कच्चे तेल का भंड़ार करने से भारत ने बचाए पांच हज़ार करोड़ रुपये

नई दिल्ली – अप्रैल, मई में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई ईंधन के दामों की गिरावट का लाभ उठाकर भारत ने ईंधन के ‘स्ट्रैटेजिक स्टोरेज’ के टैंक पूरे भर दिए थे। इसकी वजह से भारत ने पांच हज़ार करोड़ रुपयों की बचत की है, यह जानकारी पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साझा की। राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब में उन्होंने यह जानकारी साझा की।

जनवरी महीने में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे ईंधन का दर प्रति बैरल ६० डॉलर्स था। कोरोना वायरस के संकट की पृष्ठभूमि पर अप्रैल-मई में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों की बड़ी गिरावट हुई और यही दर प्रति बैरल १९ डॉलर्स हुआ। इस दर में ईंधन बड़ी मात्रा में खरीदकर ‘स्ट्रैटेजिक स्टोरेज टैंक’ पूरे भरके भारत ने इस गिरावट का लाभ उठाया। भारत ने सौदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और इराक से १.६७ करोड़ बैरल्स कच्चा ईंधन खरीदा।

भारत ने लगभग ५३ लाख टन क्रूड़ का विशाखापट्टनम्‌, मंगलुरु और आंध्रप्रदेश के पाडुर में निर्माण की गई स्टैटेजिक स्टोरेज टैंक में भंड़ार किया। संकट के दौर में भारत के लिए यह लाभदायी होगा, यह बयान केंद्रीय मंत्री ने किया। ईंधन के दामों में हुई गिरावट में क्रूड़ की खरीद से भारत को पांच हज़ार करोड़ रुपयों की बचत करना संभव होने की बात उन्होंने कही।

इसी बीच, ८७ दिनों के लिए पर्याप्त क्रूड़ ऑईल का भंड़ार होने की बात कही जा रही है। इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी के सदस्य देशों के लिए ९० दिनों के लिए पर्याप्त ईंधन का भंड़ार रखने का मानक है। भारत इसके काफ़ी नज़दीक पहुँचा है।

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