यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अफ्रीका में मानवीय संकट का बढ़ा दायरा – ‘नॉर्वेजियन रिफ्युजी कौन्सिल’ का इशारा

ऑस्लो – यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अफ्रीका में मानवीय संकटों का दायरा बढ़ा है, ऐसा इशारा ‘नॉवेजियन रिफ्युजी कौन्सिल’ (एनआरसी) नामक नामांकित स्वयंसेवी गुट ने दिया। विश्व के प्रमुख देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय माध्यम और यंत्रणाओं का पूरा ध्यान यूक्रेन पर केंद्रीत है और अफ्रीका के संकट को अनदेखा किया जा रहा है, यह आरोप भी ‘एनआरसी’ की नयी रपट में लगाया गया है। पिछले कुछ सालों में अफ्रीका के करोड़ों लोग विस्थापित हुए हैं और विश्व की सबसे अधिक अनदेखी हुई समस्याओं की सूचि में अफ्रीकी देशों का समावेश होने की नाराज़गी ‘एनआरसी’ ने व्यक्त की।

‘पूरे विश्व का ध्यान यूक्रेन पर लगा है और अन्य देशों में लोगों की परेशानियों को लेकर दिल दहलानेवाला मौन रखा जा रहा है’, इन शब्दों में ‘एनआरसी’ ने अपनी रपट में अफ्रीका में खतरनाक हो बनती जा रही समस्याओं का अहसास कराया है। ‘द वर्ल्डस्‌‍ मोस्ट नेग्लेक्टेड डिस्प्लेसमेंट क्राइसिस इन २०२१’ नामक इस रपट में विश्व ने सबसे अधिक अनदेखा किए विस्थापितों की समस्याओं की सूचि पेश की गयी है। इस सूचि के पहले १० देश अफ्रीकी महाद्वीप के हैं। इसमें पहला स्थान ‘डीआर कांगो‘ का है और लगातार छठी बार इस देश का समावेश ‘अनदेखा’ रहे देशों में होने के मुद्दे पर ‘एनआरसी’ ने ध्यान आकर्षित किया।

सिर्फ डीआर कांगो में ५५ लाख नागरिक विस्थापित हुए हैं और ढ़ाई करोड़ से अधिक लोग भुखमरी के संकट का सामना कर रहे हैं, ऐसा इस रपट मे कहा गया है। देश में अंदरुनि संघर्ष, भुखमरी और अन्य समस्याएं तीव्र होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय दाता इस देश को पीठ दिखा रहे हैं, यह दावा ‘एनआरसी’ ने किया। देश की समस्याओं का हल निकालने के लिए दो अरब डॉलर्स सहायता की आवश्यकता थी, लेकिन केवल ४४ प्रतिशत राशि ही प्राप्त हो सकी, यह जानकारी ‘एनआरसी’ ने प्रदान की।

यूक्रेन में जारी संघर्ष में मानवीय सहायता के लिए आवश्यक निधि मात्र एक दिन में उपलब्ध हुआ, लेकिन, अफ्रीकी देशों के लिए सालों से निधि नहीं दिया जाता, इस पर इस रपट मे ध्यान आकर्षित किया गया है। ‘अंतरराष्ट्रीय समूदाय किसी समस्या का हल निकालने चाहे तो क्या हो सकता है, यह यूक्रेन को दी गई सहायता ने दिखाया। तो दूसरी ओर अफ्रीका के लाखों नागरिक हर दिन काफी अमानवीय स्थिति में जी रहे हैं लेकिन, विश्व ने उनकी समस्याओं को अनदेखा करने का निर्णय किया हुआ दिख रहा है’, इन शब्दों में ‘एनआरसी’ के प्रमुख जैन एगलैण्ड ने पश्चिमी देशों के दोगलेपन की आलोचना की।

‘एनआरसी’ की रपट में दर्ज़ अन्य अफ्रीकी देशों में बुर्किना फासो, कैमरून, साऊथ सुड़ान, चाड़, माली, सुड़ान, नाइजीरिया, बुरुंडी और नायजर का समावेश है। इन देशों में सूखा, बाढ़ और अंदरुनि संघर्ष जैसी समस्याओं ने देश की स्थिति की भयावहता अधिक बढ़ाई है। साथ ही इन देशों में सहायता पहुँचाने में आ रही बाधाएं भी बढ़ने का बयान ‘एनआरसी’ ने किया है। निधि कम पड़ रही है और ऐसी स्थिति में यूरोप के देशों के साथ कुछ देशों ने अफ्रीकी देशों को दिया जाने वाला निधि भी यूक्रेन की ओर मोड़ने की नाराज़गी भी इस रपट में जतायी गयी है।

यूक्रेन युद्ध पर ध्यान दे रहे देशों ने इस युद्ध के कारण उभरी स्थिति का अफ्रीकी देशों पर क्या असर हो रहा है, इस पर ध्यान देना ज़रूरी है, ऐसा आवाहन ‘नॉर्वेजियन रिफ्युजी कौन्सिल’ ने बड़ी तीव्रता से अपनी इस रपट के माध्यम से किया है।

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