जॉर्डन के बाद सीरिया में भी अमेरिकी सैनिकों पर रॉकेट हमले होने के बावजूद भी अमेरिका को और एक युद्ध में उतरना नहीं है – व्हाईट हाऊस का खुलासा

वॉशिंग्टन/सना – जॉर्डन के सैन्य अड्डों पर हुए ड्रोन हमले में अमेरिका के तीन सैनिक मारे गए। इसके बाद ईरान के ठिकानों पर हमले करने का सेंटकॉम बड़ी गंभीरता से विचार करने में लगी होने की खबरें प्राप्त हो रही थी। ऐसे में सीरिया स्थित अमेरिका के और एक अड्डे पर रॉकेट हमले हुए हैं। इसके बाद अमेरिका-ईरान युद्ध छिड़ने की चर्चा ने बड़ा जोर पकड़ा था। लेकिन, अमेरिका को ईरान विरोधी युद्ध में उतरना नहीं हैं, यह व्हाईट हाऊस ने स्पष्ट किया है। साथ ही अमेरिकी सेना की गलती के कारण जॉर्डन में ड्रोन हमला होने का ऐलान अमेरिका ने किया है। वहीं, बायडेन प्रशासन की ऐसी कमज़ोर भूमिका की वजह से पूरे विश्व में अमेरिका की अवहेलना हो रही हैं, ऐसी आलोचना अमेरिका में शुरू हुई है।

जॉर्डन के बाद सीरिया में भी अमेरिकी सैनिकों पर रॉकेट हमले होने के बावजूद भी अमेरिका को और एक युद्ध में उतरना नहीं है - व्हाईट हाऊस का खुलासापिछले तीन दिनों में अमेरिका के दो सैन्य ठिकानों पर हमले हुए हैं। इसके अलावा पिछले तीन महीनों में इराक, सीरिया और जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य एवं हवाई अड्डों पर १५० से अधिक हमले होने की जानकारी सामने आयी है। जॉर्डन में हुए हमले में अमेरिका के तीन सैनिकों के मारे जाने के बाद राष्ट्राध्यक्ष बायडेन पर ईरान विरोधी कार्रवाई करने के लिए दबाव बढ़ा था। खाड़ी में अमेरिका के हितसंबंधों की सुरक्षा का ज़िम्मा संभाल रहे ‘सेंट्रल कमांड’ (सेंटकॉम) ने भी ईरान के ठिकानों को लक्ष्य किया जाएगा, यह ऐलान कर दिया था।

लेकिन, इसके कुछ ही घंटे बाद व्हाईट हाऊस की राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल के प्रमुख जॉन किरबाय ने अमेरिका ईरान विरोधी युद्ध के लिए उत्सुक नहीं है, यह स्पष्ट किया। ‘इस्रायल ने आतंकवाद विरोधी शुरू किए युद्ध को अमेरिका का समर्थन है। इस युद्ध में अमेरिका व्यस्त होने की स्थिति में दूसरे किसी भी युद्ध में अमेरिका नहीं उतरेगी’, इन शब्दों में किरबाय ने यह संकेत दिए कि, महाशक्ति अमेरिका मौजूदा दौर में असहाय हुई है।

जॉर्डन के बाद सीरिया में भी अमेरिकी सैनिकों पर रॉकेट हमले होने के बावजूद भी अमेरिका को और एक युद्ध में उतरना नहीं है - व्हाईट हाऊस का खुलासा‘अमेरिका अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए पुरी तरह से प्रतिबद्ध है। फिर भी अमेरिका और एक युद्ध में नहीं उतरेगी, अमेरिका और एक संघर्ष नहीं चाहती’, ऐसा किरबाय ने कहा। इसके बाद अमेरिका में गुस्से की लहर उठी है। बायडेन ने राष्ट्राध्यक्ष पद की बागड़ोर संभालने के साथ ही अमेरिका का प्रभाव और सैन्य सामर्थ्य कमज़ोर हुआ है और अमेरिका की ऐसी बेबस प्रतिमा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानबूझकर खड़ी की जा रही है, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। इसके लिए अफ़गानिस्तान से हुई सेना वापसी, रशिया-यूक्रेन युद्ध के दाखिले दिए जा रहे हैं।

रशिया के विरोध में यूक्रेन को अरबों डॉलर की सहायता मुहैया कर रहा बायडेन प्रशासन अमेरिका के अन्य हितसंबंधों को पुरी तरह से अनदेखा कर रहा है। अमेरिका के विपक्षी नेता इसके लिए बायडेन प्रशासन को लक्ष्य कर रहे हैं और उनकी आलोचना को जनता का समर्थन भी प्राप्त हो रहा है। इस वजह से बायडेन सहित उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी की छवि भारी मात्रा में मलिन हुई है।

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