चीन ‘इंटेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी राईटस्‌’ चोरी कर रहा हैं- ‘फाईव्ह आईझ्‌’ गुट के गुप्तचर प्रमुखों का इशारा

वॉशिंग्टन-बीजिंग- चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत और उससे जुड़ी यंत्रणा ‘क्वांटम’ प्रौद्योगिकी से लेकर ‘जैव’ प्रौद्योगिकी तक के सभी क्षेत्रों की बुद्धि संपदा अधिकार ‘इंटेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी राईटस्‌’ की चरी कर रही हैं, ऐसा आरोप ‘फाईव्ह आईज्‌’ सदस्य देशों के गुप्तचर प्रमुखों ने लगाया है। विश्व के प्रमुख देशों में चीन इस तरह से प्रौद्योगिकी चोरी करने की कोशिश में लगा होने के दो हजार से भी अधिक मामले दर्ज़ हुए हैं, ऐसा दावा अमेरिकी यंत्रणा के प्रमुख ख्रिस्तोफर रे ने किया है।

चीन ‘इंटेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी राईटस्‌’ चोरी कर रहा हैंअमेरिका ने चीन की बढ़ती गतिविधियां और प्रभाव के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू किए हैं। इसके तहत विभिन्न तरिकों से चीन को लक्ष्य किया जा रहा हैं और इसके लिए मित्र देशों से सहायता पायी गई है। ‘फाईव्ह आईज्‌’ गुट के सदस्य देशों के गुप्तचर प्रमुखों का अमेरिका दौरा और चीन के खतरे को लेकर लगातार दिए जा रहे इशारे उसी का हिस्सा दिखते हैं। कुछ दिन पहले अमेरिका के ‘हूवर इन्स्टीट्यूट’ में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रमुख पश्चिमी देशों में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत कर रहे जासूसी को लेकर चेतावनी दी गई थी।

इसके बाद अब अमेरिका के शीर्ष समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में ‘फाईव्ह आईज्‌’ के गुप्तचर प्रमुखों ने चीन द्वारा शुरू प्रौद्योगिकी की चोरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ‘वैश्विक स्तर पर हो रहे नए नए अनुसंधान को चीन की हरकतों से बड़ा खतरा बना हैं। क्वांटकम प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, रोबोटिक्स, जैव प्रौद्योगिकी जैसे कई क्षेत्रों को चीन लक्ष्य कर रहा हैं। चीन ‘इंटेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी राईटस्‌’ चोरी कर रहा हैंसाइबर घुसपैठ, जासूसी और निवेश के माध्यम से चीन बुद्धिसंपदा अधिकारों की चोरी कर रहा हैं’, ऐसा आरोप गुप्तचर प्रमुखों ने लगाया। चीन द्वारा हो रही चोरी और जासूसी मौजूदा समय में सबसे बड़ा खतरा होने की ओर गुप्तचर प्रमुखों ने ध्यान आकर्षित किया है।

कुछ महीने पहे अमेरिका की गुप्तचर यंत्रणा ने अपने सालाना रपट में चीन की बढ़ती क्षमताओं का ज़िक्र करके साइबर हमले, निगरानी और जासूसी के इस्तेमाल पर ध्यान आकर्षित किया था। इसके बाद अमेरिका ने चीन की जासूसी के बढ़ते खतरे के विरोध में एशियाई देशों से सहयोग स्थापित करने के संकेत दिए थे। इसके बाद अब अमेरिका में ‘फाईव्ह आईज्‌’ के गुप्तचर प्रमुखों को सार्वजनिक कार्यक्रम में निमंत्रित करके चीन की जासूसी के खतरे का खुलेआम अहसास कराना ध्यान खींच रहा हैं।

चीन ‘इंटेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी राईटस्‌’ चोरी कर रहा हैंदूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर अमेरिका और ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणाओं ने साथ मिलकर सहयोग करने के लिए समझौता किया था। इसके बाद कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड भी इस गुप्तचर सहयोग में शामिल हुए थे। यही गुट ‘फाईव्ह आईज्‌’ के नाम से जाना जाता है। अमेरिका-रशिया शीतयुद्ध खत्म होने के बाद इस गुट की गतिविधियों का दायरा कम होने की बात कही जा रही थी। लेकिन, पिछले कुछ सालों में चीन की बढ़ती आक्रामकता के विरोध में ‘फाईव्ह आईज्‌ अलाइन्स’ ने भूमिका अपनाई है और अमेरिका में आयोजित कार्यक्रम से दिए जा रहे इशारें इसका अहम चरण है।

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