ट जवान लिबिया में युद्ध की तैयारी कर रहे होने का आरोप बाग़ी नेताओं ने किया। तुर्की यदि पहली गोली चलाता है, तो वह मौत के लिए भी तैयार रहें, ऐसी चेतावनी हफ्तार ने दी।

libya-turkeyलिबियन बाग़ियों के प्रमुख ने चेतावनी दी, उस समय तुर्की के रक्षामंत्री अकार लिबिया में ही थे। रक्षामंत्री अकार ने लिबिया में तुर्की की सेनातैनाती का समर्थन किया। साथ ही, यदि तुर्की के जवानों को अथवा हितसंबंधों को ठेंस पहुँची, तो हफ्तार बाग़ी और उनके समर्थकों को लक्ष्य किया जायेगा, ऐसी घोषणा अकार ने की।

सन २०११ में लिबिया में भड़के गृहयुद्ध में कट्टरपंथियों ने तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी की सत्ता का तख़्ता पलटकर उनकी हत्या की थी। उसके बाद इन्हीं कट्टरपंथीय गुटों में लिबिया की सत्ता के लिए संघर्ष भड़का था। पाँच साल पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सराज की कट्टरपंथी गठबंधन सरकार को मान्यता दी, लेकिन इस निर्णय के कारण लिबिया के लष्कर में दो बड़े गुट तैयार हुए। जनरल हफ्तार के साथ एकनिष्ठ होनेवाले बाग़ियों ने सराज सरकार के विरोध में बग़ावत की और तबसे लिबिया में यह संघर्ष जारी था। महीनेभर की संघर्षबंदी के बाद लिबिया फिर एक बार गृहयुद्ध में धकेला जाने की संभावना बढ़ी है।

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