अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल दूसरे देशों पर हमलें करने के लिए नहीं होने देंगे – तालिबान प्रमुख का बयान

काबुल – अफ़गानिस्तान की भूमिका इस्तेमाल दूसरे देश पर हमला करने के लिए नहीं होने देंगे, ऐसा वचन तालिबान के प्रमुख हेबतुल्लाह अखुंदझादा ने दिया है। इसके साथ ही अफ़गानिस्तान को सभी पड़ोसी देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने हैं, यह संदेश हेबतुल्लाह ने दिया। लेकिन, अफ़गानिस्तान के अंदरुनि कारोबार में किसी की दखलअंदाज़ी बर्दाश्त नहीं करेंगे, यह चेतावनी भी अखुंदझादा ने दी है।

तालिबान की हुकूमत ने सत्ता हासिल करने के बाद अफ़गानिस्तान में आतंकी संगठनों के लिए अच्छा माहौल तैयार हुआ है। इस वजह से अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों के लिए खतरा बढ़ रहा है, यह चिंता जतायी जा रही है। साथ ही तालिबान ने अब तक अल कायदा जैसे खतरनाक आतंकी संगठन से ताल्लुकात तोड़े नहीं हैं, यह दावा संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रपट में किया गया था। इसी दौरान अफ़गानिस्तान की सत्ता हथियानेवाली तालिबान ने महिलाओं की शिक्षा और अल्पसंख्यांकों के अधिकारों जैसे बुनियादी मुद्दों पर अपनी भूमिका अब तक स्पष्ट नहीं की है। साथ ही आतंकवाद के मुद्दे पर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान को अब भी आशंका से देख रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर तालिबान के प्रमुख अखुंदझादा ने आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों को आश्वस्त करने की कोशिश की है।

कुछ भी हो, लेकिन अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल अन्य देश पर हमले करने के लिए नहीं होने देंगे, ऐसा अखुंदझादा ने स्पष्ट किया। साथ ही सभी पड़ोसी देशों समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सलोखा और सहयोग स्थापित करने के लिए हमारी हुकूमत उत्सुक होने का संदेश भी अखुंदझादा ने दिया। लेकिन, अफ़गानिस्तान में दूसरे देश की दखलअंदाज़ी बर्दाश्त नहीं करेंगे, यह अखुंदझादा का इशारा पाकिस्तान के लिए होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। तालिबान का इस्तेमाल करके अफ़गानिस्तान पर नियंत्रण रखने के सपने देखना पाकिस्तान ने अब तक नहीं छोड़ा है। इसके लिए तालिबान के हक्कानी नेटवर्क गुट को पाकिस्तान मोहरा बना रहा है। इस वजह से तालिबान के अन्य गुट नाराज़ होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

तालिबान की हुकूमत को अफ़गानिस्तान का कारोबार चलाने के लिए निधि की आवश्यकता है और अनाज़, दवाईयों की किल्लत समेत अन्य समस्याएं दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता के अलावा अन्य विकल्प ना होने का अहसास तालिबान को हुआ है। अफ़गान जनता को अनाज़ की किल्लत महसूस हो रही है और ऐसे में भारत ने अफ़गानिस्तान को ५० हज़ार मेट्रिक टन गेहूं भेजने का ऐलान किया। इसका कुछ हिस्सा भारत से पहले ही अफ़गानिस्तान पहुँच चुका है। साथ ही भारत ने अफ़गान जनता के लिए दवाईयाँ और टीकों की भी आपूर्ति की थी। इसका संज्ञान लेकर तालिबान ने भारत की सराहना की थी।

इस वजह से  ने अफ़गानिस्तान की भूमिका अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल ना करने का किया हुआ बयान प्रमुखता से भारत के उद्देश्य से होता दिख रहा है। साथ ही उसने अफ़गानिस्तान में होनेवाली दखलअंदाज़ी पर दी हुई चेतावनी पाकिस्तान को सामने रखकर दी है। इससे तालिबान की नीति में बदलाव होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। 

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