हेन्री विल्यम फोर्ड (१८६३-१९४७ )

henryfordभारतीयों को एक लाख में मिलने वाली कार देना यह मेरा स्वप्न है और उस दृष्टि से मैंने प्रयत्न भी शुरू कर दिए हैं। – रतन टाटा

भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति के रूप में पहचाने जाने वाले टाटा के द्वारा की गई इस घोषणा के बाद पूरे भारतवर्ष के उद्योग जगत में खलबली मच गई। किंतु टाटा की अब तक की प्रसिद्धि को देखते हुए किसी ने भी इस बात को असंभव होने की प्रतिक्रिया नहीं दी थी। एक लाख की कार की घोषणा करते समय टाटा ने अपनी कार को भारत के ‘मध्यमवर्गीय लोगों के पास अपनी खुद की गाड़ी होनी चाहिए’ यह स्वप्न साकार करेगी ऐसा कहा था।

साधारणत: सौ वर्ष पहले अमेरिका के एक किसान के लड़के ने ‘प्रत्येक घर में एक गाड़ी होनी चाहिए’ यह स्वप्न मन में दृढ़ करके उसके लिए अथक परिश्रम किया और विश्‍व के वाहन उद्योग में एक नई क्रांति लाई। उस शख़्स का नाम है- हेन्री विल्यम फोर्ड । मूलत: आयर्लंड के कॉर्क काऊंटी स्थित फोर्ड परिवार १९ वें शतक में अमेरिका के मिशिगन प्रांत में स्थायी हो गए थे। ऐसे परिवार में ३० जुलाई १८६३ के दिन हेन्री का जन्म हुआ। बचपन में अपने पिता के साथ खेत में जाने वाले हेन्री को खेती के प्रति कोई आकर्षण नहीं था।

सात वर्ष की उम्र में उनके खेत की कुछ दूरी पर लकड़ी के कारखाने ने उनका ध्यान आकर्षित कर लिया। कारखाने में काम करने वाले फ्रेड रॅडन ने उन्हें कारखाने में उपयोग में लाई जाने वाली भाप(बाष्प) की इंजिन किस तरह काम करती हैं यह समझाया । उस वर्षभर के अनुभव से हेन्री को जीवन की दिशा मिल गयी। अपनी माँ के निधन के पश्‍चात हेन्री ने खेत पर जाना बंद कर दिया। और पाठशाला भी छोड़ दी।

अगले तीन चार वर्ष दो स्थानिक कारखानों में यांत्रिक अनुभव लेने के पश्‍चात हेन्री फिर से अपने गाँव वापस आ गए। किंतु वापस आने के बाद उन्होंने खेती की ओर विशेष ध्यान न देते हुए लकड़ी के कारखाने और उस में उपयोग में लाये जाने वाले इंजिन के ऊपर अपना ध्यान केंद्रित किया। १८९१ वर्ष में हेन्री ने अपने कौशल्य व अनुभव के आधार पर एडिसन इल्युमिनेटिंग कम्पनी इंजीनियर के रूप में कार्यरत हुए। सिर्फ  दो वर्ष में ही वे कंपनी के मुख्य इंजीनियर बनकर कंपनी का कार्य देखने लगे।

मुख्य इंजीनियर बनने के बाद हेन्री को अपने संशोधन की ओर ध्यान देने का समय मिलने लगा। १८९६ वर्ष में हेन्री ने स्वयं एक ‘क्वाड्रीसायकल’ तैयार की। यह प्रयोग यशस्वी होने पर हेन्री ने एडिसन कंपनी के कुछ सहकारियों को साथ लेकर १८९९ में डेट्राईट ऑटोमोबाईल कंपनी की स्थापना की। किंतु हेन्री फोर्ड  केवल अपने संशोधन में ही ध्यान देता हैं। ऐसी तक्रार उनके सहकारियों के करने पर हेन्री ने कंपनी छोड़ दी।

