अमरिकी संसद में तिब्बती जनता के अधिकार मंजूर करनेवाला विधेयक पारित – चीन द्वारा आलोचना

us-tibetवॉशिंग्टन/बीजिंग – तिब्बती बौद्धधर्मियों के प्रमुख दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन करने का अधिकार तिब्बती जनता को ही होने का स्पष्ट प्रावधान करनेवाला विधेयक अमरिकी संसद ने पारित किया है। अमरीका की यह कार्रवाई चीन के लिए बड़ा झटका है और इसपर चीन ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। भारत में स्थित ‘तिब्बती गव्हर्मेंट इन एक्झाईल’ के प्रमुख एवं वरिष्ठ तिब्बती नेता डॉ.लॉबसांग सांगेय ने अमरीका की इस कृति का स्वागत किया है और इसे ऐतिहासिक घटना करार दिया है।

कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर अपनी विस्तारवादी नीति आगे बढ़ा रही चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने, आन्तर्राष्ट्रीय समझौता ठुकराकर हाँगकाँग पर ज़बरन कब्ज़ा किया है। इसी बीच तैवान समेत साउथ चायना सी क्षेत्र का क्षेत्र काबिज़ करने की कोशिश भी चीन कर रहा है। चीन की ऐसीं हरकतों की वजह से आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में नाराज़गी की तीव्र भावना बनी है और कई देशों ने इसका खुलेआम विरोध करना शुरू किया है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने इससे पहले तिब्बत का क्षेत्र काबिज़ करके, वहाँ की जनता के बुनियादी, सियासी एवं धार्मिक अधिकार भी ठुकराए हैं। साथ ही, तिब्बत की विशेषता से भरी धार्मिक संस्कृति का संहार करने की नीति चीन की हुकूमत ने अपनाई है। तिब्बतियों की स्वतंत्रता की नहीं, बल्कि स्वायत्तता की माँग भी चीन ने ठुकराई है।

us-tibetअपनी आर्थिक, सियासी एवं लष्करी ताकत के बल पर चीन ने आजतक तिब्बती जनता की आवाज़ दबाई है, लेकिन बीते कुछ महीनों में स्थिति में बदलाव दिखाई देने लगा है। तिब्बत के विरोध में चीन ने अपनाई नीति, यह तीव्र चिंता का विषय होने का एहसास, अमरीका, युरोपिय देशों के साथ जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसें प्रमुख देशों ने लगातार कराना शुरू किया है। अमरीका ने राजनीतिक स्तर पर आक्रामक भूमिका अपनाई है और तिब्बत के मुद्दे पर चीन पर प्रतिबंध भी लगाए हैं। कुछ महीनें पहले वरिष्ठ अधिकारी रॉबर्ट डेस्ट्रो की नियुक्ति, तिब्बत के लिए बतौर विशेष समन्वयक भी की गई है।

us-tibetमंगलवार के दिन अमरिकी संसद में मंजूर हुआ विधेयक अमरीका की जारी आक्रामक राजनीतिक मुहिम का ही हिस्सा है। ‘तिब्बतियन पॉलिसी ॲण्ड सपोर्ट एक्ट’ नामक इस विधेयक में, तिब्बती बौद्धधर्मियों के प्रमुख दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन करने का पूरा अधिकार तिब्बती जनता को ही होने की बात स्पष्ट की गई हैं। साथ ही, अमरीका तिब्बत का प्रमुख शहर ल्हासा में राजनीतिक दफ्तर शुरू करें, यह माँग भी इस विधेयक मे है। तिब्बत के पर्यावरण संवर्धन के लिए कदम उठाने का प्रावधान भी इस अमरिकी विधेयक मे है।

अमरीका के इस विधेयक का, ‘तिब्बतियन गव्हर्मेंट इन एक्झाईल’ के प्रमुख डॉ. लॉबसांग सांगेय ने स्वागत किया है और यह विधेयक चीन के लिए संदेशा होने का दावा किया है। अमरीका की इस कार्रवाई से चीन की बड़ी बौखलाहट होती दिखायी दे रही है। ‘अमरीका फिर से चीन के अंदरूनी मामले मे दखलअंदाज़ी करती दिख रही है। ऐसा करने से अमरीका पीछे हटें और यह विधेयक कानून में परिवर्तित होने से रोक दें। ऐसा नहीं हुआ, तो अमरीका और चीन का सहयोग और द्विपक्षीय संबंध बिगड़ सकते हैं, इस बात का अहसास रखें’, ऐसी चेतावनी भी चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी है।

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