जॅक्विस कौस्तेयु (१९१०-१९९७)

cousteau-diving-100610-02१९४३ में जनवरी महीने में एक दिन प्रात:कालीन समय में, फ्रेंच नौदल में काम करने वाला एक गुप्तचर और उसका इंजीनियर मित्र पॅरिस शहर के बाहर होने वाली मारने इस नदी के किनारे आ पहुँचे उन दोनों के हाथ में हवा भरे हुए दो दंडगोल थे। दंडगोल में अतिदबाव देकर हवा भरी हुई थी। उनमें से गुप्तचर रहनेवाले नौजवान ने उस दंडगोल को पीठ पर बाँध कर नदी के ठंडे पानी में छलॉग लगा दी। आश्‍चर्य की बात यह थी कि देखते ही देखते कुछ एक मिनट में ही वह नौजवान पानी के ऊपर आ गया। दोनों नौजवानों के चेहरे पर स्पष्ट रूप में निराशा दिखाई दे रही थी। परन्तु उन्होंने प्रयत्न नहीं छोड़ा।

दोपहर के समय यहीं दोनों नौजवान पुन: एक तरण तलाव के पास खड़े थे। उनके साथ वही दो दंडगोल थे। पुन: उनमें से एक नौजवान ने उस दंडगोल को अपनी पीठ पर बाँध लिया और उस पानी में कूद गया। इस बार उसकी कोशिश कामयाब हुई। उसने काफी समय पानी में रहकर वहाँ पर अनेक प्रकार के कसरत आदि किए। इसके पश्‍चात् वह बड़े उत्साह के साथ पानी से बाहर आया। अब की बार उसके चेहरे पर विजयप्राप्त करने की खुशी स्पष्ट रूप में झलक रही थी। दुनिया में पानी के अंदर रहकर श्वासोच्छश्वास करने की क्रिया में मदद करने वाली यंत्रणा को सिद्ध करने में उन दोनों को सफलता मिली थी।

दुनिया के उस सिद्ध होनेवाली यंत्रणा को सिद्ध करने में उन दोनों को सफलता मिली थी। दुनिया के उस प्रथम सिद्ध होने वाली यंत्रणा का नाम था स्कुबा, (सेल्फ कन्टेड अंडरवॉटर ब्रिथींग ऑपरेट्स) और उन नौजवानें के नाम थे जॅक्विस कौस्तेयु एवं एमिली गॅगनन।

इस जोड़ी के जॅक्विस कौस्तेयु का जन्म ११ जून १९१० को फ्रान्स में हुआ था। अपनी इंजीनियरिंग की प़ढ़ाई पूरी करके १९३० में उन्होंने फ्रान्स के नौदल अ‍ॅकाडमी में प्रवेश किया। वहाँ पर वे विमानचालक का प्रशिक्षण ले रहे थे। परन्तु बद्किस्मती से कार दुर्घटना के कारण उन्हें निराश होना पड़ा। इसी दौरान उनका समुद्र के साथ लगाव बढ़ने लगा। १९३६ में एक दिन टुलाँ बंदरगाह में गॉगल लगा कर वे तैर रहे थे। इसी दौरान जॅक्विस के लिए पानी की गहराई तक चले गए उसी समय उनके मन में एक युक्ति आई। यदि पानी की गहराई में अधिक समय तक ‘घुमना’ हो जाये तो क्या कहने!

cousteaudoxaजॅक्विस ने इस दिशा में अपना कार्य आरंभ कर दिया। परन्तु वह समय द्वितीय महायुद्ध का था। जॅक्विस को नौदल में अपना कर्तव्य निभाने के लिए बुलावा आ गया। इसके पश्‍चात् कुछ वर्षों तक नौदल में उन्होंने गुप्तचर के रूप में काम किया। इसी दौरान उन्होंने धीरे-धीरे अपना कार्य आरंभ कर दिया था।

