अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन के भारत दौरे से चीन की बेचैनी बढ़ी

नई दिल्ली – अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने नई दिल्ली में बौद्धधर्मगुरू और तिब्बती नेता दलाई लामा के प्रतिनिधि से मुलाकात की थी। अनुमान के अनुसार इसपर चीन से प्रतिक्रिया आई। यह भेंट करके अमरीका ने तिब्बती अलगाववादियों को गलत संदेश दिया होने का दोषारोपण चीन ने किया। साथ ही, तिब्बत यह चीन का भाग होने की बात मान्य करनेवाली अमरीका ने यह मुलाकात करके, चीन के साथ हुए समझौतों का भंग किया है, ऐसी आलोचना चीन के विदेश मंत्रालय ने की। साथ ही, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समान हितसंबंध और लोकतंत्र का पुरस्कार करने पर भारत और अमरीका के विदेश मंत्रियों में हुआ एकमत चीन को बहुत ही चुभा दिख रहा है।

विदेश मंत्री ब्लिंकनअफगानिस्तान की गतिविधियाँ और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग, ये अमरिकी विदेश मंत्री के भारत दौरे में बहुत ही अहम मुद्दे थे। साथ ही, विदेश मंत्री ब्लिंकन ने नई दिल्ली में दलाई लामा के प्रतिनिधि गोडूप डॉंगचूंग से मुलाकात करके चर्चा की थी। साथ ही, ब्लिंकन ने नागरी अधिकारों के क्षेत्र में कार्य करनेवाले लोगों के साथ की चर्चा में भी तिब्बतियों के प्रतिनिधियों का समावेश था। इससे पहले अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने दलाई लामा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनसे फोन पर चर्चा की थी। भारत के प्रधानमंत्री ने भी दलाई लामा को फोन पर शुभकामनाएँ दीं थीं। उस पर चीन ने तीव्र नाराज़गी ज़ाहिर की।

भारत और अमरीका मिलकर ‘ तिब्बत कार्ड’ का इस्तेमाल करनेवाले हैं और उसके द्वारा ये दोनों देश चीन पर दबाव बढ़ानेवाले हैं, ऐसी चिंता चीन के सरकारी माध्यम और विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं। उस पृष्ठभूमि पर, विदेश मंत्री ब्लिंकन ने तिब्बतियों के प्रतिनिधियों के साथ की चर्चा पर चीन ने ऐतराज़ जताया। यह चर्चा करके अमरीका ने चीन के साथ किए समझौतों का भंग किया है, ऐसा दोषारोपण चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने किया। अमरीका और दलाई लामा में किसी भी प्रकार का अधिकृत संपर्क यानी अमरीका और चीन के बीच के समझौते का भंग ही होगा, क्योंकि तिब्बत यह चीन का ही भाग है। अमरीका ने भी वह मान्य किया है, ऐसा लिजिआन ने एक पत्रकार परिषद में कहा है।

तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिशें करनेवालों को अमरीका ताकत प्रदान ना करें। इसके विरोध में चीन आवश्यक कार्रवाई किए बगैर नहीं रहेगा, ऐसी चेतावनी लिजिआन ने दी। लेकिन अपनी इस चेतावनी में चिनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत का ज़िक्र करना टाला। भारत और अमरीका ये दो महान लोकतंत्रवादी देश हैं, ऐसा विदेश मंत्री ब्लिंकन ने अपने भारत दौरे में कहा था। साथ ही, लोकतंत्र का पुरस्कार करनेवाले इन दोनों देशों के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हितसंबंध एकसमान हैं, ऐसा दावा भी ब्लिंकन ने किया था। उस पर भी चीन से प्रतिक्रिया आई है। लोकतंत्र के सर्वाधिकार किसी एक देश के पास नहीं हो सकते, ऐसा झाओ लिजिआन ने डटकर कहा है।

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