हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती बढ़ाकर भारत ने दिया चीन को संदेश – रक्षा क्षेत्र के वरिष्ठ सूत्र से

नई दिल्ली – हिंद महासागर क्षेत्र में अपने सभी प्रमुख युद्धपोत और पनडुब्बियों की आक्रामकता के साथ में तैनात करके भारत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। भारतीय नौसेना की इस तैनाती से दिया गया संदेश चीन तक पहुँचने का दावा वरिष्ठ सेना अधिकारी ने किया। साथ ही भविष्य की चुनौतियों का विचार करके भारतीय नौसेना द्वारा तीसरी विमान वाहक युद्धपोत की माँग दर्ज़ करने का समाचार है।

हिंद महासागर

गलवान वैली के संघर्ष के बाद सेना और वायुसेना के साथ नौसेना की तैनाती में भी बढ़ोतरी की गई है। यह बढ़ोतरी चीन को संदेश देनेवाली साबित होती है। सेना, वायुसेना और नौसेना की आक्रामक तैनाती के साथ राजनीतिक एवं आर्थिक प्रावधान करके लद्दाख में चीन की कोई भी हरकत बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी, ऐसा स्पष्ट इशारा दिया गया है। तीनों रक्षाबलों के प्रमुख समन्वय रखने के लिए एवं चीन को आवश्‍यक संदेश देने के लिए नियमितरूप से चर्चा कर रहे हैं, यह जानकारी वरिष्ठ सेना अधिकारी ने प्रदान की है।

नौसेना ने मलाक्का के सागरी क्षेत्र के करीब अपने प्रमुख युद्धपोतों की तैनात किया गया है। मलाक्का की खाड़ी से हो रहे चीन के व्यापार पर भारत कभी भी फंदा कस सकता है और चीन को घेराबंदी में पकड़ सकता है, इसका एहसास चीन को कराया गया है। चीन का अधिकांश इंधन सप्लाई इसी मार्ग से होता है और इस वजह से चीन को मुश्‍किलों में डालने के लिए यह तैनाती की गई, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

साउथ चायना सी में चीन कर रहे दावों के विरोध में इस क्षेत्र के सभी देश तैयार खड़े है। अमरीका ने इन देशों को चीन के विरोध में सहयोग प्रदान करने का ऐलान किया है और चीन के सभी दावे ठुकराए गए हैं। इस क्षेत्र में अमरीका ने अपने युद्धपोत भी तैनात किए हैं। यह युद्धपोत अन्य देशों के साथ लगातार युद्धाभ्यास कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एकसाथ दो अमरिकी विमान वाहक युद्धपोतों को तैनात करने से चीन पर दबाव बढ़ा है। इससे साउथ चायना सी में अपनी तैनाती में बढ़ोतरी करने के लिए चीन मजबूर हो चुका है। ऐसे में हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना ने आक्रामक तैनाती की है।

इसी बीच भारत ने अमरीका, जापान, फ्रान्स जैसे अपने मित्रदेशों की नौसेनाओं के साथ अपना सहयोग बढ़ाया है। इन देशों के साथ हाल ही में युद्धाभ्यास भी किया गया। अमरीका के साथ हुए युद्धाभ्यास के दौरान ‘यूएसएस निमित्झ’ नामक विश्‍व की सबसे विशाल विमान वाहक युद्धपोत शामिल थी। इसमें चीन के लिए सामरिक संदेश था, यह बात विश्‍लेषकों ने स्पष्ट की थी।

भारतीय नौसेना की इस तैनाती से चीन को संदेश दिया गया है, यह दावा रक्षा क्षेत्र से संबंधित सूत्रों ने किया। लेकिन इस मुद्दे पर उन्होंने अधिक जानकारी नहीं दी है। मगर वर्तमान स्थिति में हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के युद्धपोतों की गतिविधियों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है, यह बात भी इस सूत्र ने रेखांकित की।

इसी बीच कोरोना की महामारी के कारण भारत की दूसरे विमान वाहक युद्धपोत के परीक्षण में देर हो गई और इससे यह युद्धपोत नौसेना के बेड़े में शामिल नहीं हो पाई है। पर भारतीय नौसेना ने भविष्य का विचार करके तीसरी विमान वाहक युद्धपोत प्राप्त करने के लिए सरकार से मंजूरी पाने के लिए आवश्‍यक कोशिशें जारी कर दी हैं, यह समाचार भी प्राप्त हुआ है। साथ ही अमरीका से खरीदे जा रहे ‘एमएच-60 हेलिकॉप्टर्स’ (रोमिओ) जल्द ही भारत को प्राप्त होंगे, ऐसी ख़बरें भी सामने आ रही हैं। पनडुब्बी विरोधी युद्धनीति में काफ़ी प्रभावी साबित हो रहे यह हेलिकॉप्टर्स प्राप्त होते ही भारतीय नौसेना के बेड़े में तुरंत तैनात किए जाएंगे, यह समाचार भी है।

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