हिंद महासागर में जारी चीन की गतिविधियां अस्थिरता निर्माण करेंगी – लष्करी विश्‍लेषकों का इशारा

कोलकाता – पिछले कई वर्षों से चीन की ‘पीपल्स लिब्रेशन आर्मी’ (पीएलए) हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना अड्डा स्थापित करने की कोशिश में जुटी है। चीन की यह गतिविधियां इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रभावित करेंगी, यह इशारा लष्करी विश्‍लेषकों ने दिया है। चीन की इस विस्तारवादी हरकतों को रोकना है तो भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड’ के सदस्य देशों में लष्करी सहयोग बढ़ाना आवश्‍यक होने का सुझाव इन विश्‍लेषकों ने रखा है।

Indian-Ocean-China‘नैशनल डिफेन्स कॉलेज’ के कमांडंट और भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी वाइस एडमिरल प्रदीप कौशिव एवं अन्य कुछ लष्करी विश्‍लेषकों ने एक वेबिनार के अवसर पर हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ रही चीन की गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की है। ‘पीएलए’ की सामरिक योजनाओं के बलबूते पर हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी गतिविधियां शुरू की हैं, इस मुद्दे पर कौशिव ने ध्यान आकर्षित किया। चीन से भौगोलिक दूरी कम करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना अड्डों की चेन स्थापित करना चीन का लक्ष्य है। इसके हिंद महासागर क्षेत्र में जारी चीन की आक्रामक राजनयिक एवं लष्करी गतिविधियां इस क्षेत्र की शांति व्यवस्था पर असर कर सकती हैं, इस ओर कौशिव ने ध्यान आकर्षित किया।

ऐसी स्थिति में चीन के विस्तारवाद का प्रभाव रोकना है और इस क्षेत्र की सुरक्षा करनी है तो भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन चार देशों के ‘क्वाड’ में लष्करी सहयोग स्थापित करना आवश्‍यक होने की बात कौशिव ने कही। तभी ऑस्ट्रेलिया के ‘नैशनल सिक्युरिटी कॉलेज’ के अभ्यासक डेविड ब्य्रुअर ने भी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की राजनयिक और सामरिक गतिविधियों से सावधानी बरतने की सलाह दी। साथ ही चीन की आक्रामक गतिविधियों को रोकने के लिए ‘क्वाड’ ने अहमभूमिका निभाना आवश्‍यक होने की बात ब्य्रुअर ने कही।

श्रीलंका की नौसेना के पूर्व कमांडर और विश्‍लेषक यानाथ कोलोंबेज ने भी हिंद महासागर क्षेत्र में जारी चीन की गतिविधियों पर अपना देश नाराज़ होने की बात स्पष्ट की। चीन ने श्रीलंका के हंबांटोटा बंदरगाह में 85% हिस्सा खरीद किया है लेकिन, फिर भी इस बंदरगाह पर श्रीलंका के मालिकाना हक हैं और इस बंदरगाह पर चीन का जरा भी हक नहीं है। साथ ही श्रीलंका इस बंदरगाह का भारत के विरोध में इस्तेमाल करने नहीं देगी, यह बात भी कोलोंबेज ने स्पष्ट की। श्रीलंका की सरकार ने भी हंबांटोटा से संबंधि अपनी भूमिका स्पष्ट की है।

इसी बीच भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड’ सदस्य देशों का सहयोग आर्थिक सहयोग तक ही सीमित ना रहे, यह आवाहन अमरीका कर रही है। भारत, अमरीका और जापान की नौसेना के मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करके इस सहयोग को नई ऊंचाई देने की माँग अमरीका ने रखी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.