कश्‍मीर मुद्दे पर तुर्की की दखलअंदाज़ी नहीं चाहिए – संयुक्त राष्ट्रसंगठन में भारत का कड़ा इशारा

न्यूयॉर्क – भारत के अभिन्न हिस्से वाले जम्मू-कश्‍मीर से संबंधित तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष के बयानों का हम गंभीरता से संज्ञान ले रहे हैं। उनके बयान भारत के अंदरूनी कारोबार में दखलअंदाज़ी साबित होती है। यह बात हम बर्दाश्‍त नहीं करेंगे। तुर्की को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना होगा। साथ ही तुर्की की हुकूमत ने अपनी नीति पर भी पुनर्विचार करना आवश्‍यक है, ऐसी कड़ी चेतावनी भारत ने दी है। संयुक्त राष्ट्रसंगठन में कश्‍मीर मुद्दे पर भारत ने तुर्की को जड़ा हुआ यह दूसरा तेज़ तमाचा है।

kashmir-turkiन्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्रसंगठन की आम सभा की शुरूआत हुई है और अलग अलग राष्ट्रप्रमुख इस बैठक में अपनी भूमिका पेश कर रहे हैं। मंगलवार के दिन तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने अपने भाषण में कश्‍मीर का ज़िक्र किया। दक्षिणी एशिया में कश्‍मीर एक झुलसता मुद्दा है और इसका हल कश्‍मीरी जनता की उम्मीदें ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र के दायरे में चर्चा करके निकालना होगा, ऐसा बयान एर्दोगन ने किया था। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते समय भारत ने तुर्की को अपनी नीति पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।

कश्‍मीर का मुद्दा बार बार उठा रहे तुर्की को भारत ने फटकार लगाने का यह दूसरा अवसर है। बीते सप्ताह में ही संयुक्त राष्ट्रसंगठन के मानव अधिकार आयोग की बैठक में भारत ने तुर्की को अंदरूनी कारोबार पर बयान करने से दूर रहें, यह इशारा दिया था। साथ ही जनतंत्र की व्यवस्था और तरिकों के पाठ प्राप्त करने की तीखी सलाह भी थी।

kashmir-turkiतुर्की ने लगातार कश्‍मीर का मुद्दा उठाने के पीछे पाकिस्तान के साथ बढ़ रही नज़दीकियां प्रमुख कारण हैं। बीते कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने तुर्की के साथ आर्थिक, व्यापारी और लष्करी सहयोग स्थापित करने के लिए प्राथमिकता दी है। साथ ही तुर्की की संस्कृति और चरमपंथ की राह पर अपनी जनता चले, ऐसा निवेदन भी पाकिस्तानी नेता कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार कश्‍मीर का मुद्दा उठाकर तुर्की भी पाकिस्तानी की सहायता के लिए खड़े होने की बात दिखाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, भारत ने हर बार तुर्की को उचित और तेज़ प्रत्युत्तर देकर तुर्की की दखलअंदाज़ी बर्दाश्‍त ना करने का स्पष्ट संदेश दिया है।

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