लगातार तीन साढ़े तीन वर्ष काम करने के पश्‍चात् जॅक्विस को थोड़ी राहत मिली। तुरन्त ही उन्होंने अपने मित्र एमिली गॅगनन को बुलाकर पानी के अंदर काम कर सके ऐसी यंत्रणा बनानी शुरु कर दी। उससे पहले भी कई लोगों ने इस प्रकार के प्रयत्न किए थे। १९२५ के दौरान कॅप्टन प्रिअर नामक फ्रेंच अधिकारी ने एक हवा का यंत्र विकसित करने की कोशिश की थी। परन्तु हवा अधिक समय तक स्थिर न रह सकने के कारण उनका यह प्रयत्न अधूरा ही रह गया था।

जॅक्विस ने उसी पर अपना संशोधन शुरु कर दिया। इस काम में उनका साथ उनका मित्र एमिली पूरी तरह से दे रहा था। जिसने उस नयी यंत्रणा के लिए रेग्यूलेटर विकसित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य पूरा किया। जॅक्विस ने सभी यंत्रणाओं पर पुन: काम करके उस में महत्त्वपूर्ण सुधार भी किए? १९४३ में उन्हें उस यंत्रणा को पूर्णत: विकसित करने में सफलता मिली अर्थात स्कूबा यह जॅक्विस के जीवन का अंतिम उद्देश्य नहीं था। उस अथांग सागर ने उन्हें पूरी तरह से आर्कषित कर लिया था। अब उनके मन में सागर की गहराई में होने वाले उस रहस्य के प्रति आकर्षण और भी अधिक बढ़ गया था।

द्वितीय महायुद्ध पश्‍चात् जॅक्विस ने अपने दोनों सहकारियों के साथ सागर की गहराई की यात्रा आरंभ कर दी। निरंतर पाँच वर्षाँ तक जॅक्विस एवं उनके सहकारियों ने डायव्हिंग के असंख्य प्रयोग किए, उसी प्रकार समुद्र की गहराई में छिपे भव्य नैसर्गिक संपत्ति का अध्ययन भी शुरु कर दिया। अपनी इस यात्रा में उन्हें अपार लोकप्रियता प्राप्त हुई। वे और उनके सहकारी ‘सागरी प्रहरी’ (शिलेदार) के रूप में पहचाने जाने लगे। सागर के आकर्षण के दिवाने जॅक्विस कौस्तेयु ने १९५० में एक सुरंग शोधक नाव भी खरीद ली (नैया) और उसी के आधार पर सागरी यात्रा के लिए ‘कॅलिप्सो’ नामक नौका विकसित की।

कॅलिस्पो यह जॅक्विस कौस्तुये के जीवन में होने वाला एक महत्त्वपूर्ण बदलाव था। इस कॅलिप्सो के कारण ही उन्होंने अग्रीम चार दशकों में दुनिया के बहुसंख्य समुद्रीं की यात्रा की। इस कॅलिप्सो में जॅक्विस कौस्तेयु ने आगे चलकर और भी अधिक सुधार किया। सागर की गोद में छिपे होने वाले नैसर्गिक रहस्य को जानने के लिए अधीर रहने वाले मानवों के प्रतीक के रूप में कॅलिप्सो प्रसिद्ध हो गया। इसी कॅलिप्सो की सहायता से कौस्तेयु ने १०० से अधिक फिल्में बनाई।

जॅक्विस कौस्तेयु द्वारा लिखी गई पुस्तकों में एवं उनके द्वारा बनाई गई फिल्मों ने दुनिया के लाखों नागरिकों के लिए सागरी गहराई के रहस्य का द्वार खोल दिया। अपनी लोकप्रियता का उपयोग करके जॅक्विस कौस्तेयु ने सारी दुनिया के सागरी तल के सुरक्षा एवं संवर्धन करने का अभियान शुरु कर दिया। १९७४ में जलचरों की सुरक्षा  हेतु  अमरीका में ‘कौस्तेयु सोसायटी’ की स्थापना की गई।

सागरों की सुरक्षा हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले जॅक्विस कौस्तेयु को दुनिया भर के विभिन्न देशों से सम्मान प्राप्त हुआ। १९९२ में जॅक्विन कौस्तेयु को रिओ दी जानिरो में संयुक्त राष्ट्रसंघ के पर्यावरण विषय में होने वाली परिषद में विशेष रूप में आमंत्रित किया गया । अपने जीवन के अंतिम क्षण तक सागर की चाह से आकर्षित इस धुरंधर का २५ जून १९९७ में निधन हो गया।

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