अमरीका ने क्युबा का आतंकवाद के समर्थक देशों की सूचि में किया समावेश

वॉशिंग्टन/हवाना – अपराधिक गतिविधियां करनेवाले गुटों को पनाह देने में शामिल होने का आरोप लगाकर अमरीका ने क्युबा का समावेश ‘स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेरर’ की सूचि में किया है। अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने इसका ऐलान किया। अमरीका के भावी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने क्युबा के साथ संबंधों में सुधार करने का आश्‍वासन दिया था। लेकिन, ट्रम्प प्रशासन की इस कार्रवाई की वजह से बायडेन के सामने नई बाधाएं निर्माण होने की बात कही जा रही है।

बीते शतक में फिडेल कैस्ट्रो के नेतृत्व में बगावत के बाद क्युबा में कम्युनिस्ट हुकूमत का गठन हुआ था। इसके बाद १९६० के दशक में अमरीका ने क्युबा पर बड़ी मात्रा में प्रतिबंध लगाकर उसका समावेश आतंकवाद का समर्थन करनेवाले देशों की सूचि में किया था। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने क्युबा पर लगाए प्रतिबंध हटाने के लिए पहल की थी।

वर्ष २०१५ में ओबामा ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक से पहले क्युबा के उस समय राष्ट्राध्यक्ष रहे रौल कैस्ट्रो से भेंट की थी। इसके बाद वर्ष २०१६ में ओबामा ने क्युबा पर लगाए प्रतिबंध हटाकर कैस्ट्रो से अधिकृत भेंट की थी। इसके बाद क्युबा में विदेश निवेश, पर्यटन और अन्य मुद्दों पर लगाए नियम शिथिल किए गए थे। भावी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने भी अमरिकी और क्युबन जनता के बीच आर्थिक कारोबार शुरू करने के लिए पहल करने का आश्‍वासन दिया था। लेकिन, विदेशमंत्री पोम्पिओ ने मंगलवार के दिन किए ऐलान ने बायडेन और उनके प्रशासन के सामने मुश्‍किलें खड़ी होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

‘क्युबा की कैस्ट्रो हुकूमत क्युबन जनता का दमन कर रही है और इसके लिए सहायक साबित होनेवाली चीज़ें प्राप्त ना हो सकें, यही भूमिका ट्रम्प प्रशासन ने पहले से ही अपनाई थी। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने क्युबा से वेनेज़ुएला समेत अन्य देशों में हो रही गतिविधियों का कड़ा विरोध किया था। नई कार्रवाई इसी का हिस्सा है और इससे क्युबा की सरकार को उचित संदेश दिया गया है। कैस्ट्रो की हुकूमत अमरीका विरोधी गतिविधियां बंद करे और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का समर्थन करना भी बंद करे’, इन शब्दों में विदेशमंत्री पोम्पिओ ने क्युबा के विरोध में हो रही कार्रवाई का समर्थन किया।

अमरीका की इस कार्रवाई पर क्युबा ने तीखी प्रतिक्रिया दर्ज़ की है और यह निर्णय राजनीतिक अवसरवादी हैं, यह आरोप विदेश विभाग ने किया है।

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