हेन्री ने १९०३ में ११ निवेशकों की सहायता से २८ हजार डॉलर्स जमा करके स्वयं की ‘फोर्ड  मोटर कंपनी’ की स्थापना की। कंपनी की स्थापना करते समय फोर्ड  कंपनी शुरू की तब उसमें सिर्फ  पाँच कामगार थे। अन्य जब कंपनियों की माँग के अनुसार दिन में कुछ गाड़ियाँ तैयार होने लगी। हेन्री फोर्ड  ने स्वत: ही ‘ए’ से ‘एन’ तक विविध प्रकार के मॉडेल्स बाजार में लाए किंतु उसमें से कोई भी मॉडेल यशस्वी नहीं हो सका।

अंत में फोर्ड  ने कम कींमत की व विश्‍वासार्ह मॉडल तैयार करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। और अंत में अक्तूबर १९०८ में हेन्री फोर्ड  ने वास्तव में अपने निश्‍चय के अनुसार जनता कार अपनी पहली गाड़ी बनाई। उस गाड़ी का नाम था ‘मॉडल टी’’। चार सिलिंडर के इंजीन व दो अश्‍व शक्ति वाली यह गाड़ी फोर्ड  ने सिर्फ  ९५० डॉलर में लोगों के लिए उपलब्ध कराई। अमेरिका की जनता इस गाड़ी की खरीदी पर टूट पड़ी। रेसिंग कार से लेकर ट्रक्टर तक सारे कामों के लिए यह गाड़ी उपयोग में लाई जाने लगी। सच कहा जाय तो इस गाड़ी ने अनेक अमेरिकन नागरिकों को पहिए पर चलाना सिखा दिया। (अधिकांश लोगों ने गाड़ी खरीद ली)।

सिर्फ  १८ वर्ष में फोर्ड  कंपनी ने १ करोड़ ५८ लाख ‘मॉडेल टी’ गाडियों की विक्री की। इस गाड़ी की एक और विशेषता यह है कि प्रत्येक वर्ष इस गाड़ी की कीमत कम होते गई। १९२७ में जिस वक्त फोर्ड  ने इस गाड़ी का उत्पादन बंद किया उस वक्त इस गाड़ी की कींमत सिर्फ  २९० डॉलर्स थी।

गाड़ियों के साथ-साथ फोर्ड  की औद्यौगिक क्षेत्र में एक देन यह भी थी कि १९१३ में उन्होंने स्वयं बनाई हुई और कारखाने में बहुत बड़े भारी प्रमाण में उपयोग में लाई जानेवाली ‘असेंब्ली लाईन’ की पद्धति थी। इस पद्धति के कारण फोर्ड  की गाड़ियाँ बनाने की गति प्रचंड रूप से बढ़ गई।

पहले कम से कम तीन से पाँच घंटे गाड़ी बनाने में लगते थे वह गाड़ी इस पद्धति से अब सिर्फ  डेढ़ घंटे में तैयार होने लगी। अपने इस बढ़ते हुए व्यवसाय को सिर्फ  अपने देश तक सीमित न रखकर पूरे विश्‍व के कोने-कोने तक पहुँचाने की दृष्टि से फोर्ड  ने लगभग ७ हजार विक्रेताओं का एक समूह बनाया।

इस यश से उन्मत्त न होकर गाड़ियों के संदर्भ में फोर्ड  ने अपना संशोधन लगातार जारी ही रखा। सन १९३२ में विकसित किया ‘व्ही-८ ’ इंजीन और १९४२ में प्लास्टिक की सहायता से तैयार की गई हमेशा की अपेक्षा ३० प्रतिशत कम वजन की गाड़ी इन दोनों उत्पादनों को प्रचंड लोकप्रियता मिली। पहले महायुद्ध के युग में और उसके बाद कुछ समय तक फोर्ड  ने हवाई जहाज़ भी तैयार किये।

कुशाग्र बुद्धिमत्ता, दुर्दम्य आत्मविश्‍वास और अपने ध्येय की पूर्ति करने के लिए अविरत परिश्रम की तैयारी रखते हुए अपने बल पर अपनी कीर्ति बढ़ाने वाले हेन्री फोर्ड  का ७ अप्रैल सन १९४७ को निधन हो गया।

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