वैश्‍विक व्यापार के लिए रुपये का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन

नई दिल्ली – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपयों में कारोबार हो, इसके लिए केंद्र सरकार विशेष कोशिश कर रही है। इसके लिए रिज़र्व बैंक ने आवश्‍यक कदम उठाए हैं, ऐसा केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है। लोकसभा में पुछे गए सवाल पर लिखीत जवाब में सीतारामन ने यह जानकारी साझा की। पिछले महीने में रिज़र्व बैंक ने इससे संबंधित कुछ निर्णयों का ऐलान करके घरेलु बैंकों को दूसरे देशों के साथ कारोबार करते समय रुपये का इस्तेमाल करने के लिए ज़रूरी प्रावधान करने के निर्देश दिए थे।

विदेशी मुद्रा पर निर्भरता कम करने के लिए अन्य देशों के साथ रुपये में कारोबार करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है, ऐसा वित्तमंत्री सीतारामन ने अपने लिखीत जवाब में कहा है। पाकिस्तान के अलावा भारत ने अपने अन्य पड़ोसी देशों से और रशिया जैसे मित्रदेशों के साथ रुपये में कारोबार किया तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी लाभ प्राप्त हो सकेगा। इन देशों के साथ डॉलर के बजाय रुपये में कारोबार किया गया तो भारत हर वर्ष तकरीबन ३५ अरब डॉलर्स की बचत कर पाएगा। इस वजह से देश का विदेशी मुद्रा भंड़ार अधिक स्थिर रहेगा, यह दावा किया जा रहा है।

इसी वजह से रशिया के साथ ईंधन का कारोबार रुपये में करने का निर्णय भारत ने किया है। इसके अलावा श्रीलंका और अन्य देशों के साथ भी भारत रुपये में कारोबार करने लगा है। अपने प्रभाव क्षेत्र के देशों के साथ और मित्रता के संबंध रखनेवाले देशों के साथ भारत रुपये में कर रहे कारोबार के काफी परिणाम सामने आएँगे। खाड़ी देशों ने भी भारतीय मुद्रा से कारोबार करने की तैयारी करने की बात स्षष्ट दिखने लगी है। भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूत है और भारत पर विश्‍वासनीयता भी बढ़ी है। साथ ही बाज़ार के नियमों के अनुसार रुपये का मूल्य निर्धारित किया जाएगा, इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, ऐसी गारंटी भारत ने दी है। इस वजह से रुपये में कारोबार करना अन्य देशों के लिए स्वागतार्ह बात बन सकती है।

इसी बीच, विश्‍व के प्रमुख देशों की मुद्राओं के साथ भारत के रुपए की भी डॉलर की तुलना में गिरावट हो रही थी। लेकिन, अब डॉलर की तुलना में रुपये के मूल्य में बढ़ोतरी हुई है और प्रति डॉलर ८० रुपये हुआ रुपया अब ७९.६३ पर स्थिर हुआ है। कच्चे तेल की कीमत में गिरावट और डॉलर की बढ़ती माँग के कारण यह बदलाव होने का दावा किया जा रहा है। आनेवाले समय में यूक्रेन का युद्ध और अन्य उथल-पुथल के कारण बना दबाव ठुकराकर भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर गति से प्रगति करेगी, यह दावा अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था कर रही है। भारतीय नेता भी आर्थिक चुनौतियों को निरस्त करने के लिए देश अधिक बेहतर स्थिति में होने का आत्मविश्‍वास व्यक्त कर रहे हैं। इसी वजह से कुछ दिन पहले भारतीय अर्थव्यवस्था से निवेश हटा रहे विदेशी निवेशक भी फिर से भारत की ओर मुड़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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