पॅरासेल्सस (१४९३-१५४१)

पॅरासेल्सस (१४९३-१५४१)

‘बीमार व्यक्ति का मन यदि प्रसन्न होगा तो उसका शारिरीक उपचार अधिक परिणामकारक होता है।’ ‘डॉक्टर को शरीर के उपचार के साथ-साथ पेशंट की मानसिक स्थिति का ध्यान भी रखना ज़रूरी है।’ आज २१ वी सदी में किसी भी मनोविशेषज्ञ के मुख से यह उद्गार बिलकुल आसानी से निकल सकता है। आज किसी असाध्य शारिरीक […]

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एडविन लॅन्ड (१९०९-१९९१)

एडविन लॅन्ड (१९०९-१९९१)

घडी की अलार्म ज़ोर से बजी और मैं उठ बैठी। घड़ी में देखा तो साढ़े नौ बज चुके थे। तारीख देखी तो २८! मेरे आँखों की नींद तो जैसे छूमंतर हो गई। ११ बजे मेरा इंटरव्ह्यू था और वह भी अंधेरी में। अंधेरी पहुँचने पर पुल पर बायोडेटा चेक किया तो हैरान रह गई। पूरी […]

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अँड्रिया व्हेसेलियस (१५१४-१५६४)

अँड्रिया व्हेसेलियस (१५१४-१५६४)

दो मित्र काफी समय बाद मिले थे। दोनों ने भोजन के पश्‍चात घुमने जाना निश्‍चित किया। घुमते-घुमते वे दोनों गाँव के बाहर वाली श्मशानभूमि के पास जा पहुँचे। रास्ता जाना-पहचाना होने के कारण गप्पा मारते-मारते वे दोनों जहाँ कहीं राह निकलती चल रहे थे। अचानक बिजली चमकी और सामनेवाला दृश्य देख उन दोनों में से […]

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जॉन लॉगी बेअर्ड (१८८८-१९४६)

जॉन लॉगी बेअर्ड (१८८८-१९४६)

एक साधरण सी घटना! रात के दस साढ़े दस बजे का समय! पाँच से छह लोगों का एक परिवार रात्रि के भोजन पश्‍चात हॉल में बैठा था। सभी की आँखें एक बात ही बात पर दृष्टि गड़ाए थी। अगले पूरे घंटे भर तक वह परिवार अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ था। इसके […]

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डॉ. हार्वे कुशिंग (१८६९ -१९३९ )

डॉ. हार्वे कुशिंग (१८६९ -१९३९ )

ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हॅमरेज या अचानक आया पॅरॅलिसिस का झटका ये सभी मस्तिष्क से संबंधित बीमारियाँ हैं। बीसवी सदी का आरंभ होने से पहले ये सारी बीमारियाँ सीधे मृत्यु का ही संदेशा देनेवालीं मानी जाती थीं। लेकिन बीसवी सदी के आरंभिक समय में डॉ. हार्वे कुशिंग ने मानवी मस्तिष्क का कार्य एवं उससे संबंधित उपचार-पद्धति […]

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ली द फॉरेस्ट (१८७३-१९६१)

ली द फॉरेस्ट (१८७३-१९६१)

हलदी, बासमती और नीम ये पदार्थ भारत वर्ष में कई वर्षों से परंपरानुसार उपयोग में लाए जाते हैं। परंतु पिछले कुछ दशकों से ये पदार्थ भारत के ‘बुद्धिसंपदा हक’ (पेटंट) हैं, यह सिद्ध करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े और इन पदार्थों पर भारत का अधिकार है, इस बात को पूरे विश्‍व में […]

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हेन्री विल्यम फोर्ड (१८६३-१९४७ )

हेन्री विल्यम फोर्ड (१८६३-१९४७ )

भारतीयों को एक लाख में मिलने वाली कार देना यह मेरा स्वप्न है और उस दृष्टि से मैंने प्रयत्न भी शुरू कर दिए हैं। – रतन टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति के रूप में पहचाने जाने वाले टाटा के द्वारा की गई इस घोषणा के बाद पूरे भारतवर्ष के उद्योग जगत में खलबली मच गई। […]

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सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या(१८६०-१९६२)

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या(१८६०-१९६२)

विश्वविख्यात वृंदावन गार्डन्स, कृष्णराज सागर बाँध मैसूर विश्वविद्यालय और स्टेट बैंक ऑफ मैसूर इन सब के निर्माणकर्ता एक ही व्यक्ति है और इस निर्माण का श्रेय जाता है- सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या को। १०१ वर्ष तक की दीर्घायु जीने वाले व्यक्ति को देखकर हम यह कह सकते हैं कि दुनिया में यदि इच्छा और कुछ कर दिखाने […]

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चेस्टर कार्लसन (१९०६-१९६८)

चेस्टर कार्लसन (१९०६-१९६८)

अपनी उम्र के पच्चीसवे वर्ष ही माता-पिता का साया सिर से उठ जाना, बावीसवे वर्ष भौतिकशास्त्र की पदवी (डिग्री) प्राप्त करना, संशोधक एवं अभियंता की स्वीकृत नौकरी रास न आने से छोड़ देना, उसी समय अमरीका में चल रही ज़ोरदार मंदी। हजारों नौजवान नौकरी न होने के कारण या तो आत्महत्या कर रहे थे अथवा […]

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जॅक्विस कौस्तेयु (१९१०-१९९७)

जॅक्विस कौस्तेयु (१९१०-१९९७)

१९४३ में जनवरी महीने में एक दिन प्रात:कालीन समय में, फ्रेंच नौदल में काम करने वाला एक गुप्तचर और उसका इंजीनियर मित्र पॅरिस शहर के बाहर होने वाली मारने इस नदी के किनारे आ पहुँचे उन दोनों के हाथ में हवा भरे हुए दो दंडगोल थे। दंडगोल में अतिदबाव देकर हवा भरी हुई थी। उनमें […]

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