इस्रायल सहकार्य करे फिर भी तुर्की हमास का साथ देगा – इटली के विश्लेषकों का इशारा

turkey-back-hamasअंकारा/जेरूसलेम – इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष जल्द ही तुर्की पहुंच रहे हैं, इसकी वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों का जया अध्याय शुरु होगा, ऐसी घोषणा तुर्की की राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन ने की। लगभग बारह वर्षों के तनाव के बाद इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष की यह भेंट दोनों राष्ट्रों के संबंध के लिए उपकारक साबित होगी, ऐसा दावा तुर्की के माध्यम कर रहे हैं। फिर भी आर्थिक लाभ हेतु इस्रायल के साथ सहकार्य करने वाले तुर्की इस्रायल द्वेषी हमास एवं अन्य आतंकी संघटनों के साथ अपने सहकार्य नहीं तोडेगा, ऐसा इशारा इटली के विश्लेषकों ने दिया है।

कुछ दिनों पूर्व तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन ने स्थानिक समाचार चैनल को दी हुई मुलाकात में, इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष आयसैक हर्ज़ोग ने तुर्की के दौरे की जानकारी दी. फरवरी महीने में इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष तुर्की का दौरा करेंगे। इसके द्वारा तुर्की इस्रायल से आर्थिक निवेश पाकर नैसर्गिक ईंधनवायु का सहकार्य प्राप्त करने के लिए कोशिश करेगा। आर्थिक संकट में फंसे हुए तुर्की के लिए इस्रायल के साथ किया हुआ यह सहकार्य बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष इस्रायल के साथ फिर से सहकार्य प्रशापित करने का प्रस्ताव दे रहा है।

इससे पहले सन २०२० तक इस्रायल और तुर्की के बीच राजनैतिक, व्यापारी एवं आर्थिक सहकार्य थे। परंतु बारह वर्षों पूर्व तुर्की ने हमास की नियंत्रण में रहे गाज़ापट्टी के लिए जहाज भेजे थे। इस्रायली सेना ने इस जहाज पर की हुई कार्यवाही मे १० लोग मारे गए थे। तत्पश्चात तुर्की ने इस्रायल के साथ अपना सहकार्य तोडकर अपने राजदूत को स्वदेश बुला लिया था। तथा इस्रायल के विनाश की घोषणा करनेवाले हमास एवं अन्य आतंकी संघटनों का सरेआम समर्थन शुरु किया था। एक समय पर ऑटोमन साम्राज्य के भूभाग वाले पूर्व जेरुसलेम पर तुर्की का अधिकार होने का दावा भी एर्दोगन ने किया था।

मगर बीते सालभर में परिस्थिति बदल गई है। तुर्की पर छाए हुए आर्थिक संकट की वजह से राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन का राजनैतिक भविष्य धोखे में पड गया है। इसलिए अपनी सत्ता को बचाने के लिए एर्दोगन ने इस्रायल से आर्थिक निवेश चाहिए, ऐसा इटली के निवेशक सर्जियो रेसेई ने इस्रायली समाचार संस्था के लिए लिखे हुए लेख में कहा है।

इस्रायल के साथ सहकार्य सहजता से करने की तैयारी में तुर्की सबसे पहले इस्रायल की मांगे माने, ऐसी शर्त ’शिन बेत’ नामक इस्रायली तुप्तचर परणाली ने की है। तुर्की हमास तथा अन्य इस्रायल द्वेषी आतंकी संघटनों की कार्यवाहियां नियंत्रित करे, यह शर्त इस्रायली गुप्तचर प्रणाली द्वारा किए जाने की जानकारी विश्लेषक रेसेई ने रखी। तुर्की ऐसी दोहरी चाल चलने वाली भूमिका के लिए और आतंकवादियों के समर्थन के लिए विख्यात होने की बात पर रेसेई ने ध्यान आकर्षित किया।

भारत के जम्मू-कश्मीर में आतंकी कार्यवाहियों के लिए एर्दोगन के परिजनों से जुडी संघटानाओं ने पैसा दिया गया था। भारतीय गुप्तचर प्रणाली के सूत्रों ने यह नेटवर्क विश्व के सामने लाया था, इस ओर इटली के विश्लेषक रेसेई ने ध्यान आकर्षित किया। तुर्की और पाकिस्तान में बिलकुल फर्क ना होने का दावा रेसेई ने किया। इन दोनों राष्ट्रों के नेतृत्व को इस्लामी विश्व का नेतृत्व करना है, दोनों राष्ट्र आतंकवाद के समर्थक हैं, तथा उनके राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था डूबने की कगार पर होने की बात पर रेसेई ने ध्यान आकर्षित किया है।

इसकी वजह से इस्रायल के साथ सहकार्य प्रथापित करने हेतु उत्सुक तुर्की हमास एवं अन्य आतंकी संघटनों का समर्थन करना नहीं छोडेगा, ऐसा दावा रेसेई ने किया। ऐसे तुर्की के साथ सहकार्य प्रस्थापित करना इस्रायल के लिए धोखादाई होगा, ऐसा इशारा रेसेई ने दिया।

तो, तुर्की ने इस्रायल के साथ सहकार्य प्रथापित करने की तैयारी की वजह से पाकिस्तान को झटका लगा है। पाकिस्तान के नेता और जनता ने जिन पर सौदी अरेबिया और अन्य अरब राष्ट्रों से अधिक विश्वास किया था, उस तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने इस्रायल से सहकार्य प्रस्थापित करने के लिए गतिविधियां शुरु करके पाकिस्तान को अकेला करने की टीका पाकिस्तानी माध्यमों द्वारा की जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.