अफगानिस्तान में स्थित अफीम की खेती पर अमरिका के हवाई हमले; तालिबान की आर्थिक रसद तोड़ने की कोशिश

काबुल: अमरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान विरोधी कार्रवाई अधिक तीव्र की है, उनको आर्थिक रसद दिलाने वाली अफीम की खेती को लक्ष्य बनाना शुरू किया है। अफ़ग़ानिस्तान में अमरिका और नाटो की ओर से चल रही लष्करी मुहीम के प्रमुख जॉन निकोल्सन ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है। उसी दौरान आने वाले दो सालों में अफगानी लष्कर की मदद से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का ८० प्रतिशत वर्चस्व नष्ट करेंगे, ऐसा दावा भी किया है।

अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ महीनों पहले अफ़ग़ानिस्तान के मामले में नई नीति की घोषणा की थी। उसके बाद अमरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में ३००० से अधिक सैनिक तैनात किए हैं और लष्करी मुहीम की तीव्रता को भी बढाया है। तालिबान के वर्चस्व वाले इलाके में अफीम की खेती पर किए हवाई हमले इसीका एक हिस्सा है।

जनरल जॉन निकोल्सन ने, दक्षिण अफ़ग़ानिस्तान के हेल्मंड प्रान्त में स्थित अफीम की खेती पर हमले करने की जानकारी दी है। इसमें अफीम की खेती के साथ साथ ‘हेरोइन’ इस नशीले पदार्थ का निर्माण करने वाले लॅब पर भी हमले करने की जानकारी निकोल्सन ने दी है। रात को किए गए इन हवाई हमलों में तालिबान का बड़े पैमाने पर नुकसान होने का दावा भी अमरिकी अधिकारी ने किया है। तालिबान को अफीम की खेती और नशीली पदार्थों के व्यापार से करीब २० करोड़ डॉलर्स का निधि मिलता है, ऐसा अंदाजा भी लगाया है।

इसके पहले अमरिका और नाटो की ओर से कार्यान्वित की गई मुहिमों में तालिबान कर रहे नशीली पदार्थों के व्यापार के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है, ऐसी टीका की जा रही थी। संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ कई यंत्रणाओं ने इस बारे में दी रिपोर्ट में अफीम की खेती और नशीले पदार्थों का व्यापार बढने का आरोप भी किया गया था। इसलिए अमरिका और नाटो ने की यह कार्रवाई महत्वपूर्ण मानी जाती है।

इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए जनरल जॉन निकोल्सन ने आने वाले दो सालों में अफ़ग़ानिस्तान से ८० प्रतिशत तालिबान खत्म करने में सफलता प्राप्त होगी, ऐसा भी दावा किया है।

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