पाकिस्तान के क्वेट्टा में बम विस्फोट में पाँच लोगों की मौत – चीन के राजदूत होनेवाले होटल को आतंकवादियों ने लक्ष्य किया

क्वेट्टा – पाकिस्तान के बलुचिस्तान की राजधानी क्वेट्टा के सेरेना होटल में हुए बम विस्फोट में पाँच लोगों की मृत्यु और १२ लोग घायल हुए हैं। इसी होटल में पाकिस्तान में नियुक्त चीन के राजदूत नोंग रोंग आए थे और उन्हीं को लक्ष्य करने के लिए यह विस्फोट करवाया गया था। लेकिन राजदूत रोंग सुरक्षित होने की जानकारी पुलिस ने दी है। यह घातपात भारत ने करवाया होने के वाहियात आरोप पाकिस्तान के माध्यमों ने शुरू किए थे। लेकिन ‘तेहरिक-ए-तालिबान’ ने इस विस्फोट की जिम्मेदारी का स्वीकार करके, भारत के विरोध में होने वाले इस अपप्रचार से हवा ही निकाल दी।

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क्वेट्टा के सेरेना होटल के पार्किंग लॉट में होने वाली गाड़ी पर तकरीबन ९० किलोग्रॅम के विस्फोटक बिठाए गए थे। उसके विस्फोट से ५ लोग मारे गए होकर, १२ लोग जख्मी होने की जानकारी बलुचिस्तान के पुलिस अधिकारी ने दी। जब यह विस्फोट हुआ, उस समय चीन के राजदूत रोंग इस होटल की इमारत में नहीं थे, ऐसा भी इस अधिकारी ने कहा है। साथ ही राजदूत रोंग सुरक्षित होकर उन्होंने अपने पूर्वनियोजित कार्यक्रम वैसे ही जारी रखने का फैसला किया है कौन ऐसा भी इस पुलिस अधिकारी ने कहा है। लेकिन यह विस्फोट करवाने की कबूली देने वाले ‘तेहरिक-ए-तालिबान’ ने अलग ही जानकारी दी।

यह आत्मघाती विस्फोट था, ऐसा तेहरिक के प्रवक्ता ने कहा है। इस विस्फोट की पाकिस्तान में गंभीर गूँजें सुनाई दे रहीं हैं। प्रधानमंत्री इम्रान खान ने इस विस्फोट का निषेध करके, पाकिस्तान में फिर से आतंकवाद की नई लहर नहीं आने देंगे, ऐसा कहा है। इसी बीच, इस बम विस्फोट के पीछे भारत होने का होहल्ला पाकिस्तान के माध्यमों ने शुरू किया था। लेकिन तेहरीक ने इसकी जिम्मेदारी का स्वीकार करने के कारण, यह आरोप यानी पाकिस्तान द्वारा भारत के विरोध में किए जानेवाले अपप्रचार का भाग है, यह स्पष्ट हुआ।

इस बमविस्फोट का झटका पाकिस्तान समेत चीन को भी महसूस हो रहा स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। कुछ विश्लेषकों ने इस विस्फोट का संबंध, अमरीका की अफगानिस्तान से सेनावापसी की प्रक्रिया से जोड़ा है। सितंबर महीने में अमरीका की सेना अफगानिस्तान से वापसी करेगी। अमरीका की सेनावापसी यानी अफगानिस्तान में तालिबान को प्राप्त हुई विजय साबित होती है, ऐसे दावे किए जाते हैं। इससे पाकिस्तान में तालिबान के साथीदार माने जानेवाले ‘तेहरिक’ के आतंकियों को नई ताकत मिली है। एक बार जब अफगानिस्तान से अमरीका की सेना स्वदेश लौटेगी, तो फिर उसके बाद पाकिस्तान में तहरीर तथा अन्य संगठनों के आतंकी इस प्रकार के घातपात लगातार करवायेंगे, ऐसा दावा कुछ अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं।

वहीं, कुछ विश्लेषकों ने यह दावा किया है कि पाकिस्तान समेत ईरान में चीन कर रहे निवेश के विरोध में चेतावनी देने के लिए यह विस्फोट करवाया गया है। चीन ने पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत में भारी मात्रा में निवेश शुरू किया होकर, इसे बलुचिस्तान की स्थानीय जनता का विरोध है। बलोच बागी संगठनों ने तो चीन को इस बात पर कड़ी चेतावनी दी थी। लेकिन पाकिस्तान के लष्कर की मदद से चीन इस विरोध को तोड़ने की कोशिश में है। उसका संबंध इस विस्फोट से हो सकता है, ऐसी चर्चा है। उसी समय, ईरान में चीन कर रहे लगभग ४०० अरब डॉलर्स के निवेश को झटका देने के लिए यह विस्फोट करवाया होने की संभावना भी जताई जा रही है। बलुचिस्तान से ईरान की सीमा सटी हुई है और इस प्रांत का इस्तेमाल करके चीन ईरान का इंधन अपने देश तक पहुँचानेवाला है। इसी कारण इस निवेश का विरोध करनेवालीं शक्तियों ने, चीन को इस विस्फोट द्वारा चेतावनी दी होने का दावा किया जाता है।

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वहीं, तालिबान और अल कायदा इन आतंकवादी संगठनों ने, चीन अपने उइगर प्रांत के इस्लामधर्मियों पर कर रहे अत्याचारों का कड़े शब्दों में निषेध दर्ज किया था, इसकी भी याद कुछ विश्लेषकों ने करा दी है। इस कारण चीन को इस बम विस्फोट द्वारा चेतावनी देने की कोशिश इन आतंकवादी संगठनों ने की होने की संभावना भी कुछ लोगों ने जताई है। लेकिन पाकिस्तान के आतंकवादी और कट्टरपंथी संगठनों के विरोध में सख़्त भूमिका अपनाने के बजाय, इम्रान खान की सरकार उनके बारे में नर्म रवैया अपना रही है, ऐसी आलोचना पाकिस्तानी पत्रकार और विश्लेषक कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ‘तेहरिक-ए-लबैक’ इस कट्टरपंथी संगठन ने, अपनी माँगें स्वीकृत नहीं हुईं इसके लिए पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन शुरू किए थे। उसके बाद पाकिस्तानी सरकार ने लबैक को ‘आतंकवादी’ करार देकर पाबंदी लगाई थी। लेकिन अब सरकार इस संगठन के नेताओं के साथ चर्चा कर रही होकर, इस संगठन के नेताओं की और समर्थकों की रिहाई कर रही है।

साथ ही, लबैक की माँग पर पाकिस्तान की संसद में प्रस्ताव रखकर उस पर चर्चा की जा रही है। इससे यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि इम्रान खान की सरकार कट्टरपंथियों के सामने झुक गई है, ऐसी शिकायत पाकिस्तान के माध्यम करने लगे हैं। इम्रान खान की सरकार ने किया यह समझौता, चरमपंथी और आतंकवादियों की ताकत बढ़ानेवाला और उन्हें प्रोत्साहित करनेवाला होने की गंभीर आलोचना पाकिस्तान के जिम्मेदार पत्रकार और विश्लेषक कर रहे हैं।

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