सिर्फ भौगोलिक स्थिति के कारण शरणार्थियों का पूरा भार हमारे ऊपर ना पड़े – यूरोपिय महासंघ के ‘मेड ५’ गुट की माँग

अथेन्स – सिर्फ भौगैलिक स्थिति की वजह से शरणार्थियों का पूरा भार हमारे ऊपर ड़ालने की सज़ा ना दी जाए, ऐसे आक्रामक शब्दों में यूरोपिय महासंघ के ‘मेड ५’ गुट ने शरणार्थियों से संबंधित नीति में बदलाव करने की माँग बड़ी तीव्रता से रखी है। इस हफ्ते में महासंघ की विशेष बैठक का आयोजन हो रहा है और इसमें तुर्की के साथ संबंधों का मुद्दा केंद्र में रखने के संकेत प्राप्त हुए हैं। ऐसी स्थिति में शरणार्थियों के मुद्दे पर यूरोपिय महासंघ में बने मतभेद फिर से सामने आते हुए दिख रहे हैं।

eu-made-fiveबीते दशक में जर्मनी की चान्सेलर एंजेला मर्केल ने खाड़ी और अफ्रीकी देशों से पहुँच रहे शरणार्थियों के लिए ‘ओपन डोर पॉलिसी’ का ऐलान किया था। इस नीति की वजह से लाखों शरणार्थियों ने यूरोप में अवैध घुसपैठ की थी। शरणार्थियों के झुंड़ बढ़ने के बाद महासंघ के सदस्य देशों ने इसे जोरदार विरोध करना शुरू किया था। कई देशों ने महासंघ को खुली चुनौती देकर अपनी सीमा शरणार्थियों के लिए बंद की थी।

शरणार्थियों के झुंड़ रोकने के लिए वर्ष २०१६ में महासंघ ने तुर्की के साथ समझौता किया था। इस दौरान यूरोपिय देशों ने ठुकराए शरणार्थियों को तुर्की पनाह दे और इसके बदले में महासंघ इस देश को अरबों यूरोस का निधी प्रदान करे, यह बात तय हुई थी। लेकिन, इस समझौते का ठीक तरीके से अमल नहीं हुआ है और तुर्की इस समझौते की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है, ऐसा आरोप यूरोपिय देश कर रहे हैं। इस वजह से इस समझौते में सुधार करने की तैयारी शुरू हुई है।

इस पृष्ठभूमि पर ‘मेड ५’ गुट की बैठक ध्यान आकर्षित कर रही है। शरणार्थियों के मुद्दे पर महासंघ उचित संज्ञान नहीं ले रहा है और इसी कारण एकसाथ आवाज़ उठाने के लिए ‘मेड ५’ गुट का गठन किया गया था। इस गुट में ग्रीस, स्पेन, इटली, सायप्रस और माल्ट देशों का समावेश है। इन देशों ने अपनी माँगें बड़ी तीव्रता से रखी हैं। इस समझौते के बदलाव के साथ अन्य यूरोपिय देश अधिक शरणार्थियों की ज़िम्मेदारी स्वीकारें, इस माँग का भी समावेश है।

eu-made-five‘मौजूदा समझौता भूमध्य समुद्री क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले प्रमुख देशों को उचित न्याय प्रदान करने में नाकाम रहा है। इस वजह से महासंघ ने इसके आगे सौहार्दता और ज़िम्मेदारी का संतुलन बनाने की आवश्‍यकता है’, ऐसा निवेदन ‘मेड ५’ गुट ने जारी किया है। इस गुट ने तुर्की पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। तुर्की ने शरणार्थियों को पूरी योजना के तहत यूरोप में धकेलने की गतिविधियाँ शरू की हैं, ऐसा आरोप सायप्रस ने लगाया है।

फिलहाल तुर्की में करीबन ३५ लाख सीरियन शरणार्थी होने की बात कही जा रही है। लेकिन, इन शरणार्थियों का इस्तेमाल तुर्की किसी हथियार की तरह कर रहा है, यह बात बीते कुछ वर्षों से लगातार सामने आयी है। महासंघ के समावेश के मुद्दे से ग्रीस के साथ सीमा विवाद की घटना तक हर समय पर तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने शरणार्थियों के झुंड़ यूरोप में घुँसाने की धमकियाँ दी हैं। एर्दोगन की इस भूमिका पर महासंघ में तीव्र नाराज़गी है और फ्रान्स समेत कई देशों ने तुर्की पर कार्रवाई करने की माँग की है।

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