अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत की अमरीका से महत्वपूर्ण चर्चा

नई दिल्ली – अफगानिस्तान की स्थिरता से भारत की सुरक्षा को चुनौती मिलेगी कामा ऐसा अफगानिस्तान के भारत में नियुक्त राजदूत ने जताया है। इसका पूरी तरह एहसास होने वाले भारत ने अफगानिस्तान की परिस्थिति पर प्रमुख देशों के साथ राजनीतिक चर्चा शुरू की है। ताजिकिस्तान के दुशांबे में हाल ही में संपन्न हुई परिषद के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के अफगानिस्तान विषयक विशेषदूत झल्मे खलिलझाद और अमेरिका की राष्ट्रीय उपसुरक्षा सलाहकार एलिझाबेथ शेरवूड-रँडल के साथ महत्वपूर्ण चर्चा की होने की खबर जारी हुई है।

महत्वपूर्ण चर्चातालिबान ने अफगानिस्तान के लगभग ८५ प्रतिशत इतने भूभाग पर कब्ज़ा किया होने के दावे किए जाते हैं। तालिबान की आक्रामकता को देखते हुए, जल्द ही अफगानिस्तान का कब्ज़ा तालिबान के पास जाएगा, ऐसी गहरी संभावना व्यक्त की जा रही है। तालिबान ने फिलहाल तो भारत के विरोध में ना जाने का आश्वासन दिया है, फिर भी उस पर भरोसा रखने जैसी परिस्थिति ना होने के संकेत मिल रहे हैं। तालिबान पाकिस्तानी लष्कर और आईएसआई के आदेश के अनुसार काम कर रहा होने के आरोप अफगानिस्तान के नेता कर रहे हैं। इस कारण भारत और अमरीका के भी अफगानिस्तान स्थित सुरक्षा विषयक हितसंबंधों को गंभीर ख़तरा बना है।

इस पृष्ठभूमि पर दुशांबे में अन्तर्राष्ट्रीय परिषद संपन्न हुई। इस समय भारत के विदेश मंत्री ने, अमरीका के अफगानिस्तान विषयक विशेष दूत झल्मे खलिलझाद और अमेरिका की राष्ट्रीय उपसुरक्षा सलाहकार एलिझाबेथ शेरवूड-रँडल के साथ अफगानिस्तान की परिस्थिति पर गहराई से चर्चा की, ऐसा बताया जाता है। इसका विवरण हालांकि सामने नहीं आया है, फिर भी भारत और अमरीका अफगानिस्तान की गतिविधियों की ओर बहुत ही बारीकी से देख रहे हैं, यह इससे फिर एक बार स्पष्ट हुआ है। अमरीका ने हालांकि अफगानिस्तान से सेना वापसी की है, लेकिन इसका अर्थ अफगानिस्तान को छोड़ा ऐसा नहीं होता है, इसपर ज़िम्मेदार विश्लेषक गौर फरमा रहे हैं। चाहे कुछ भी हो, चीन और रशिया जैसे देशों को अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका अमरीका नहीं देगी, ऐसा ये विश्लेषक आत्मविश्वास के साथ कह रहे हैं।

एक मर्यादा के बाहर जाकर अगर तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल तथा अन्य महत्वपूर्ण शहरों पर कब्जा करने की कोशिश की ही, तो अमरीका किसी भी पल तालिबान पर हवाई हमले करेगी, ऐसा पाकिस्तान के पत्रकार नजम सेठी ने कहा है। इसके लिए अमरीका ने अपने विमानवाहक युद्धपोत सुसज्जित रखे हैं, इसपर सेठी ने गौर फरमाया। साथ ही , अगर तालिबान काबुल की दिशा में आगे बढ़ा, तो अमरीका, तालिबान की सहायता करने का दोषारोपण रखकर, पाकिस्तान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी में होने का दावा पाकिस्तान के पूर्व राजनीतिक अधिकारी जफर हिलाली ने किया है। इस कारण अमरीका केवल मौके की प्रतीक्षा कर रही होकर, एक बार अगर यह मौका सामने आता है, तो वह तालिबान समेत पाकिस्तान का भी घात करेगी, ऐसी चिंता हिलाली ने ज़ाहिर की। इस मोरचे पर भारत भी अमरीका के साथ पूरा सहयोग करेगा, ऐसा दावा पाकिस्तान के इस पूर्व राजनीतिक अधिकारी ने किया है।

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