ब्लॉग की दुनिया में

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इस कम्प्यूटर युग में जहॉं पर बच्चे एवं पालक एक दूसरे के साथ घर पर कम एवं इंटरनेट पर अधिक बातें करेंगे ऐसा समय आ सकता है। जान लो ऐसा समय आ चुका है। जहाँ लोग एक दूसरे के साथ आपस में मिलकर कम, परन्तु इंटरनेट पर दिल खोलकर मुक्तरुप में बातें करने लगे हैं। इसी कारण सोशल नेटवर्किंग संकेत स्थलों का (websites) महत्त्व बढ़ना स्वाभाविक ही है। इसीलिए इस चर्चा के दौरान हम ‘ब्लॉग’ इस अत्यन्त लोकप्रिय एवं उपयोगी विषय से संबंधित जानकारी हासिल करेंगे।

१७ दिसंबर, सन १९९७ में ब्लॉग, इस शब्द का उपयोग पहली बार जॉर्ज बार्गर ने बड़ी ही सहजता से किया था। ‘ब्लॉग’ (Blog) यह शब्द ‘वेब’ (Web) और ‘लॉग’ (Log) इन दो अंग्रेजी शब्दों को जोड़कर बनाया गया था। ब्लॉग अर्थात किसी भी विशेष यांत्रिक ज्ञान बिना बनाये एवं उपयोग में लाये जा सकने वाले ‘वेब’ जो संकेत स्थलों का काम कर सके। इस पर हम जानकारी चित्र, विडीयो, दस्तावेज इत्यादि प्रकाशित कर सकते हैं। जिन नेटधारकों का स्वयं का अपना ब्लॉग होता है उन्हें ‘ब्लॉगर’ कहा जाता है। आज के इंटरनेट युग में पूरी दुनिया के साथ एवं दुनिया के किसी भी कोने में रहनेवाले हर एक के साथ थेट संपर्क साध्य करने के लिए ब्लॉग के समान उपयोगी एवं सीधे मुक्त ऐसा अन्य कोई भी साधन नहीं।

ब्लॉग बनाने के लिए सबसे आसान एवं मुक्त संकेत स्थल ‘गुगल’ के ‘ब्लॉगर’ (www.blogger.com) को माना जाता है। ब्लॉगर के साथ ही ‘वर्डप्रेस’ (www.wordpress.org) भी इसी प्रकार का एक संकेत स्थल है।

इसी कारण शायद नये ब्लॉंगर्स इस `ब्लॉंगर डॉट कॉम’ का उपयोग करना पसंद करते हैं। परन्तु सॉफ्टवेअर कोडिंग के जानकार ये अधिकतर वर्डप्रेस का उपयोग करते पाये जाते हैं। इसका कारण यह है कि, ‘वर्डप्रेस’ इस ब्लॉग का सोर्सकोड़ (संगणक के भाषा में स्फॉटवेअर प्रोग्रॅम) मुफ्त में देते हैं। परन्तु ‘ब्लॉंगर डॉट कॉम’ सोर्डकोड न देने के कारण इस साईट के ढ़ाँचे में बदलाव लाना सहज संभव नहीं हैं। सोर्सकोर्ड के कारण अपने होस्टिंग संकेत स्थलपर निर्भर न रहते हुए हम अपने ब्लॉग में सहज ही यांत्रिक बदलाव ला सकते हैं। इन दो संकेत स्थलों के अलावा भी अनेक संकेत स्थल हमें मुफ्त में ब्लॉग बनाने का व्यासपीठ पुरा करते हैं। ये ब्लॉगज्‌ बनाने के लिए और संभालने के लिए इंटरनेट पर कुछ ब्लॉग मदद पुस्तिकाएँ (Help Manuals) मुफ्त में उपलब्ध हैं। इसके अलावा ब्लॉग के होस्टिंग संकेत स्थल भी ये सारी जानकारियाँ इन ऐसी पुस्तिकाओं के माध्यम मुफ्त में उपलब्ध करवाकर देते हैं। ये पुस्तिकायें समझने में बिलकुल आसान एवं विस्तृत होती हैं। इसी कारण ब्लॉग बनाने का काम बिलकुल आसानी से सहज ही हो जाता है।

