महंगाई के उछाल की वजह से अमेरिकी नागरिकों की बचत खत्म होने की कगार पर – जेपी मॉर्गन की चेतावनी

वॉशिंग्टन- अमेरिकी नागरिकों की बचत लगभग खत्म हुई है, ऐसी चेतावनी शीर्ष वित्त संस्था जेपी मॉर्गन ने दी है। नए साल में अमेरिका के महज एक प्रतिशत नागरिकों के पास अतिरिक्त बचाए पैसे रहेंगे, ऐसा इशारा वर्णित वित्त संस्था के रपट में दिया गया है। निवृत्ती के बाद गुजारा करने के लिए रखे निधी से आपात समय के लिए बचाई राशि निकाल रहे एवं निवृत्ती के पैसों से कर्ज पाने वाले नागरिकों की मात्रा भी बढ़ती देखी जा रही है।

इसके पीछे अमेरिका की केंद्रीय बैंक ‘फेडरल रिज़र्व’ की नीति, महंगाई का उछाल और बैंकिंग क्षेत्र का बढ़ता अविश्वास ज़िम्मेदार होने की बात कही जा रही है। कोरोना के फैलाव के दौरान अमेरिकी प्रशासन ने नागरिकों को बड़ी मात्रा में आर्थिक सहायता और सहुलियत प्रदान की थी। इस वजह से वर्ष २०२१ में अमेरिकी नागरिकों की बचत बढ़कर २.१ ट्रिलियन डॉलर तर जा पहुंची थी।

महंगाई के उछाल की वजह से अमेरिकी नागरिकों की बचत खत्म होने की कगार पर - जेपी मॉर्गन की चेतावनीलेकिन, महंगाई का उछाल, वेतन में ज्यादा बढ़ोतरी न होना एवं बैंकिंग क्षेत्र के संकट के कारण अमेरिकी परिवार को आम खर्च के लिए भी बचत की राशि इस्तेमाल करना पड़ रहा है। वर्ष २०२१ में दो ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ी यही बचत अब फिलकर १४८ अरब डॉलर हुई है। जुलाई से सितंबर २०२३ के तीन महीनों में अमेरिकी नागरिकों के क्रेडिट कार्ड का बकाया ४८ अरब डॉलर बढ़ा है। इसी तिमाही के दौरान अमेरिकी परिवार के कर्ज का भार भी २२८ अरब डॉलर बढ़ने की जानकारी सामने आयी है।

महंगाई के उछाल की वजह से अमेरिकी नागरिकों की बचत खत्म होने की कगार पर - जेपी मॉर्गन की चेतावनीमार्च महीने में महज कुछ ही दिनों में अमेरिका के तीन बैंक एक के बाद एक धराशाई हुई थी। इनमें ‘एसव्हीबी’, ‘सिग्नेचर बैंक’ और ‘सिल्वरगेट’ का समावेश था। जुलाई महीने के मात्र सात दिनों में अमेरिकी बैंकों से ७८ अरब डॉलर निकाले जाने की जानकारी भी सामने आयी थी। इसी बीच ‘गैलप’ की रपट में इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया गया है कि, ४८ प्रतिशत अमेरिकी जनता का बैंक में पैसे रखने पर भरोसा नहीं रहा है। वर्ष २००८ में उभरे ‘लेहमन ब्रदर्स’ के संकट की तरह नया संकट उभरेगा, ऐसा ड़र आम अमेरिकी जनता के मन में होने का बयान इस रपट में हैं।

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