‘ब्रेक्झिट’ मामले में अस्थिरता की वजह से ब्रिटेन का बैंकिंग क्षेत्र ४० हजार नौकरियां गंवाएगा – अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समूह का इशारा

लंडन: ब्रिटिश जनता ने ‘ब्रेक्झिट’ को हरी झंडी दिखाकर एक साल बीत गया है, फिर भी उसके बारे में अनिश्चितता अभी भी कायम है। ब्रिटन के राजनितिक समूह में ‘ब्रेक्झिट’ को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप और परस्परविरोधी बयान और महासंघ के साथ चर्चा में विसंवाद, इन वजहों से वित्तीय क्षेत्र में अस्थिरता की हवा चल रही है। इस पृष्ठभूमि पर, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख समूह ने ब्रिटन के बैंकिंग क्षेत्र को तकरीबन ४० हजार नौकरियां गंवानी पड़ेगी, ऐसा गंभीर इशारा दिया है।

बैंकिंग क्षेत्रब्रिटन के बैंकिंग क्षेत्र को देश की अर्थव्यवस्था को योगदान देने वाला महत्वपूर्ण और प्रमुख क्षेत्र के तौर पर पहचाना जाता है। बैंकिंग क्षेत्र के साथ साथ उससे संबंधित विविध सेवाओं की आपूर्ति करने वाले वित्त क्षेत्र में २० लाख से अधिक लोग नौकरी करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में १० प्रतिशत से भी ज्यादा ज्यादा योगदान देने वाले इस क्षेत्र में ‘ब्रेक्झिट’ के बाद अस्वस्थता निर्माण हुई है। यूरोपीय महासंघ के साथ बातचीत में इस क्षेत्र के हिस्से में असल में क्या आएगा अभी तक निश्चित नहीं है। इस वजह से राजधानी लंडन के कई बैंक और वित्त संस्थओं ने अपने कार्यालयों को स्थलांतरित करने का और कर्मचारियों में कटौती करने के निर्णय लिया है।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख सलाहकार संस्था ‘ओलिवर वायमन’ ने इस संदर्भ में एक रिपोर्ट पेश की है। ‘वन इयर ऑन फ्रॉम ब्रेक्झिट वोट’ नाम से प्रकाशित की गई इस रिपोर्ट में, ब्रेक्झिट के बाद ब्रिटन के बैंकिंग क्षेत्र में चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई है। ब्रिटन में वर्तमान में कार्यरत विविध बैंकों ने २०१९ के बाद ब्रिटन महासंघ के ‘सिंगल मार्केट’ का हिस्सा नहीं होंगे, इस बात को ध्यान में रखकर आगे की प्लानिंग शुरू की है।

बैंकिंग क्षेत्रब्रिटन और महासंघ के बीच बातचीत पूरी होने तक इंतजार करना बैंकिंग क्षेत्र को मुमकिन नहीं है, ऐसा संकेत बहुतांश अन्तर्राष्ट्रीय बैंकों ने और वित्त संस्थाओं ने दिया है। इस वजह से ब्रिटन के साथ अमरिकन और जापनिज बैंकों ने अपने कार्यालयों को देश के बाहर स्थलांतरित करने का निर्णय लिया है। ब्रिटन की ‘बार्कलेज’ और ‘स्टैण्डर्ड चार्टर्ड’ इन बैंकों ने क्रमश: ‘डब्लिन’ और ‘फ्रैंकफर्ट’ शहरों में कार्यालय स्थलांतरित करने का निर्णय लिया है। जापान की तीन प्रमुख बैंकों ने जर्मनी को चुनने की बात सामने आई है। अमरीका के ‘सिटीग्रुप’, ‘मॉर्गन स्टानले’ और ‘बैंक ऑफ़ अमरिका’ इन प्रमुख बैंकों ने भी ब्रिटेन से बाहर निकलने का निर्णय लिया है।

एक के बाद एक बड़ी बैंक देश के बाहर जा रही है, इसका बहुत बड़ा झटका ब्रिटन की नौकरियों को लगने वाला है। ‘ओलिवर वायमन’ की रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ सालों में सिर्फ बैंकिंग क्षेत्र को तकरीबन ४० हजार नौकरियां गंवानी पड़ेगी। कुछ बैंकों ने यूरोप से ही बाहर जाने के संकेत दिए हैं और अमरीका और एशिया में स्थलांतरित होने की प्लानिंग बनाई है, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया गया है।

इसी पृष्ठभूमि पर ब्रिटन के भूतपूर्व विदेश मंत्री विल्यम हेग ने, ब्रेक्झिट ब्रिटन के इतिहास की सबसे बड़ी आपत्ति बन सकती है, ऐसा कहा है। आधुनिक ब्रिटन के इतिहास में, राजनितिक साथ ही आर्थिक और राजघटना के स्तर पर सबसे बड़ा बवाल, ऐसी ब्रेक्झिट की पहचान बन सकती है, ऐसा इशारा भी हेग ने दिया है। पिछले कुछ हफ़्तों से ब्रेक्झिट के मुद्दे को लेकर सरकार में ही समूह निर्माण हुए हैं, ऐसा दिख रहा है और प्रधानमंत्री थेरेसा मे उस पर नियंत्रण लगाने में असफल साबित हुए हैं। ब्रेक्झिट की अनिश्चितता की वजह से फिर एक बार सरकार गिरने का डर भी व्यक्त किया जा रहा है।

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