यूक्रैन युद्ध यानी यूरोपिय देशों के लिए इशारे का घंटा – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – यूक्रैन युद्ध के दौरान रशिया के खिलाफ ना गए भारत को अगले दिनों में इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे| क्योंकि, रशिया और चीन का घना सहयोग स्थापित हुआ है, ऐसा इशारा स्विड़न के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल्ट् ने दिया| नई दिल्ली में जारी रायसेना डायलॉग के बीच बिल्ट् ने भारत के विदेशमंत्री से इस मसले पर सवाल किया था| विदेशमंत्री जयशंकर ने इस पर मुँहतोड़ जवाब दिया| ‘यूक्रैन युद्ध की वजह से अब कहीं जाकर पश्‍चिमी देशों का ध्यान एशिया की गतिविधियों पर लगा है| लेकिन, पिछले दस सालों में एशिया में काफी कुछ बातें हुई हैं, इसका यूक्रैन युद्ध से सीधे संबंध जोड़ना मुमकिन नहीं होगा| यूक्रैन युद्ध यानी यूरोपिय देशों के लिए इशारे का घंटा है’, इन शब्दों में विदेशमंत्री जयशंकर ने पश्‍चिमी देशों को आयीना दिखाया|

ukraine-war-europe-jaishankarयूक्रैन युद्ध में भारत ने अपनाई तटस्थ भूमिका रशिया से सहयोग ही दर्शाता है, ऐसी आपत्ति अमरीका जता रही है| अमरीका के पश्‍चिमी सहयोगी देश भी भारत पर ऐसा ही आरोप लगा रहे हैं| स्विड़न के पूर्व प्रधानमंत्री ने रायसेना डायलॉग में यह मुद्दा उठाकर यूक्रैन-रशिया को लेकर भारत की भूमिका पर सवाल उठाया था| रशिया की ओर झुकनेवाले भारत की विदेश नीति का असर हो सकता है, क्योंकि रशिया और चीन के बीच घना सहयोग है| इसका अहसास स्विड़न के पूर्व प्रधानमंत्री बिल्ट् ने कराने की कोशिश की थी| लेकिन, चीन की भारत विरोधी भूमिका और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की गतिविधियॉं अब शुरू नहीं हुई हैं| पिछले दस सालों से चीन यही करता आ रहा है, लेकिन पश्‍चिमी देश इस पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं थे, ऐसा तीखा जवाब जयशंकर ने इस दौरान दिया|

आज आप सभी यूक्रैन पर बोल रहे हैं| लेकिन, हमने सालभर पहले ही अफ़गानिस्तान में गतिविधियां देखी हैं| अफ़गानिस्तान की पूरी नागरी व्यवस्था तबाह हुई है, इस ओर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया| एक एशियाई देश तबाह हो रहा था, तब पश्‍चिमी देशों ने इसे पूरी तरह से अनदेखा किया| लेकिन, यूक्रैन का युद्ध शुरू होने के बाद पश्‍चिमी देशों को अब एशिया की चिंता सता रही है| इस ढ़ोंग पर विदेशमंत्री जयशंकर ने सटीकता से ध्यान आकर्षित किया| दूसरे शब्दों में एशिया को लेकर पश्‍चिमी देश कर रहे दावे सिर्फ उनके हीत तक ही सीमित हैं, इस पर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया|

यूक्रैन का युद्ध यानी यूरोप के लिए इशारे का घंटा है| कम से कम आनेवाले दिनों में यूरोप सावधान होकर एशिया की ओर गंभीरता से देखे, ऐसा इशारा जयशंकर ने दिया है| कुछ हफ्ते पहले सौदी अरब और कतार के बीच चर्चा में दोनों देशों ने यही स्वर आलापा था| आज पश्‍चिमी देशों को यूक्रैन की समस्या सबसे बड़ी महसूस हो रही है| लेकिन, अफ़गानिस्तान, सीरिया, इराक, येमन की स्थिति काफी खराब हुई तब भी पश्‍चिमी देशों ने इसे ज्यादा अहमियत नहीं दी| लेकिन, यूक्रैन के मुद्दे पर पश्‍चिमी देश काफी संवेदनशील भूमिका अपना रहे हैं, ऐसी तीखी आलोचना सौदी और कतार ने की थी| 

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