चीन के वन बेल्ट वन रोड पर अमरिकी संसद सदस्यों की आलोचना

वॉशिंगटन: आशिया एवं आफ्रिका खंड के साथ दुनिया के विभिन्न भागों में मूलभूत सुविधाओं के लिए बड़ी तादाद में निवेश की आवश्यकता है फिर भी चीन के बेल्ट एंड रोड योजना में सामने दिखने वाले बातों से बहुत ही अलग बातें हो रही है, ऐसी आलोचना अमरिका के संसद सदस्योंने की है। आशिया के विकास योजना को दिए जाने वाले वित्त सहायता के मुद्दे पर अमरिकी संसद में हुए एक सुनवाई के दौरान, अमरिका कि यह नाराजगी सामने आई है।

पिछले महीने में अमरिका के संसद में हुए सुनवाई में रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) इस महत्वाकांक्षी प्रकल्प से चीन एवं पाकिस्तान इन दोनों देशों को फटकारा था। ‘वन बेल्ट वन रोड’ जैसे प्रकल्प निर्माण होते समय कोई एक देश उसमें हुकुमशाह का बर्ताव न करें, ऐसा मैटिस ने सूचित किया था। अमरिकी रक्षामंत्री की यह भूमिका भारत की नीति का स्पष्ट समर्थन करने वाली होने की वजह से, पाकिस्तान ने नाराजगी व्यक्त करके, उसपर सफाई देने का प्रयत्न किया था।

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पर पाकिस्तान एवं चीन के खुलासे के बाद भी अमरिका ने इस मुद्दे पर अपनी नीति कायम रखना, संसद सदस्यों के विधान से स्पष्ट हो रहा है। वन बेल्ट वन रोड यह कार्यक्रम सहयोगी विकसनशील देशों के लिए निर्माण होनेवाले सभी के हितसंबंध संभालने का उपक्रम होने का दावा चीन कर रहा है। पर असल में यह कार्यक्रम सिर्फ चीन के हितसंबंध संभालने वाला है, ऐसी आलोचना अमरिका के वरिष्ठ संसद सदस्य टेड योहो ने की है। योहो यह अमरिकी संसद के ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स सब कमेटी ऑफ एशिया एंड पैसिफिक’ के प्रमुख है।

बेल्ट एंड रोड उपक्रम प्रकल्पों के लिए चीनी संस्था ने अधिक ब्याज दरों पर वित्त सहायता प्रदान की है। प्रकल्प विकास योजनाओं में यह बात आमतौर पर दिखाई नहीं देती। यह प्रकल्प चीनी कंपनियों से निर्माण किया जा रहा है। जिसमें प्राथमिक रूप से सरकार संबंधित उपक्रम शामिल है। इसके लिए चीनी कर्मचारी एवं चीनी कच्चा माल उपयोग में लाया जा रहा है। इसकी वजह से प्रकल्प शुरू रहे देशों के स्थानीय वित्त व्यवस्था में कोई भी बढ़त न होते की बात दिखाई दे रही है और उसी समय कर्ज का बोझ उन देशो को सहन करना पड़ रहा है, इन शब्दों में अमरिकी संसद सदस्योंने चीन के महत्वाकांक्षी योजना पर टीका की है।

वन बेल्ट वन रोड यह कार्यक्रम चीन के सामरिक एवं लष्करी संबंधों से संबंधित है। यह केवल संयोग नहीं, ऐसा आरोप भी उन्होंने किया है। अपने टीका के समर्थन मे योहो ने श्रीलंका के हंबंटोटा और्बनरगाह प्रकल्प का उदाहरण दिया है। चीन ने श्रीलंका के भ्रष्टाचारी नेताओं के चुनाव क्षेत्र में यह प्रकल्प निर्माण किया और कर्ज वापस न लौटाने के बाद उस और्बनरगाह का कब्जा लेकर चीन ने अपने सागरी व्यापार के लिए उसका उपयोग शुरू किया है, ऐसा दावा संसद सदस्यों ने किया है।

अमरिका में ‘यूएस चाइना इकनोमिक सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन’ के आयुक्त एवं यूएसएड के भूतपूर्व वरिष्ठ अधिकारी जोनाथन स्टीवर्स ने वन बेल्ट वन रोड जैसे योजनाओं में चीन जबरदस्ती से अपना अस्तित्व वैश्विक स्तर पर लाने का प्रयत्न कर रहा है, ऐसे शब्दों में सूचित किया है।

पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता पर चीन की नाराजगी

इस्लामाबाद: वन बेल्ट वन रोड योजना के अंतर्गत पाकिस्तान में कार्यान्वित होने वाला ‘चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) यह महत्वाकांक्षी प्रकल्प मे बाधा होने की बात स्पष्ट हो रही है। मंगलवार को सीपीईसी परियोजना के मुद्दे पर चीन एवं पाकिस्तान के प्रतिनिधि मंडल की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में चीनी प्रतिनिधि मंडल ने पाकिस्तान के राजनीतिक अस्थिरता पर तीव्र नाराजगी व्यक्त की है। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से सीपीईसी पर परिणाम होने का आरोप उस समय चीनी अधिकारियोंने किया है।

चीन ने सीपीईसी के माध्यम से पाकिस्तान में लगभग ६० अब्ज डॉलर्स का निवेश किया है और पाकिस्तान व्याप्त कश्मीर तथा बलूचिस्तान में इस प्रकल्प को जोरदार विरोध हो रहा है। कुछ दिनों पहले पाकिस्तान में बांध प्रकल्प के लिए सीपीइसी के अंतर्गत चीन से दिए जाने वाले कर्ज पाकिस्तानने ठुकराने की वजह से चीन को झटका लगा था।

 

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