अमरिकी संसद की ‘फॉरेन रिलेशन्स कमिटी’ द्वारा भारत-अमरीका सहयोग दृढ़ करनेवाला विधेयक मंजूर

वॉशिंग्टन – अमरिकी संसद की ‘फॉरेन रिलेशन्स कमिटी’ ने चीन की वर्चस्ववादी हरकतें रोकने के लिए अमरीका का भारत के साथ सहयोग मज़बूत करनेवाला विधेयक मंजूर किया है। इस वजह से अमरीका चीन के विरोध में भारत को आवश्‍यक सहयोग आसानी से प्रदान कर सकेगी। इस सहयोग के रास्ते में अमरिकी कानून के तकनीकी मुद्दे अड़ंगे नहीं बन सकेंगे। विदेश नीति की दिशा तय करनेवाली अमरिकी संसद की इस कमिटी द्वारा मंजूर किया गया यह विधेयक आगे के दिनों के लिए काफी अहम साबित होगा।

‘फॉरेन रिलेशन्स कमिटी’

‘स्ट्रैटेजिक कॉम्पिटिशन ऐक्ट’ नामक यह विधेयक अमरिकी संसद की ‘फॉरेन रिलेशन्स कमिटी’ ने २१ बटे १ फरक के बहुमत के साथ परित किया। चीन की विस्तारवादी हरकतों से खतरा महसूस कर रहे भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को पूरा सहयोग देने के लिए अमरिकी कानून में ज़रूरी बदलाव और सुधार करने का अवसर इस विधेयक से प्राप्त हुआ है। इसका अमरीका और भारत के द्विपक्षीय सहयोग को बड़ा लाभ होगा। इससे पहले भारत और अमरीका के बीच ‘लिमोआ’, ‘कॉमकासा’, बेका’ जैसे रणनीतिक सहयोग के समझौते हुए हैं। फिर भी दोनों देशों का सहयोग उम्मीद के अनुसार उंचाई पर नहीं पहुँच पाया है। ऐसी स्थिति में इस द्विपक्षीय सहयोग की राह में अड़ंगा बन रहे कानूनी प्रावधान हटाने के लिए वर्णित कमिटी ने मंजूर किया यह विधेयक काफी बड़ा योगदान दे सकेगा।

इसके साथ ही क्वाड देशों का सहयोग अधिक मजबूत करने के लिए कुछ अहम मुद्दों का समावेश भी इस विधेयक में किया गया है। इसके अनुसार क्वाड के चारों सदस्य देशों के सांसदों का संयुक्त कार्यगुट स्थापित किया जाएगा। अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के सांसदों के समावेश के इस कार्यगुट की वजह से चारों देशों का रक्षा सहयोग व्यापक करना मुमकिन हो सकेगा। साथ ही इससे चीन के अतिमहत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआय) प्रकल्प को रोकने के विकल्पों पर भी काम करना संभव होगा, ऐसा विश्‍वास अमरिका के ‘फॉरेन रिलेशन्स कमिटी’ के सदस्यों ने व्यक्त किया है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की हरकतें तीव्र हुई हैं और इससे चीन की महत्वाकांक्षा विश्‍व के सामने स्पष्ट हुई है। अपने आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके चीन छोटे और अविकसित देशों को अपने कर्ज़ के जाल में फंसा रहा है। इन देशों की साधन संपत्ति और नैसर्गिक स्रोत लूटने के लिए चीन ने ‘बीआरआय’ को गति दी थी। लेकिन, चीन का यह उद्देश्‍य स्पष्ट हो रहा है और ‘बीआरआय’ से विश्‍व के लिए बड़ा खतरा बनता हैं, यह बात अब विकसित देशों के ध्यान में आ रही है। आर्थिक और राजनीतिक ताकत का इस तरह से इस्तेमाल करते समय चीन ने लष्करी ताकत का प्रदर्शन करना भी शुरू किया है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन लगभग सभी देशों को अपनी ताकत के आतंक से दबाने की कोशिश कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय समुद्री यातायात एवं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा को चीन की हरकतों से खतरा है। इस पर गंभीरता से संज्ञान लेने के लिए अमरीका विवश है और फॉरेन रिलेशन्स कमिटी ने पारित किए विधेयक में इसकी छबी दिखाई दे रही है।

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