श्रीलंका में चल रहे चीन के प्रोजेक्ट से भारत की सुरक्षा को खतरा – विदेश मंत्रालय की श्रीलंका को फटकार

भारत की सुरक्षानई दिल्ली – श्रीलंका की कोलंबो पोर्ट सिटी का प्रोजेक्ट चीन को बहाल किया गया है। गुरुवार को श्रीलंका ने इसकी घोषणा की। श्रीलंका में चल रहे चीन के इस प्रोजेक्ट से भारत की सुरक्षा को खतरा संभव है। इसकी गंभीर दखल भारत के विदेश मंत्रालय ने ली है। भारत के साथ स्थापित उत्तम द्विपक्षीय संबंधों का श्रीलंका विचार करेगी और दोनों देशों की सुरक्षा और पर्यावरण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं इसका एहसास श्रीलंका रखेगी कामा ऐसी उम्मीद जाहिर करके भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने श्रीलंका को खरी-खरी सुनाई। भारत के उपनौदलप्रमुख जी. अशोक कुमार ने भी, श्रीलंका में चल रहा चीन का यह प्रोजेक्ट भारत की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, ऐसा जताया है।

श्रीलंका और चीन के बीच लगभग १.४ अरब डॉलर्स का कोलंबो पोर्ट सिटी प्रोजेक्ट घोषित किया गया। चीन की सागरी ‘सिल्क रोड’ इस महत्वकांक्षी परियोजना में इस प्रोजेक्ट को बहुत बड़ा स्थान होने की बात बताई जाती है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के प्रोजेक्ट यानी और कुछ ना होकर, भारत के विरोध में घेराबंदी साबित होती है, ऐसा सामरिक विश्लेषकों का कहना है। श्रीलंका के विपक्षियों ने भी चीन के इस प्रोजेक्ट का सख्त विरोध किया है। यह प्रोजेक्ट यानी श्रीलंका में चीन का उपनिवेश बनेगा, ऐसा डर विपक्षियों ने जताया है। फिर भी यह प्रोजेक्ट घोषित करके भारत के विरोध में मोरचा बनाने के लिए चीन की सहायता करनेवाली श्रीलंका की सरकार को भारत ने खरी खरी सुनाई।

कोलंबो पोर्ट सिटी प्रोजेक्ट विषयक गतिविधियों की ओर भारत अपनी सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत ही बारीकी से देख रहा है। भारत के साथ होनेवाले अपनी उत्तम द्विपक्षीय संबंधों का श्रीलंका विचार करेगी और दोनों देशों की सुरक्षा और पर्यावरण विषयक हितसंबंध एक-दूसरे से दृढ़तापूर्वक जुड़े हुए हैं और उसमें सागरी सुरक्षा का भी समावेश है, इस बात पर भारत की सुरक्षाभी श्रीलंका गौर करेगी, ऐसी उम्मीद भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जाहिर की। भारतीय नौसेना ने भी यह चेतावनी दी है कि वह भी इन गतिविधियों पर अपनी नजर रखे हुए है।

भारतीय नौसेना के व्हाईस ऍडमिरल जी. अशोक कुमार ने यह जताया कि श्रीलंका में चीन की नौसेना को मिला नया प्रोजेक्ट यानी भारत की सुरक्षा के सामने खड़ा खतरा साबित होता है। इसकी और बहुत ही गंभीरता से देखना आवश्यक है, ऐसा व्हाईस ऍडमिरल जी. अशोक कुमार ने स्पष्ट किया। लेकिन भारतीय नौसेना देश की सारी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए बहुत ही सतर्क है और भारतीय नौसेना को किसी के भी चौकाने की संभावना नहीं है। दशकभर पहले की तुलना में आज के दौर में भारतीय नौसेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए अधिक सुसज्जित है, ऐसे शब्दों में उपनौसेनाप्रमुख ने चीन को चेतावनी दी।

सागरी मार्ग से मुंबई पर हुए २६/११ के आतंकवादी हमले के बाद सतर्क हुई भारतीय नौसेना ने, अपनी क्षमता में भारी मात्रा में बढ़ोतरी की है। सागरी सुरक्षा के लिए नेटवर्क का निर्माण करके गश्त अधिक बढ़ाई गई है, इस पर उपनौसेनाप्रमुख ने गौर फरमाया। इसी बीच, भारत के सागरी क्षेत्र के पास से गुज़रनेवाले जहाज़ों पर नज़र रखने के लिए ‘एमक्यू-९ सी गार्डियन’ इन दो प्रिडेटर डोन्स की सहायता ली जा रही है। इस विशाल सागरी क्षेत्र में गश्त के लिए इसका बहुत बड़ा फायदा मिल रहा है। इस कारण सागरी क्षेत्र में चीन और जापान जैसे देशों के जहाज़ों की जानकारी तो मिल ही रही है। साथ ही, नियमों का पालन न करनेवाले जहाज़ भी दर्ज़ हो रहे हैं, ऐसा उपनौसेनाप्रमुख जी. अशोक कुमार ने कहा।

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