ब्लॉग अथवा किसी भी वेब पेज के सर्च इंजिन (उदाहरण के तौर पर गुगल, याहू, बिंग, एमएसएन आदि) के माध्यम से सर्च करके उसे प्रदर्शित करना यह संपूर्णत: उस वेबपेज के सर्च इंजिन्स्‌ के अनुक्रम पर (search engine ranking) निर्भर रहता है। अपने ब्लॉग को यशस्वी एवं लोकप्रिय बनाने के लिए यह सर्च इंजिन रैंकिंग बढ़ाना और रखना ज़रूरी होता है। साथ ही अपने ब्लॉग का जो विशेष उद्देश्य जो जानकारियों का प्रचार एवं प्रसार (किसी भी विषय, स्वयं के बारे में, किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था का इत्यादि) तभी साध्य होता है जब सर्च इंजिन में अन्य नेट धारकों को अपना ब्लॉग ढूँढ़ने में एवं पाने में आसानी होती है। इसीलिए अपने ब्लॉग को नियमित अद्ययावत (update) रखना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एवं लगभग यह रैकिंग बढ़ाने का जादुई चिराग ही है। साथ ही रैकिंग प्राप्त करने के लिए इस पर अधिकाअधिक लोगों को (Visitors) आकर्षित करना एवं तरोताज़ा रखना भी ज़रूरी होता है। इसके लिए ब्लॉग को आकर्षक बनाने के लिए उसके बॅकग्राऊंड का रंग-ढ़ंग, चित्र (image), साचा (template) एवं उसकी आकृतिबद्धता (layout) ये दिए गए विकल्पों में से हम चुन सकते हैं। इसके अलागा हम ब्लॉग में नवनवीन साधनों (gadgets) का उपयोग कर सकते हैं। इन गॅजेट्‌स का उपयोग करके हम अपने ब्लॉग को सुशोभित भी कर सकते हैं। इसके अलावा अपने ब्लॉग का समय-समय पर६ विश्लेषण करके, उसके अनुसार अपने ब्लॉग को मिलने वाले लोगों के सातह संभाषण करने एवं उनके विचार जानने के लिए ये अपनी सहायता करते हैं। उदा. किसी भी प्रश्न पर जनमत सर्वेक्षण का (opinion poll) गॅज़ेट का।

ब्लॉग सर्च के इसी क्षमता के कारण आज ये ब्लॉग चीन, इजिप्त, इरान, सुदान, सौदी अरब, उत्तर कोरिया, ब्रह्मदेश(म्यानमार), आदि हुकुमशाही देशों की जनता के शोषण के प्रति विरोध की आवाज़ बन गया है। इसी ब्लॉग सर्च के माध्यम से ये शोषित जनता दुनिया के अन्य देशों के लोगों के साथ, प्रसारमाध्यमों के साथ, मानवाधिकार संघटनाओं के साथ, दबीव गटाशा के साथ संपर्क स्थापित करना आदि इस दड़पशाह विरुध्द सीधे ‘अंतरराष्ट्रीय’ धरातल पर अपनी आवाज पहुँचा रहे हैं। इस बात का ताजा उदाहरण है – जिस समय चीन में तिब्बत एवं झिजियॉग इन प्रातों में दंग़लबाजी चल रही है उस समय वहाँ की जनता ने चीनी सरकार के दड़पशाह, बदले की भावना एवं निर्दयता आदि को इसी ब्लॉग के माध्यम से ही सारी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था।

इन सारी बातों को गोपनीय बनाये रखने की चीन सरकार हर प्रकार से कोशिश कर रही थी। मात्र इसी माध्यम के कारण ही चीन सरकार पर आंतरराष्ट्रीय दबाब डाले जाने के कारण ही वहाँ की जनता पर होने वाला अत्याचार कम हुआ था।

आज कल बड़ी-बड़ी कंपनियों का भी अपना अन्तर्गत ब्लॉगज्‌ बनाने पर जोर दिखाई दे रहा है। इन अन्तर्गत ब्लॉगज्‌ में कंपनी का कोई भी कर्मचारी अपनी राय, सुविचार, व्यवसाय संबंधित नये-नये विचार एवं कार्यपद्धति। तक्रार आदि प्रकाशित कर सकता है। यह सब कुछ केवल कंपनी तक ही सीमित होगा परन्तु कर्मचारी कंपनी में ही यह सब पढ़ भी सकता है और उन मुद्दों के संबंध में अपने विचार भी प्रस्तुत कर सकता है। इससे कार्यालयीन पारदर्शकता भी बढ़ती है एवं नये-नये विचारों से कार्यपद्धति को दिशा प्राप्त होती है। तथा उसका किसी लाभदायक एवं हितकारक परियोजना में (Project) रुपांतर हो जाता है। इसके अन्तर्गत ब्लॉगज्‌ की ओर निरंतर सुधारप्रणाली (Continual Improvement System) के रुप में भी देखा जा सकता है।

