केंद्रीय वित्तमंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए घोषित किए बड़े प्रावधान

नई दिल्ली,  (वृत्तसंस्था) – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने शुक्रवार के दिन किसान और कृषि क्षेत्र से संबंधित अतिरिक्त उद्योगों के लिए बड़े प्रावधानों का ऐलान किया। मछुआरें और मछलीं पालन उद्योग के लिए बनाईं योजनाओं की जानकारी भी वित्तमंत्री सीतारामन ने इस दौरान घोषित की। साथ ही ५३ करोड़ जानवरों के लिए टीका लगाने का काम शुरू होगा और सबसे अहम बात यानी जीवनावश्यक सामान से संबंधित ६४ वर्ष पुराने कानून में एवं कृषि उत्पादन बाज़ार समिती से संबंधित कानून में बदलाव करने का बड़ा ऐलान भी केंद्रीय वित्तमंत्री ने किया हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किए हुए २० लाख करोड़ रुपयों के पैकेज़ में से किसान, मछुआरें, पशु पालक और कृषि संबंधित व्यापार के लिए किए गए अहम प्रावधानों का केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारामन ने ऐलान किया हैं। सन १९५५ के जीवनावश्यक वस्तुओं से संबंधित कानून में सुधार करने का निर्णय हुआ है। इस कानून की वज़ह से किसान कम दर से अपने सामान की बिक्री करने के लिए मज़बूर हो रहे थें। अनाज़, खाने का तेल, दाल, प्याज और आलू जीवनावश्यक सामान की सूचि से बाहर किए जाएंगे। एक नए केंद्रीय कानून का निर्माण होगा और इसके तहत बिना किसी कठिनाई के, किसानों को अपना सामान अन्य राज्यों में भेजना मुमकिन होगा। साथ ही, कृषि उत्पादन बाज़ार समिती (एपीएमसी) के कानून में सुधार किया जाएगा और किसानों को उनके सामान की कहीं भी बिक्री करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। इस वज़ह से किसानों को अपने सामान के लिए अच्छे दाम प्राप्त करना मुमकिन होगा, इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, यह विश्‍वास सीतारामन ने इस दौरान व्यक्त किया।

एक लाख करोड़ के ‘फार्म गेट इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड़’ का ऐलान भी सीतारामन ने किया। इस निधि से कोल्ड़ स्टोरेज, कटाई हुए कृषि माल का भंड़ारण करनेवाले केंद्र का नेटवर्क बनाया जाएगा। किसान बड़ी मेहनत से अनाज़ और अन्य कृषि सामान का उत्पादन करते हैं। लेकिन इस सामान का भंड़ारण करने की सही व्यवस्था ना होने से यह उत्पादन ख़राब होता हैं और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही भंड़ारण व्यवस्था की किल्लत होने से किसान अपना उत्पाद कम दामों पर ही बेचने के लिए मज़बूर होता हैं। लेकिन, यह समस्या दूर करने की योजना सरकार ने तैयार की हैं। कृषि उत्पाद की यातायात और कोल्ड़ स्टोरेज के लिए ज़रूरी ख़र्च के लिए ५० प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा हैं।

इसके अलावा हर एक राज्य में तैयार हो रहें कृषि उत्पाद एवं वहाँ की विशेषता के अनुसार ‘क्लस्टर’ तैयार करके, ब्रँडिंग करने की योजना की गयी है। बिहार में मखना, कश्‍मीर में केसर, ईशान्य के राज्यों में बांस और वन औषधियों की मिसाल वित्तमंत्री सीतारामन ने दी। इस योजना के तहेत मायक्रो फूड़ एंटरप्रायझेस यानी छोटे खाद्य उत्पादकों को संगठित करके उन्हें तकनीकी दृष्टि  से सक्षम किया जाएगा। इसके अलावा कृषि उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता संगठनों की सहायता से, क्लस्टर के उत्पादनों का ब्रैण्ड़ींग और मार्केटिंग करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा। इस योजना के लिए १० हज़ार करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया हैं।

‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ (पीएमएमएसवाय) के लिए २० हज़ार करोड़ रुपयों का ऐलान सीतारामन ने किया। देश में अगले पाँच वर्षों में मत्स्य उत्पाद दोगुना करने का उद्देश्‍य रखा गया है। समुद्री एवं अन्य क्षेत्र के मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहन देने के लिए ११,००० करोड़ रुपयों का और सुविधाओं का निर्माण करने के लिए ९,००० करोड़ रुपयों की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रहीं हैं। इस क्षेत्र में ५५ लाख लोगों के लिए रोज़गार का अवसर प्राप्त होगा, साथ ही एक लाख करोड़ रुपयों की निर्यात इस क्षेत्र से होगी, यह उम्मीद सीतारामन ने व्यक्त की।

इसके अलावा ५३ करोड़ मवेशियों को टीका लगाया जानेवाला है। सबसे अधिक पशुधन रखनेवाले देशों में भारत का समावेश होता हैं। लेकिन जानवरों में पायीं जा रहीं मूहपका और खुरपका बीमारियाँ पशुपालन करनेवाले किसानों के सामने बड़ी समस्या बनीं हैं। इसे ध्यान में रखकर जानवरों को टीका देने का कार्यक्रम तुरंत ही शुरू किया जा रहा है, यह बात सीतारामन ने कही। इस वज़ह से देश के पशु उत्पादन की माँग आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी, यह दावा वित्तमंत्री ने किया। इस टीके के कार्यक्रम के लिए १३,००० करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है।

साथ ही वन औषधि की खेती करने के लिए चार हज़ार करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया हैं। गुरूवार के दिन केंद्रीय वित्तमंत्री ने घोषित किया हुआ पैकेज कृषि क्षेत्र से संबंधित उत्पादन में, गुणवत्ता में, निर्यात में और इसके साथ किसानों की आय में बढ़ोतरी करने का उद्देश्‍य सामने रखकर तैयार किया गया है।

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