जॉर्ज क्लाऊड (१८७०-१९६०)

जॉर्ज क्लाऊड (१८७०-१९६०)

‘ग्रँड पॅलेस’, पॅरिस, हर साल की तरह १९१० में भी ग्रँड पॅलेस में बड़ी-बड़ी गाड़ियों की प्रदर्शनी लगी हुई थी। इस बार के प्रदर्शनी की विशेषता केवल गाड़ियाँ ही नहीं थीं बल्कि कुछ और भी था, जो विशेष था। प्रदर्शनी के स्थान पर दोनों ओर बड़े स्तंभ लगाये गए थे। इन स्तंभों में चालीस फ़ीट […]

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इगॉर सिकॉर्स्कि (१८८९-१९७२)

इगॉर सिकॉर्स्कि (१८८९-१९७२)

‘हेलिकॉप्टर’ … ‘अपने स्थान से ही आकाश में उड़ान भरने वाला विमान’ इगॉर सिकॉर्स्कि के समक्ष खड़े रहने वाले फ्रेंच  संशोधक बिलकुल धक्क से रह गए जैसे किसी भूत का नाम सुनने पर होता है। दोस्त तुम अच्छे विमान तैयार करते हो, इसमें अच्छे अवसर भी हैं। तुम मूर्ख की तरह हेलिकॉप्टर के झंझट में […]

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अँत्वान लॉरेन्ट लॅव्हॅसिए (१७४३-१७९४ )

अँत्वान लॉरेन्ट लॅव्हॅसिए (१७४३-१७९४ )

‘‘उसका सिर कलम कर देने के लिए उन्हें एक क्षण भी काफी लगा होगा परन्तु फ्रांस को इस प्रकार के व्यक्तित्त्व को जीवन में लाने के लिए अनगिनत सदियाँ भी कम पड़ सकती हैं।’’- जोसेफ लॅगरेंज (फ्रेंच गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्रज्ञ) किमियागारों के गूढ़ वलयों में फँसे हुए रसायनशास्त्र को उसमें से बाहर निकालकर तर्कशुद्ध प्रयोगशीलता […]

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डॉ. चेम वाईझमन (१८७४-१९५२)

डॉ. चेम वाईझमन (१८७४-१९५२)

डॉ. चेम वाईझमन, डॉ. मनमोहनसिंह, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ये तीन भिन्न-भिन्न नाम और तीन भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यक्ति और वह भी परिवर्तनशील समयानुसार। दो नाम तो हमारे जाने-पहचाने हैं। परन्तु उस नाम का क्या, जिससे हम अनजान है। क्या इन तीनों नामों में कोई समानता है? इस प्रकार के अनेक प्रश्‍न मन में उठते होंगे। […]

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रिचेल कार्सन (१९०७-१९६४)

रिचेल कार्सन (१९०७-१९६४)

आज दुनिया भर में पर्यावरणवादी विविध प्रश्‍नों पर आवाज उठा रहे हैं। गत तीन दशकों में नैसर्गिक साधनसंपत्ति के विकास के नाम पर विध्वंस करने की प्रक्रिया में प्रचंड पैमाने पर प्रगति हुई है। इससे पृथ्वीवासियों का जीवन खतरे से घिर गया है, परन्तु स्वार्थसिद्धि हेतु किसी भी हद तक गिरनेवाले लोगों को इस बात […]

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मार्गारेट मीड (१९०१ -१९७८)

मार्गारेट मीड (१९०१ -१९७८)

‘‘समाज को कैसा होना चाहिए या कैसे चलाना चाहिए, इससे संबंधित मतभेद रखनेवाले समूहों के लिए युद्ध के अलावा अन्य विकल्प भी हैं, इस बात को किस प्रकार से महसूस करना है, यही हमारे समक्ष सबसे बड़ी समस्या है।’’ -मार्गारेट मीड एक शिक्षिका, लेखक, व्याख्याकार, छायाचित्रकार, स्त्री-मुक्ति के लिए संघर्ष करनेवाली, कार्यकर्ता, सलाहगार एवं संशोधक […]

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डॉ.हेलन टॉसिग (१८९८-१९८६)

डॉ.हेलन टॉसिग (१८९८-१९८६)

‘डायस्लेक्सिआ’ (लिखे हुए शब्दों को समझने में, पढ़ने में आनेवाली अड़चनें) और खाँसी के कारण आनेवाला बहरापन। छोटी सी हेलन टॉसिग को आगे चलकर क्या करना है यह एक बड़ा प्रश्‍न उसके सामने खड़ा था। परन्तु हेलन के माता-पिता ने एवं स्वयं हेलन ने भी ज़िद नहीं छोड़ी। और केवल जिद के जोर पर ही […]

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पॉल म्युलर (१८९९-१९६५ )

पॉल म्युलर (१८९९-१९६५ )

प्रकृति में उत्पन्न होनेवाले जीवजंतुओं की शृंखला के अन्तर्गत आनेवाले सभी जीवजंतु अपनी-अपनी भूमिका भली-भाँती निभाते रहते हैं इसी कारण उन्हें मारना प्रकृति के खिलाफ  माना जाता है। मग़र कुछ जीवजंतुओं के कारण मनुष्य की तकलीफे बढ़ गई हैं। इसीलिए विभिन्न मार्गों का अवलंबन करते हुए इन जीवजंतुओं को नष्ट करने का समय आ गया […]

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जॉन डाल्टन (१७६६-१८४४)

जॉन डाल्टन (१७६६-१८४४)

जिस वस्तु को हम देख नहीं सकते, जिसे स्पर्श नहीं कर सकते और ना ही उसे किसी उपयोग में लाया जा सकता है, वह विज्ञान में, शास्त्र में कैसे आ सकता है? लगभग अठारहवी शताब्दी के अंत तक तो सभी वैज्ञानिक संशोधनकर्ताओं के समक्ष यही प्रश्‍न खड़ा रहा। अठारहवी शताब्दी के अंत में जॉन डाल्टन […]

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मसानोबु फुकुओका (१९१३-२००८ )

मसानोबु फुकुओका (१९१३-२००८ )

मुंबई के बॉम्बे युनियन ऑफ जर्नलिस्ट के कार्यालय १९९६ में एक ८३  वर्ष के जपानी मनुष्य ने प्रवेश किया और उनके प्रवेश करते ही उपस्थितों ने तालियों की गडगडाहट के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। कोई भी प्रसिद्धि न होने के बावजूद भी भीतर प्रवेश करते ही इतना प्रेम, आदर एवं आस्था प्राप्त करनेवाले वे […]

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