रशिया-जर्मनी-तुर्की-फ़्रांस से सीरिया में दीर्घकाल संघर्षबंदी लागू करने का आवाहन

Third World Warइस्तांबुल – ‘सीरिया में शांति प्रस्थापित करनी है तो उसके लिए सीरिया के गुटों में दीर्घकालीन संघर्षबंदी लागू करनी पड़ेगी। इसके लिए सीरिया के सभी राजनीतिक समूह एकजुट होकर शांति चर्चा में शामिल होना आवश्यक है’, ऐसा संयुक्त निवेदन रशिया, जर्मनी, तुर्की और फ़्रांस ने प्रसिद्ध किया है। सीरिया विषयक चर्चा करने के लिये तुर्की में रशिया, जर्मनी और फ़्रांस के राष्ट्रप्रमुखों की विशेष बैठक का आयोजना किया गया था। इस बैठक से अमरिका को बाहर रखा गया था।

सीरिया के संघर्ष में अमरिका और इस्राइल के साथ तनाव बढ़ रहा है, ऐसे में रशिया ने यूरोपीय देशों का समर्थन पाने के लिए कोशिशें शुरू की हैं। इसके लिए रशिया ने तुर्की की मध्यस्थता से जर्मनी और फ़्रांस के नेताओं के साथ संयुक्त बैठक का आयोजन किया था। शनिवार को तुर्की के इस्तांबुल में हुई इस बैठक में रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने सीरिया के अस्साद राजवट की भूमिका को सामने रखा। साथ ही सीरिया में स्थिरता प्रस्थापित करने के लिए तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन भी कोशिश कर रहे हैं, ऐसा पुतिन ने कहा है।

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और फ़्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युअल मैक्रॉन ने सीरिया के बारे में पश्चिमी देशों की स्पष्ट भूमिका रखी है। सीरिया में सरकार स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इसके पहले ही निर्देशित किये नियमों का रशिया और तुर्की पालन करेंगे, ऐसी अपेक्षा है, ऐसा मैक्रॉन ने कहा। सीरिया के सभी राजनीतिक गुटों में चुनाव लिए जाएँ और सीरिया में लोकनियुक्त सरकार स्थापित की जाए। साथ ही सीमा इलाके में संघर्षबंदी लागू की जाए, ऐसा राष्ट्रसंघ ने सुझाव दिया है।

संघर्षबंदी, शांति चर्चा, अस्साद राजवट, संयुक्त राष्ट्रसंघ, विरोध, सीरिया, इस्राइल, अमरिकाइसमें से सीरिया के आगामी सरकार में अस्साद को प्रमुख स्थान होना चाहिए, ऐसी माँग रशिया और ईरान ने की थी। पिछले कुछ हफ़्तों से सीरिया के इदलिब सीमा के पास के इलाकों पर कब्जा पाने के लिए रशिया और सीरिया की तरफ से हमले शुरू हैं। उस वजह से रशिया और सीरिया की तरफ से राष्ट्रसंघ की सूचनाओं का उल्लंघन हो रहा है, इसकी याद मैक्रॉन ने कराके दी है।

इस वजह से सीरिया में संघर्षबंदी के मुद्दे पर यह चार देश एक हुए हैं, लेकिन उनके बीच अभी भी पूरी तरह से एकवाक्यता नहीं है, ऐसा दिखाई दे रहा है। ऐसे में सीरिया के बारे में अमरिका की भूमिका पूरी तरह से अलग है और अस्साद राजवट का अंत हुए बगैर सीरिया में शांति नहीं प्रस्थापित होगी, ऐसा अमरिका का कहना है।

अपने कार्यकाल के शुरुआत में अस्साद के बारे में नर्म भूमिका अपनाने वाले अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प अब अस्साद को हटाने पर कायम हैं। उस वजह से रशिया, जर्मनी, फ़्रांस और तुर्की ने सीरिया की संघर्षबंदी के बारे में बड़ी अपेक्षाएँ व्यक्त की हैं, लेकिन अमरिका की इस बारे में भूमिका सबसे महत्वपूर्ण साबित होगी। साथ ही सीरिया की अस्साद राजवट और सीरिया पर ईरान के वर्चस्व को तीव्र विरोध करने वाले इस्राइल की भूमिका भी अमरिका की तरह ही है और इस वजह से सीरिया के संघर्ष में शामिल होने वाले देशों के मोर्चों में बदलाव होने के संकेत मिल रहे हैं।

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