चीन विश्‍व के सामने खड़ा सबसे बड़ा खतरा – अमरीका और ब्रिटेन ने किया आगाह

अमरीका और ब्रिटेनलंदन – ‘चीन के खतरे पर कुछ सुनना शायद अजब महसूस होगा। लेकिन, यह खतरा सच है और हर दिन इसकी तीव्रता बढ़ रही हैं। इस मुद्दे पर खुलेआम बोलना आवश्‍यक हैं। अब इस खतरे के विरोध में कृति करने की आवश्‍यकता हैं’, इन शब्दों में अमरीका और ब्रिटेन की यंत्रणाओं ने चीन के बढ़ते खतरे पर विश्‍व का ध्यान आकर्षित किया। ब्रिटेन की राजधानी लंदन में पहली बार जाँच यंत्रणा ‘फेडरल ब्युरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ (एफबीआई) और ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआई५’ ने साथ मिलकर वार्तापरिषद का आयोजन किया। दोनों यंत्रणाओं की प्रमुख ने चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत की पूरे विश्‍व में शुरू गुप्त गतिविधियों का अहसास कराया।

चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत विश्‍व के विभिन्न देशों पर अलग अलग मार्ग से दबाव बनाने की कोशिश मे हैं। वैश्‍विक व्यवस्था में मौजूदा गणित के मद्देनज़र यह गतिविधियाँ सबसे बड़ा खतरा साबित होती है, ऐसी चेतावनी ब्रिटेन के ‘एमआई५’ के संचालक केन मैक्कलम ने दी। मौजूदा समय में चीन ब्रिटेन में काफी बड़ी मात्रा में खुफिया गतिविधियाँ कर रहा हैं और हमारे हाथ अन्यों की तुलना मे सात गुना ज्यादा चीनी मामलों की जाँच जारी हैं, यह भी ‘एमआई५’ के संचालक ने कहा।

अमरीका और ब्रिटेनचीन की बढ़ती हरकतें अमरीका और ब्रिटेन के साथ ही मित्रदेशों के लिए भी बड़ा खतरा हैं, ऐसी चेतावनी ‘एफबीआई’ के प्रमुख ख्रिस्तोफर रे ने दी। चीन बड़ी मात्रा में प्रौद्योगिकी की चोरी करके उद्योग क्षेत्र को कमज़ोर कर रहा है और देशों के बाज़ार पर कब्ज़ा बना रहा हैं, ऐसा आरोप ‘एफबीआई’ के प्रमुख ने लगाया। चीन का ‘हैकिंग प्रोग्राम’ विश्‍व के प्रमुख देशों की कुल यंत्रणाओं से भी बड़ा होने का दावा भी अमरिकी अधिकारी ने किया। पिछले कुछ सालों में अमरीका, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया के साथ यूरोपिय देश चीन की बढ़ती हरकतों का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं। लेकिन, इस मुद्दे पर अमरीका और ब्रिटेन जैसें प्रमुख देशों की यंत्रणाओं ने साथ मिलकर परिषद का आयोजन करके खतरे का अहसास कराना ध्यान आकर्षित कर रहा हैं।

अमरीका और ब्रिटेन की इस वार्तापरिषद पर चीन ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की हैं और बयान में आलोचना करते यह कहा है कि, हमारें खिलाफ लगाया यह आरोप बदनाम करने के अभियान का हिस्सा हैं।

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