आज कल बड़े-बड़े एवं प्रसिद्ध व्यक्ति भी अपने आप्तजनों तक, मतदारों तक, आलोचकों तक पहुँचने के लिए इस ब्लॉगज्‌ के माध्यम का ही चुनाव करते हैं।

आज बराक ओबामा (अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष), शिव नायर (एचसीएल टेक्नोलॉजी के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी), ओमर अब्दुल्ला, अण्णा हजारे, बरखा दत्त, अमिताभ बच्चन, शोभा डे, शेखर कपूर, नन्सा पेलोसी (अमेरिकन काँग्रेस के सभापति) आदि प्रख्यात व्यक्तियों के ब्लॉग हैं।

ब्लॉंग ये अत्यन्त ज्वलंत एवं लोकप्रिय माध्यम हैं। इसीलिए इसका उपयोग ध्यानपूर्वक करना यह हर एक ब्लॉगर की सामाजिक एवं नैतिक जिम्मेदारी है। ऐसा न करने पर सामाजिक व्यवस्था में अनेक प्रकार के व्यवधान उप्तन्न होंगे। इसके अलावा यदि हम अपने ब्लॉगज्‌ में किसी को बौद्धिक संपदा अधिकार का (IPR or Intellectual Property Rights) का उल्लंघन करते हैं अथवा किसी के वैयक्तिक जीवन से संबंधित बातों को उछालनें का प्रयन्त करते हैं तब हम पर कानूनी तौर पर कारवाई भी की जा सकती हैं। इसी कारण अपने ब्लॉग पर प्रकाशित की जानेवाली जानकारी, चित्र, विडीयों, दस्तावेज आदि किसी के भी बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन करने वाले नही होने चाहिए। मान लो यदि अन्य किसी संकेत स्थल से अथवा अन्य किसी भी स्त्रोत के माध्यम से अपूर्ण जानकारी, चित्र, व्हिडीयो, दस्तावेज आदि प्राप्त हुई है तो इस बात की सूचना (acknowlegement) (नोंद) अपने ब्लॉग में जरूर देना चाहिए। इसके अलावा जैसे किसी भी बात का अच्छा उपयोग भी किया जाता है और बुरा उपयोग भी किया जाता है वैसे ही ब्लॉगज्‌ का भी गलत उपयोग किया जाता है। अनेक ब्लॉगज्‌ पर विघातक एवं विपरीत जानकारी भी ड़ाली जाती है। इन बातों से हमें सदैव सावधान रहना चाहिए।

हाँ! तो ऐसी है यह ब्लॉगज्‌ की दुनिया! संभाषण करने के लिए अपने स्वयं के विचारों को प्रस्तुत करने के लिए । दूसरों के लिए उनके अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त साबित होने वाला यह ब्लॉग का माध्यम अनेक अच्छी बातों को, विचारों आदि को आगे बढ़ाने में लाभकारी सिद्ध हो सकता है। हम उसे कितनी गंभीरता से लेते हैं उसका उपयोग कैसे करते हैं इस बात पर निर्भर करता है। हम सभी को बातें करना काफी अच्छा लगता है, बल्कि वह हमारी जरूरत ही होती है।

ब्लॉग के माध्यम से हम एक ही समय पर अनेक लोगों के साथ बात कर सकते हैं, अपने विचारप्रस्तुत कर सकते हैं साथ ही अन्य लोगों के विचार भी जान सकते हैं। उसी तरह ब्लॉगज्‌ का उपयोग किसी भी विषय के संबंध में, स्वयं के संबंध में, किसी भी व्यक्ति अथवा किसी संस्था की जानकारी देने के लिए, अपने विचारों का प्रचार एवं प्रसार अत्यन्त सुलभता पूर्वक करने के लिए किया जा सकता है। इसका लाभ हमें उठाना ही चाहिए, हैं ना!

One Response to "ब्लॉग की दुनिया में"

  1. Pai.Pooja   October 22, 2015 at 5:03 pm

    This article reminds me of Sameer Dada’s blog where we get apt information about our beloved Bapu and Shree Aniruddha Upasna foundation trust. Ambadnya.

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