अमरीका ने आयोजित की क्वाड की बैठक के कारण चीन बेचैन

नई दिल्ली – संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरीका का दौरा करनेवाले हैं। आम सभा को संबोधित करने के साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने आयोजित की क्वाड की पहली प्रत्यक्ष बैठक में सहभागी होंगे। अफगानिस्तान से अमरीका की सेनावापसी की और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, क्वाड की इस बैठक को बहुत बड़ा महत्व प्राप्त हुआ है। इस कारण बेचैन हुए चीन की इस पर प्रतिक्रिया आई है। दूसरे देश को लक्ष्य करनेवाला गुट कभी भी लोकप्रिय नहीं बन सकता और उसका कोई भविष्य भी नहीं होगा, ऐसा गुस्सा चीन के विदेश मंत्रालय ने व्यक्त किया है।

क्वाड की बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के साथ द्विपक्षीय चर्चा ३० सितंबर को व्हाइट हाउस में संपन्न होगी। भारत के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी। वहीं, २४ सितंबर को राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने क्वाड के राष्ट्रप्रमुखों की बैठक आयोजित की है। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन क्वाड देशों के राष्ट्रप्रमुख इस बैठक के उपलक्ष्य में पहली ही बार प्रत्यक्ष चर्चा करनेवाले हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चल रहीं चीन की वर्चस्ववादी हरकतों को रोकने के लिए अपना सहयोग मज़बूत बनाने की आवश्यकता सभी क्वाड देशों को महसूस होने लगी है। चीन के संदर्भ में उदार और सौम्य भूमिका अपनानेवाला अमरीका का बायडेन प्रशासन भी अब क्वाड के सहयोग को अधिक अहमियत देने की बात सामने आ रही है।

अमरीका की अफगानिस्तान से सेनावापसी के बाद, अमरीका अब महासत्ता नहीं रही, अतः अमरीका पर भरोसा करके चीन से दुश्मनी ना मोल लें, ऐसी चेतावनी चीन ताइवान तथा अन्य छोटे देशों को दे रहा है। अगर संघर्ष भड़का ही, तो अमरीका तुम्हें बीच रास्ते में ही छोड़कर निकल जाएगी, ऐसा चीन साउथ चाइना सी क्षेत्र के छोटे देशों को खुलेआम धमका रहा है; ऐसे में अमरीका के नेता और लष्करी अधिकारी इसकी गंभीर दखल ले रहे हैं। यह सब कुछ अमरीका की अफगानिस्तान से अपमानास्पद वापसी के परिणाम हैं, ऐसी तीखी आलोचना अमरीका के विपक्षी नेता कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में, क्वाड का सहयोग बढ़ाकर अमरीका चीन के विरोध में आक्रामक भूमिका अपना रही है, ऐसा दिखाना राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के लिए अत्यावश्यक बना है।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने आयोजित की क्वाड की इस बैठक को यह पृष्ठभूमि प्राप्त है। लेकिन क्वाड की इस बैठक की घोषणा होने के बाद चीन ने उसकी आलोचना की। किसी देश को लक्ष्य करने के लिए देशों का गुट सहयोग ना बढ़ाएँ, ऐसा सहयोग लोकप्रिय नहीं बन सकता और उसका कोई भविष्य भी नहीं होगा। इसी कारण, शीतयुद्धकालीन मानसिकता का भाग होनेवाली संकुचित भू-राजनीतिक संकल्पना छोड़ देनी चाहिए, ऐसे आदर्शवादी विचार चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने प्रस्तुत किए हैं। उनकी इस प्रतिक्रिया से यही बात फिर एक बार सामने आई है कि क्वाड का सहयोग चीन को बेचैन कर रहा है।

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