भारत-अमरीका की भागीदारी २१वीं सदी को आकार देनेवाली – अमरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन

नई दिल्ली – ‘भारत और अमरीका की संयुक्त कार्रवाईयों से २१वीं सदी को आकार प्राप्त होगा। इसी वजह से भारत के साथ भागीदारी करने के लिए अमरीका की विदेश नीति में सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही है’, ऐसा बयान अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने किया। दो दिन की भारत यात्रा पर पहुँचे अमरिकी विदेशमंत्री ब्लिंकन ने भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर के साथ द्विपक्षीय चर्चा की। इस चर्चा के बाद वार्तापरिषद को संबोधित करते समय विदेशमंत्री ब्लिंकन ने अमरीका के भारत के साथ संबंधों की अहमियत रेखांकित की।

भागीदारीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से भी अमरिकी विदेशमंत्री ने भेंट की। लेकिन, बौद्ध धर्मगुरू और तिब्बतियों के नेता दलाई लामा के प्रतिनिधि से विदेशमंत्री ब्लिंकन ने की हुई बातचीत सबसे अहम विषय बना है। दलाई लामा के प्रतिनिधि से मुलाकात करके अमरिकी विदेशमंत्री ने चीन को उचित ‘संदेश’ देने का दावा माध्यमों में किया जा रहा है। इसके साथ ही विदेशमंत्री ब्लिंकन ने भारत और अमरीका इन महान लोकतांत्रिक देशों के सहयोग की बड़ी अहमियत होने का बयान करके मौजूदा दौर में लोकतंत्र के लिए बन रहे खतरों पर चिंता जताई।

उन्होंने चीन का ज़िक्र सीधे नहीं किया, फिर भी चीन जैसे कम्युनिस्ट तानाशाही देशों से विश्‍वभर की लोकतांत्रिक व्यवस्था को खतरा होने के संकेत अमरिकी विदेशमंत्री ने दिए। इस पर चीन की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने अपने बयान में यह आलोचना की है कि, लोकतंत्र का पेटंट किसी एक देश के पास नहीं हो सकता। खास तरह की व्यवस्था ही सबसे बेहतर है, यह विचार रखने के बजाय यह व्यवस्था लोकाभिमुख होना अधिक अहम होगा, यह दावा करके लिजिआन ने चीन के एक दलीय कम्युनिस्ट राज व्यवस्था का समर्थन किया। चीन की इस प्रतिक्रिया की वजह से भारत और अमरीका लोकतंत्र को दे रही अहमियत से चीन को बड़ी मिर्च लगी है।

‘विश्‍व के सबसे अहम द्विपक्षीय संबंधों में लोकतांत्रिक भारत और अमरीका के संबंधों का समावेश है। भारत और अमरीका विश्‍व के शीर्ष लोकतांत्रिक देश हैं और विविधता इन दोनों देशों के राष्ट्रीय सामर्थ्य का हिस्सा है। दोनों देशों के संबंध अधिकाधिक मज़बूत हों, यही उम्मीद अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन रखते हैं’, ऐसा कहकर संयुक्त वार्ता परिषद में अमरिकी विदेशमंत्री ने अपने देश की भूमिका रखी। साथ ही अफ़गानिस्तान में बननेवाली सरकार अफ़गान जनता का पूरा प्रतिनिधित्व करे। इसके लिए अफ़गानिस्तान में शांति प्रक्रिया शुरू होना आवश्‍यक है। यह शांति प्रक्रिया अफ़गानियों की पहल से, अफ़गानियों का नियंत्रण रखनेवाली ही हो, ऐसी सूचक माँग अमरिकी विदेशमंत्री ब्लिंकन ने की। भारत ने समय समय पर इन्हीं शब्दों में अपनी उम्मीदें व्यक्त की थी। पाकिस्तान जैसे बदमाश देश को अफ़गानिस्तान में प्रभाव स्थापित करने का अवसर प्राप्त ना हो, यह विचार भारत की इस उम्मीद के पीछे है। अमरिकी विदेशमंत्री ने भी इन्हीं शब्दों में यह माँग रखकर पाकिस्तान को तमाचा जड़ा हुआ दिखता है।

अफ़गानिस्तान में स्वतंत्र, सार्वभौम, लोकतांत्रिक और स्थिर माहौल रहे, यह विश्‍व की उम्मीद है। लेकिन, दूषित उद्देश्‍य से सुरक्षित रहे बिना अफ़गानिस्तन की आज़ादी और संप्रभूता अखंड़ित नहीं रहेगी, ऐसा बयान भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने इस दौरान किया। इसके ज़रिये भारतीय विदेशमंत्री पाकिस्तान को फटकारते दिखाई दिए हैं। इसी बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए भारत और अमरीका की भागीदारी काफी अहम होने की बात ब्लिंकन ने इस दौरान स्पष्ट की।

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