सुदान में कार्रवाई में १०० अधिक लोगों की मौत – लष्करी हुकूमत के विरोध में प्रदर्शन तीव्र

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरखार्तुम – सुदान में भूतपूर्व तानाशाह ओमर बशिर को निकाल बाहर करने के बाद भी अस्थिरता बनी रहने के संकेत प्राप्त हो रहे है| बशिर की जगह पानेवाले ‘मिलिटरी कौन्सिल’ के विरोध में असहयोग आंदोलन की शुरूआत हुई है और राजधानी खार्तुम के साथ देश के अन्य हिस्सों में रोजमर्रा के व्यवहार ठप हुए है| यह आंदोलन तोडने के लिए लष्कर ने विपक्ष को धरदबोचना शुरू किया है और कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों के विरोध में हिंसक कार्रवाई होने की बात कही जा रही है| सुदान में शुरू इन प्रदर्शनों पर अबतक हुई कार्रवाई में १०० लोगों की मौत होने का दावा भी हो रहा है|

दो महीनें पहले सुदान में सेना ने तानाशाह और भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष ओमर बशिर ते विरोध में बगावत करके सफलता के साथ उनकी हुकूमत का तख्तापलट किया था| उसके बाद मिलिटरी कौन्सिल ने सुदान का नियंत्रण हाथ में लिया है, फिर भी जनता में बना असंतोष अभी भी कम नही हुआ है| शुरूआत में तानाशाह बशिर और उसके बाद सेना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे विपक्षी गुटों ने सत्ता संभाल रही कौन्सिल में नागरि प्रतिनिधियों का समावेश हो, यह मांग रखी है| इसके अलावा चुनाव, संविधान में सुधार और जनतांत्रिक सुधार करने के लिए भी विपक्षी दलों ने आक्रामकता दिखाई है|

विपक्षी दलों के इस रवैये पर सेना की नाराजगी दिखाई दे रही है और अब सेना ने प्रदर्शनकारियों में दरार बनाने की और प्रदर्शन तोडने की कोशिश शुरू की है| पिछले सप्ताह में सेना ने राजधानी खार्तुम में प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसूगैस छोडकर लाठी भी चलाई थी| लेकिन, इससे भी प्रदर्शनकारी पीछे नही हटें और यह देखकर सेना ने गोलीबारी की| इस कार्रवाई में ७० से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत होने की बात कही गई| सेना की इस कार्रवाई के लिए प्रदर्शनाकारी ही जिम्मेदार होने का आरोप मिलिटरी कौन्सिल ने रखा|

इस कार्रवाई से क्रोधित हुए विपक्षी दलों ने प्रदर्शन नए स्तर पर ले जाने के लिए गतिविधियां शुरू की है| इसी के एक हिस्से के तौर पर रविवार से असहयोग प्रदर्शन शुरू किए गए है| राजधानी खार्तुम के साथ कई अन्य शहरों के नागरिक इन प्रदर्शनों में शामिल हुए है और सरकारी दफ्तर, दुकान, पाठशाला, नीजि उपक्रम, यातायात पूरी तरह बंद रखी गई| इस वजह से पिछले दो दिन से देश के कई हिस्सों में पूरा सन्नाटा है और यह मिलिटरी कौन्सिल के दमन को लगा बडा झटका समझा जा रहा है|

विपक्षी दलों को प्राप्त हुई इस सफलता से बेचैन हुई सेना ने कई तरीकों से यह प्रदर्शन तोडने की कोशिश शुरू की है| इसके लिए प्रदर्शनकों का नेतृत्व कर रहे नेताओं को जबरन देश के बाहर निकाला है| साथ ही दुकान और दफ्तर शुरू करने के लिए सेना के सैनिक शहरों में तैनात किए है| इस तैनाती के जरिए स्थानिय लोगों पर दबाव बनाया जा रहा है| सेना के दबाव का विरोध करने पर कार्रवाई की जा रही है और ऐसी कार्रवाई में कम से कम चार लोग मारे गए है, यह कहा जा रहा है| पिछले सप्ताह से सेना और अन्य सुरक्षा यंत्रणाओं से की गई कार्रवाई में १०० से अधिक प्रदर्शनकारियों ने जान गंवाई है, यह दावा स्थानिय गुट कर रहे है|

इस दौरान सुदान के मिलिटरी कौन्सिल ने करी कार्रवाई की गुंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देने लगी है| अफ्रीकी महासंघ ने अपने गुट से सुदान को बाहर करने का ऐलान किया| अमरिका ने अफ्रीका के लिए नियुक्त किए ‘असिस्टंट सेक्रेटरी’ तिबोर नागी सुदान की यात्रा करेंगे और सेना एवं प्रदर्शनकारियों के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश करेंगे, यह संकेत अमरिकी सूत्रों ने दिए है| पिछले सप्ताह में इथिओपिया के प्रधानमंत्री ने सुदान के दो गुटों में सुलाह करने के लिए की कोशिश नाकामयाब होने की बात दिखाई दी है|

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