अफ़गानिस्तान से सेना की वापसी करने में अमरीका जल्दबाज़ी ना करे – पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान

वॉशिंग्टन – अफ़गानिस्तान में तैनात अपनी पूरी सेना को अमरीका ने हटाए बगैर इस देश में शांति स्थापित नहीं होगी, यह बात तालिबान ड़टकर कह रही है। आज तक तालिबान का समर्थन करते रहे पाकिस्तान को भी अफ़गानिस्तान से नाटो और अमरीकी सेना की वापसी की उम्मीद रही है। लेकिन, अब अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अफ़गानिस्तान में तैनात अपनी सेना को स्वदेश वापस बुलाने की तैयारी की है। इसके बाद पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ने की बात सामने आ रही है। ’द वॉशिंग्टन पोस्ट’ नामक समाचार पत्र में लेख लिखकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने अमरीका ने जल्दबाज़ी में अफ़गानिस्तान से अपनी सेना हटाना समझदारी नहीं होगी, यह दावा किया है। उनके इस लेख के बाद पाकिस्तान के विश्‍लेषक उलझन में फंसे हैं।

imran-us-afghan२९ फ़रवरी के दिन अमरीका और तालिबान के बीच अफ़गानिस्तान शांतिवार्ता और सेना की वापसी को लेकर समझौता हुआ था। इस शांतिवार्ता में अमरीका को अफ़गानिस्तान में तैनात अपनी पूरी सेना हटानी होगी, यह शर्त तालिबान ने रखी है। तालिबान की यह शर्त अमरीका ने स्वीकार की और इसके बाद यह शांतिवार्ता कामयाब होने का ऐलान किया गया था। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सप्ताह पहले से अफ़गानिस्तान से धीरे धीरे सेना पीछे हटाने का ऐलान किया था। ऐसे में अक्तूबर से अमरीकी सेना की वापसी की शुरूआत होगी, यह संकेत अमरीकी रक्षा विभाग ने दिए थे।

लेकिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने अमरीकी समाचार पत्र ‘द वॉशिंग्टन पोस्ट’ में लिखे लेख में ऐसा कहा है कि, इम्रान खान ने (अमरीका) अफ़गानिस्तान से सेना वापसी करने की जल्दबाज़ी ना करें। अफ़गानिस्तान की सरकार और तालिबान की शांतिवार्ता सफल हुए बगैर सेना वापसी के कार्यक्रम पर अमल ना करें, यह सुझाव इम्रान खान ने दिया है। अफ़गानिस्तान में शांति स्थापित हुई तो ही पाकिस्तान में भी सच्चे मायने में शांति स्थापित होगी, यह दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने किया है। साथ ही शांति प्रक्रिया में शामिल ना होनेवाले देश अफ़गानिस्तान की मौजूदा अस्थिरता का इस्तेमाल अपने सियासी लाभ के लिए कर रहे हैं, ऐसा कहकर इम्रान खान ने अप्रत्यक्षरूप से भारत की आलोचना की है।

imran-us-afghanअफ़गानिस्तान के कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह पाकिस्तान की यात्रा कर रहे हैं तभी इम्रान खान का यह लेख प्रसिद्ध हुआ है। पाकिस्तान की सेना और कुख्यात गुप्तचर संगठन ‘आयएसआय’ अफ़गानिस्तान से अमरीकी सेना की वापसी की प्रतिक्षा में होने का आरोप अफ़गानिस्तान की सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने पहले भी किया था। अमरीका की सेना वापसी के बाद तालिबान की सहायता से अफ़गानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित करने की साज़िश पाकिस्तान ने की थी। भारत से कश्‍मीर प्राप्त करने का रास्ता अफ़गानिस्तान से गुज़रता है, यह कहकर पाकिस्तान के सेना अधिकारी तालिबान का इस्तेमाल करके कश्‍मीर जीतने की योजना पेश कर रहे थे। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री इम्रान खान ने अमरीका के सामने रखी यह माँग चमत्कारी (चौकानेवाली) होने की बात स्वयं पाकिस्तान के कुछ पत्रकार और विश्‍लेषक कह रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत की भाषा क्यों बोलने लगे हैं, इस सवाल में भी यह विश्‍लेषक उलझे हैं।

अफ़गानिस्तान में मौजूद अमरीकी सेना के लिए आवश्‍यक सामान की आपूर्ति पाकिस्तान के रास्तों से की जा रही हैं। ऐसे में अफ़गानिस्तान से सेना की वापसी पर अमरीका को पाकिस्तान पर निर्भर रहने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। इससे पाकिस्तान की अहमियत ख़त्म हो जाएगी, यह बात पर पाकिस्तान के नीतिकारों का ध्यान केंद्रीत हुआ होगा। साथ ही अफ़गानिस्तान तालिबान के हाथों में गया तो अफ़गानिस्तान में अराजकता फैलेगी और इसका असर पाकिस्तान में भी होगा, इस ड़र ने पाकिस्तान को परेशान किया होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। साथ ही तालिबान के कब्ज़े में जाने के बाद अफ़गानिस्तान में कट्टरतावाद बढ़ेगा और इससे पाकिस्तान में भी कट्टरतावाद को अधिक ताकत प्राप्त होगी, यह ड़र भी पाकिस्तान के एक वर्ग को परेशान करने लगा है, यह दावा किया जा रहा हैं। ऐसे में अब पाकिस्तान को अफ़गानिस्तान में अमरीकी सेना की मौजूदगी आवश्‍यक होने का अहसास होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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