चीन और पाकिस्तान का प्रक्षेपास्त्रनिर्माण के लिए सहयोग

नवी दिल्ली/बीजिंग, दि. १७ : चीन ने पाकिस्तान की सहायता से ‘बॅलेस्टिक क्षेपणास्त्र’, ‘नौकाभेदी और विमानभेदी’ प्रक्षेपास्त्र के साथ बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों का निर्माण करने का निर्णय लिया है| भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम की बारबार आलोचना करनेवाले चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर ‘बॅलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र’ विकसित करने का लिया हुआ निर्णय, भारतविरोधी व्यूहरचना का हिस्सा है ऐसा दिखाई दे रहा है| पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा चीन कै दौरे पर गए हैं, उसी समय जारी हुईं ये ख़बरे ध्यान खींच रही हैं|

प्रक्षेपास्त्रपाकिस्तान के सेनाप्रमुखपद का पदभार सँभालने के बाद पहली ही बार चीन के दौरे पर गये जनरल बाजवा ने, गुरुवार को चीन के वरिष्ठ सेना के अधिकारी जनरल फँग फेंगुई के साथ कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की| इस दौरे में क्षेत्रीय सुरक्षा, रक्षासहयोग और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई| इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और अधिक व्यापक करने का निर्णय लिया गया| इसके अनुसार चीन पाकिस्तान को ऍड्वान्स्ड लष्करी तंत्रज्ञान देने के बारे में सोच रहा है, ऐसी ख़बरे सामने आ रही हैं|

चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी ख़बरों के मुताबिक, दोनों देशों ने मिलकर विकसित किए ‘जेएफ-१७ थंडर’ इस बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान का उत्पादन बढ़ाया जायेगा| चीन ने विकसित किए बॅलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र और नौकाभेदी एवं विमानभेदी प्रक्षेपास्त्र का उत्पादन करने की अनुमती पाकिस्तान को देने के बारे में जनरल बाजवा के दौरे में चर्चा की गई|

तीन महिने पहले, चीन के सभी शहर अपनी पहुँच में लानेवाले ‘अग्नी ५’ इस बॅलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र का परिक्षण करके भारत ने चीन को झटका दिया था| इसके बाद चीन आगबबूला हुआ था| पाकिस्तान की ओर से भी, भारत के इस प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम की वजह से क्षेत्रीय समतोल को धक्का लग रहा है, ऐसा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है| इस वजह से, भारत को मात देने के लिए दोनों देश अपना सामरिक और रक्षाविषयक सहयोग बढा रहे हैं| प्रक्षेपास्त्र और लड़ाकू विमानों का संयुक्त रूप में उत्पादन करने की योजना यह इसी का हिस्सा है| उसी समय, पाकिस्तान चीन के साथ के इस सहयोग का इस्तेमाल अमरीका को चेतावनी देने के लिए कर रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

कुछ महीने पहले, पाकिस्तानी संसद के सदस्य मुशाहिद हुसेन कश्मीरविषयक राजनीतिक मुहिम के लिए अमरीका के दौरे पर गए थे| यदि अमरीका ने कश्मीर का मसला पाकिस्तान के पक्ष में सुलझाने के लिए सहायता नहीं की, तो हमारे सामने चीन के साथ सहयोग करने का विकल्प मौजूद है, ऐसा मुशाहिद हुसेन ने कहा था| चीन के साथ रक्षाविषयक सहयोग बढ़ाकर पाकिस्तान अमरीका को यही संदेश देने की कोशिश कर रहा है| उसी समय चीन और पाकिस्तान ये दोनों देश कड़े भारतविरोधी होने के कारण साथ में आये हैं|

भारत और अमरीका के बीच नीतिपूर्ण सहयोग विकसित हो रहा है| इस कारण, चीन पाकिस्तान को अपने साथ मिलाकर, भारत पर का अपना दबाव बढाने का अवसर नहीं गँवाता| यह बात इससे पहले भी कई बार सामने आयी थी| लेकिन दोनों देशों के बीच के सहयोग का विघातक असर, आनेवाले समय में पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ सकता है, ऐसी चेतावनी पाकिस्तान के कुछ जिम्मेदार विश्‍लेषक दे रहे हैं|

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