यूक्रैन युद्ध से अमरीका के शस्त्र उद्योग को प्राप्त हुआ बड़ा लाभ – यूरोपिय देशों ने अमरिकी हथियारों की खरीद बढ़ाई

वॉशिंग्टन – रशिया और यूक्रैन के युद्ध की वजह से यूरोपिय देशों में सुरक्षा की चिंता बढ़ी है| आने वाले दिनों में आत्मरक्षा के लिए पूरी तरह से नाटो पर निर्भर रहना मुमकिन नहीं है, इसका अहसास होने पर यूरोपिय देश बड़ी मात्रा में हथियार खरीद रहे हैं| इससे अमरीका के शस्त्र निर्माण करनेवाली कंपनियों को सबसे ज्यादा लाभ मिल रहा है और पिछले २५ दिनों के संघर्ष में यूरोपिय देशों ने अमरिकी कंपनियों के साथ अरबों डॉलर्स के कारोबार किए हैं| अमरिकी ड्रोन्स, मिसाइल एवं मिसाइल विरोधि यंत्रणा की खरीद बढ़ने की जानकारी सामने आ रही है|

ukraine-war-us-weapons-1रशिया ने यूक्रैन पर हमला करने के बाद अमरीका और नाटो कौनसी भूमिका अपनाएँगे, इस पर पूर्व यूरोप के देशों की नज़र बनी हुई है| यूक्रैन के राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की ने अपने बचाव के लिए अमरीका और नाटो से आवाहन किया था| इसकी वजह से अमरीका और नाटो इस युद्ध में उतरेंगे, यह चर्चा यूरोपिय माध्यमों में शुरू थी| लेकिन, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और नाटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने रशिया के खिलाफ युद्ध ना करने का ऐलान किया| इसलिए नाटो की सैन्य सहायता पर निर्भर यूरोपिय देश अब यकायक जागे हैं|

आनेवाले दिनों में रशिया या अन्य किसी भी देश ने हमला किया तो अपनी सुरक्षा के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता, इसका अहसास यूरोपिय देशों को हुआ है| पिछले तीन हफ्तों में यूरोप के प्रमुख देशों ने अपनी सुरक्षा के लिए उठाए हुए कदम यही दर्शा रहे हैं| जर्मनी, स्वीड़न, डेन्मार्क ने अपने रक्षा खर्च में काफी बढ़ोतरी की है| इनमें से जर्मनी के रक्षा खर्च की बढ़ोतरी चर्चा का मुद्दा बनी है|

दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद जर्मनी ने किसी भी युद्ध में प्रत्यक्ष ना उतरने की भूमिका अपनाकर अपना रक्षा खर्च सीमित रखा था| सन २०२१ में जर्मनी का रक्षा खर्च ४७ अरब यूरो था| लेकिन, दो हफ्ते पहले जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्ज़ ने रक्षा खर्च दुगुने से ज्यादा बढाकर १०० अरब यूरो किया है| दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद जर्मनी के रक्षा खर्च में हुई यह सबसे ज्यादा बढ़ोतरी होने का दावा किया जा रहा है| जर्मनी की तरह स्वीड़न, डेन्मार्क ने भी अपने रक्षा खर्च में ध्यान आकर्षित करनेवाली बढ़ोतरी की है|

इसके अलावा, यूरोपिय देश अमरीका से बड़ी मात्रा में हथियार खरीदने लगे हैं, ऐसी खबरें भी प्राप्त हो रही हैं| इनमें जर्मनी सबसे आगे है| चान्सलर ओलाफ ने पिछले हफ्ते अमरीका से अतिप्रगत ‘एफ-३५’ लड़ाकू विमान खरीदने का ऐलान किया| जर्मनी की वायुसेना के बेड़े में जल्द ही ३५ ‘एफ-३५’ विमान शामिल किए जाएँगे, यह ऐलान भी उन्होंने किया| साथ ही जर्मनी ने अमरीका से ‘थाड’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा खरीदने की दिशा में गतिविधियॉं शुरू की हैं|

इसी बीच पोलैण्ड ने अमरीका से छह अरब डॉलर्स खर्च करके २५० ऐम्ब्रैम्स टैंक खरीदने का निर्णय किया है| स्पेन ने अमरीका से पनडुब्बिविरोधि युद्ध के लिए ‘सी-हॉक हेलीकॉप्टर्स’ एवं हेलफायर मिसाइल खरीदने की तैयारी की है| इसके अलावा पूर्व यूरोप के कुछ देश रशिया के हवाई हमलों का जवाब देने के लिए अमरीका को बड़ी संख्या से ‘स्टिंगर’ और ‘जैवलिन’ मिसाइलों का ऑर्डर दिया है|

आनेवाले दिनों में यूरोपिय देशों से स्टिंगर और जैवलिन मिसाइलों की मॉंग अधिक बढ़ेगी, यह दावा अमरिकी कंपनियॉं और सैन्य विश्‍लेषक कर रहे हैं| 

Leave a Reply

Your email address will not be published.